मीडिया में कवरेज नहीं मिलता, इसलिए कांग्रेस ने एक दिन पहले कराई रोहित-जेएनयू पर चर्चा
हाल के दिनों के देश के कुछ विश्वविद्यालयों में चल रहे मुद्दों पर राजग सरकार को घेरने में जुटे विपक्षी दलों का सारा ध्यान ज्यादा से ज्यादा प्रचार पाने ...और पढ़ें

नई दिल्ली। हाल के दिनों के देश के कुछ विश्वविद्यालयों में चल रहे मुद्दों पर राजग सरकार को घेरने में जुटे विपक्षी दलों का सारा ध्यान ज्यादा से ज्यादा प्रचार पाने पर है। यही वजह है कि एक दिन पहले कांग्रेस की तरफ से इस मुद्दे पर रेल बजट के दिन इन मुद्दों पर बहस होने का प्रस्ताव किया गया था और इस पर सहमति भी बन गई थी।
लेकिन पार्टी ने बुधवार को अपनी रणनीति बदल दी और इस पर चर्चा उसी दिन कराने की मांग की। भाजपा राज्य सभा के साथ ही लोक सभा में भी हैदराबाद विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय पर बहस करने को तैयार हो गई। कई लोग इसे भाजपा की एक राजनीतिक भूल भी मान रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक लोकसभा की कार्यमंत्रणा समिति (बीएसी) की मंगलवार को हुई बैठक में कांग्रेस के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ही रेल बजट के लिए शाम को विश्वविद्यालयों में चल रहे आंदोलन पर पूरी बहस का प्रस्ताव रखा था। इस पर सरकार तैयार हो गई।
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तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य दल भी इस पर राजी हो गये। लेकिन आज कांग्रेस के रणनीतिकारों को यह महसूस हुआ कि रेल बजट के दिन बहस होने पर उसे मीडिया में अच्छी कवरेज नहीं मिलेगी। साथ ही बुधवार को इस मुद्दे पर राज्य सभा में चर्चा होनी थी। इससे कांग्रेस को लगा कि लोक सभा में उसकी बहस को रेल बजट की वजह से मीडिया में तवज्जो नहीं मिलेगी। इसके बाद ही कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी।
पार्टी की तरफ से लोकसभा अध्यक्ष को कार्यस्थगन प्रस्ताव भेजा गया और इन दोनों मुद्दों पर चर्चा कराने का सुझाव दिया गया।
मजेदार तथ्य यह है कि कांग्रेस के इस प्रस्ताव का अन्य दलों ने तो शुरुआती विरोध किया लेकिन भाजपा ने इसका समर्थन किया। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने शीर्ष नेताओं से संक्षिप्त वार्तालाप की और यह फैसला हो गया कि आज ही बहस होगी। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर खूब आरोप लगाये। जब सरकार की तरफ से जवाब देने का वक्त आया तो कांग्रेस ने वाकआउट कर दिया। यही वजह है कि जानकारों का मानना है कि एक ही दिन दोनों जगह चर्चा करा कर भाजपा ने एक गलती की है।

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