मेट्रो में अगर खूबसूरत महिला आपसे सटकर खड़ी है तो सावधान!
नई दिल्ली [जासं]। मेट्रो में सफर करते हुए अगर कोई खूबसूरत महिला आपसे सटकर खड़ी हो रही है, तो अपनी जेब पर विशेष ध्यान दें। क्योंकि मेट्रो में महिला पॉकेटमार आए दिन अलग-अलग तरीके से यात्रियों की जेब साफ कर रही हैं। इन्हें पकड़ने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल [सीआइएसएफ] लगातार अभियान भी चला रहा है जिसमें ये पकड़ी तो
नई दिल्ली [जासं]। मेट्रो में सफर करते हुए अगर कोई खूबसूरत महिला आपसे सटकर खड़ी हो रही है, तो अपनी जेब पर विशेष ध्यान दें। क्योंकि मेट्रो में महिला पॉकेटमार आए दिन अलग-अलग तरीके से यात्रियों की जेब साफ कर रही हैं। इन्हें पकड़ने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल [सीआइएसएफ] लगातार अभियान भी चला रहा है जिसमें ये पकड़ी तो जाती हैं, लेकिन छूटने के बाद फिर से पॉकेटमारी के काम में लग जाती हैं। खास बात यह है कि इन पॉकेटमार हसीनाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
सीआइएसएफ की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, गत वर्ष दिल्ली मेट्रो में जितने पॉकेटमार पकड़े गए, इनमें 90.34 प्रतिशत महिलाएं थीं। सीआइएसएफ ने पिछले वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच 466 लोगों को जेब काटने के मामले में दबोचा, इनमें से 421 महिलाएं थीं। आंकड़ों के मुताबिक जून महीने में सबसे ज्यादा 115 पॉकेटमार हसीनाएं पकड़ी गईं। जबकि इसी महीने में सिर्फ एक पुरुष को गिरफ्तार किया गया। इसी तरह अक्टूबर में 26 पॉकेटमार हसीनाएं पकड़ी गईं जबकि कोई पुरुष नहीं पकड़ा गया। खास बात यह है कि जिन महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है उनमें से ज्यादातर महिलाएं अच्छे कपड़ों में होती हैं। कुछ तो ब्रांडेड बिजनेस फॉर्मल्स में होती हैं। उनके पास काम करने का दिखावा करने के लिए कांफ्रेंस बैग और लैपटॉप तक रहता है और वे किसी भी आम यात्री की ही तरह लगती हैं। इनका पहनावा देखकर शक करना तो लगभग नामुमकिन है।
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सीआइएसएफ के जवान बताते हैं कि पूछताछ में कुछ पॉकेटमार हसीनाओं ने बताया कि उनके निशाने पर सबसे ज्यादा पुरुष यात्री होते हैं। ये हसीनाएं 6-7 के समूह में होती हैं जिसमें एक महिला पॉकेटमार पुरुष को अपनी नजरों में फंसाए रखती है, एक उस पुरुष के पॉकेट मारने का काम करती है और बाकी आसपास के माहौल पर नजर रखती हैं। काम पूरा होते ही ये अगले मेट्रो स्टेशन पर उतरकर नए शिकार की तलाश में निकल पड़ती हैं। सीआइएसएफ के अधिकारी बताते हैं कि उन्हें रंगे हाथों ही पकड़ा जा सकता है। जून महीने में 21 महिलाओं के एक पूरे गैंग को गिरफ्तार किया गया था।
सीआइएसफ के प्रवक्ता हेमेंद्र सिंह कहते हैं कि हम इन्हें रंगे हाथों पकड़ते तो हैं, लेकिन शिकायतकर्ता के अभाव में उन्हें डांट-फटकार कर छोड़ना पड़ता है। लेकिन शिकायतकर्ता के होने पर उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। हम उन्हें मेट्रो पुलिस के हवाले कर देते हैं। जहांगीरपुरी-हुडडा सिटी सेंटर तथा द्वारका सेक्टर-21-नोएडा/वैशाली रूट पर ये ज्यादा सक्रिय रहती हैं।
2013 में माहवार पकड़ी गई पॉकेटमार :
माह महिला पॉकेटमार
जनवरी 73
फरवरी 34
मार्च 37
अप्रैल 16
मई 46
जून 115
जुलाई 7
अगस्त 5
सितंबर 28
अक्टूबर 26
नवंबर 28
दिसंबर 6
कुल ---- 421
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