Move to Jagran APP

असम के शिविरों से भागने लगे बांग्लादेशी घुसपैठिए

जागरण ब्यूरो [नई दिल्ली]। स्थानीय प्रशासन की सख्ती के बाद असम के राहत शिविरों में शरण लेने वाले घुसपैठिए बांग्लादेश भागने लगे हैं। जुलाई में हिंसा के बाद असम में लगभग दो लाख लोग अब भी राहत शिविरों में रह रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों के शामिल होने की आशंका है। इनकी पहचान कर उन्हें वापस भेजने के लिए 64 न

By Edited By: Published: Wed, 12 Sep 2012 09:35 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2012 10:01 PM (IST)
असम के शिविरों से भागने लगे बांग्लादेशी घुसपैठिए

जागरण ब्यूरो [नई दिल्ली]। स्थानीय प्रशासन की सख्ती के बाद असम के राहत शिविरों में शरण लेने वाले घुसपैठिए बांग्लादेश भागने लगे हैं। जुलाई में हिंसा के बाद असम में लगभग दो लाख लोग अब भी राहत शिविरों में रह रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों के शामिल होने की आशंका है। इनकी पहचान कर उन्हें वापस भेजने के लिए 64 नए ट्रिब्यूनल बनाने की मांग की गई है।

loksabha election banner

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राहत शिविरों में रह रहे लोगों की छानबीन के बाद ही वापस घरों को भेजा जा रहा है। प्रशासन की कड़ाई को देखते हुए राहत शिविरों में छिपे बांग्लादेशी घुसपैठिए भागने लगे हैं। उनके अनुसार अकेले मंगलवार को 500 घुसपैठियों के राहत शिविरों से बांग्लादेश भागने की सूचना मिली है। माना जा रहा है कि जैसे-जैसे शिविरों में रह रहे लोगों की पहचान का काम आगे बढ़ेगा, बांग्लादेश भागने वाले घुसपैठियों की संख्या बढ़ सकती हैं।

राज्य सरकार ने अवैध रूप से राज्य में रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया तेज करने के साथ ही केंद्र सरकार से घुसपैठियों के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई करने वाले 64 नए ट्रिब्यूनल बनाने की मांग की है। फिलहाल असम में ऐसे 34 ट्रिब्यूनल हैं।

गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि असम में तीन लाख 10 हजार बांग्लादेशी घुसपैठियों से संबंधित केस ट्रिब्यूनल में हैं। असम सरकार की मांग पर जल्द ही उचित फैसला लिया जाएगा।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.