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..अब महज इशारों में बात करते हैं अटल जी

अटल बिहारी वाजपेयी भारत के इतिहास में उन चुनिंदा नेताओँ में शामिल हैं जिन्होंने सिर्फ अपने नाम, व्यक्तित्व और करिश्मे के बूते पर सरकार बनाई। पिता-पुत्र ने साथ की पढ़ाई, बचपन में गए थे जेल और ढेर सारी ऐसी ही अटल जी के बारे में अनसुनी बातें..

By Edited By: Published: Tue, 25 Dec 2012 09:07 AM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2012 11:50 AM (IST)
..अब महज इशारों में बात करते हैं अटल जी

नई दिल्ली। अटल बिहारी वाजपेयी भारत के इतिहास में उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने सिर्फ अपने नाम, व्यक्तित्व और करिश्मे के बूते पर सरकार बनायी। 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आज 88 वर्ष के हो गए। आइए हम उनके बारे में कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं जो शायद आप नहीं जानते हो।

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बचपन में गए जेल

अगस्त क्रांति के दौरान अटल जी पुलिस की लपेट में आ गए। उस समय वे नाबालिग थे। इसलिए उन्हें आगरा जेल की बच्चा-बैरक में रखा गया। चौबीस दिनों की अपनी इस प्रथम जेलयात्रा के संस्मरण वे हंस-हंसकर सुनाते हैं।

पिता-पुत्र दोनों ने साथ की पढ़ाई

अटलजी और उनके पिता दोनों ने कानून की पढ़ाई में एक साथ प्रवेश लिया। हुआ यह कि जब अटलजी कानून पढ़ने डीएवी कॉलेज, कानपुर आना चाहते थे, तो उनके पिताजी ने कहा- मैं भी तुम्हारे साथ कानून की पढ़ाई शुरू करूंगा। छात्रावास में ये पिता-पुत्र दोनों साथ ही एक ही कमरे में छात्र-रूप में रहते थे। झुंड के झुंड लड़के उन्हें देखने आया करते थे।

नेहरू ने कहा एक दिन पीएम जरूर बनोगे

प्रतिभा के धनी अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एक बार कहा था कि यह लड़का एक दिन प्रधानमंत्री जरूर बनेगा।

इसे पढ़कर बदल गई जिन्दगी

महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति विजय पताका पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। यही वह कृति जिसने अटल जी के जीवन को दिशा दी।

सबसे सुखद क्षण

1977 में जनता पार्टी सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया और वह इसे अपने जीवन का अब तक का सबसे सुखद क्षण बताते हैं। पीएम बनने से ज्यादा खुशी अटल जी को इस याद से मिलती है।

टीवी देखकर बीतता है दिन

अब अटल बिहारी वाजपेयी बोल नहीं पाते हैं। पैरालिसिस ने उनकी वाणी को विराम भले ही दे दिया हो मगर वे चैतन्य हैं। इशारों में संवाद करते हैं। 20 सालों में करीब दस सर्जरी हुई हैं उनकी। डॉक्टरों की मौजूदगी में नियमित फिजियोथेरेपी के बाद ज्यादा वक्त टीवी के सामने गुजरता है।

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