एक्शन में केजरीवाल, दहशत में अधिकारी
आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही एक्शन में आ गए हैं। इससे अधिकारी दहशत में हैं। उन्हें नजर आने लगा है कि अब लेटलतीफी नहीं चलेगी और काम करके दिखाना होगा। केजरीवाल ने बुधवार को मुख्य सचिव दीपक मोहन स्पोलिया
नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही एक्शन में आ गए हैं। इससे अधिकारी दहशत में हैं। उन्हें नजर आने लगा है कि अब लेटलतीफी नहीं चलेगी और काम करके दिखाना होगा। केजरीवाल ने बुधवार को मुख्य सचिव दीपक मोहन स्पोलिया को तलब कर उन्हें अपना घोषणा पत्र सौंपा और 19 फरवरी तक इस पर एक्शन प्लान तैयार करने का निर्देश दिया। वहीं, भावी मुख्यमंत्री की हैसियत से केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रियों से मिलने पहुंचे अरविंद केजरीवाल ने उनके समक्ष दिल्ली के मुद्दे भी रख दिए।
आपको बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने अपने चुनाव घोषणापत्र में 70 बिंदुओं का जिक्र किया था। ये सभी मुद्दे दिल्ली के विकास से जुड़े हैं। केजरीवाल चाहते हैं कि जो मुद्दे दिल्ली सरकार के स्तर के नहीं हैं उनके बारे में अभी से केंद्र सरकार के सामने बात रखी जाए। यही कारण है कि अभी तक केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी नहीं ली है और केंद्र सरकार से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर उन्होंने बात शुरू कर दी है। दिल्ली के लोगों की बात करें तो आप की सरकार के आने से दिल्ली की जनता बहुत उत्साहित है, मगर जनता में धैर्य भी देखा जा रहा है। लोग समझने लगे हैं कि केजरीवाल के पास जादू की छड़ी नहीं है कि एकाएक सभी चीजें ठीक हो जाएंगी।
घोषणापत्र के सभी 70 बिन्दू महत्वपूर्ण
आप की नीतिगत मामलों की बात करें तो पार्टी के लिए घोषणापत्र के सभी 70 बिंदू महत्वपूर्ण हैं। मगर केजरीवाल का पहला लक्ष्य भ्रष्टाचार को दूर करना है। दूसरा अनधिकृत कॉलोनियों का विकास कराना और तीसरा सस्ती बिजली एवं पानी उपलब्ध कराना है। इसके अलावा सब्जी व खाने पीने की वस्तुओं के दामों पर लगाम लगाने के लिए भी पहले चरण में काम होने जा रहा है।
आप की जीत से बिजली कंपनियों में घबराहट
दिल्ली के उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने का वादा करने वाली आप को यहां के मतदाताओं ने प्रचंड बहुमत दिया है। इससे उन्हें सस्ती बिजली मिलने की उम्मीद तो है लेकिन उनके घरों तक बिजली पहुंचाने वाली कंपनियों में खलबली मच गई है। उन्हें यह डर सताने लगा है कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अरविंद केजरीवाल उनके खातों की जांच कराने के मामले को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे। इसके साथ ही दिल्ली में बिजली की दरें भी नहीं बढ़ेगी।
राजधानी में बिजली वितरण करने वाली कंपनियां (डिस्कॉम) अरविंद केजरीवाल के निशाने पर हैं। वह उन पर अनियमितता का आरोप लगाते रहे हैं और पिछली बार मुख्यमंत्री बनने पर उनके खातों की महालेखा परीक्षक एवं नियंत्रक (कैग) से जांच कराने का निर्देश भी दिया था, लेकिन इसमें ज्यादा प्रगति नहीं हुई है। इस बारे में कैग ने दिल्ली हाई कोर्ट से शिकायत भी की थी कि बिजली कंपनियां ऑडिट में सहयोग नहीं कर रही हैं। आप नेताओं ने इस बार भी चुनाव प्रचार में बिजली कंपनियों पर निशाना साधा था। उनका कहना था कि दिसंबर, 2013 में आप की सरकार ने टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड और बीएसईएस की दोनों बिजली वितरण कंपनियों की जांच का आदेश दिया था, लेकिन बाद में इस आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया। यदि उनकी सरकार बनी तो वह जांच को आगे बढ़ाएंगे। हालांकि, बीएसईएस का कहना है कि बिजली कंपनियों के खातों की जांच का काम प्रगति पर है और वे पूरा सहयोग कर रहे हैं। बीएसईएस ने आप की जीत पर बधाई देते हुए दिल्ली सरकार के साथ मिलकर काम करने की बात कही है। कंपनी का कहना है कि गर्मी में मांग बढ़ने पर उपभोक्ताओं को बिना किसी परेशानी के बिजली उपलब्ध कराने को तैयार है।
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