Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जम्‍मू कश्‍मीर में भारतीय सेना के हौंसले बुलंद, आतंकियों पर ढहा रही कहर

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Fri, 02 Jun 2017 04:34 PM (IST)

    भारतीय सेना इन दिनों आतंकियों के लिए काल साबित हो रही है। सेना ने आतंकियों के खिलाफ जो रणनीति बनाई है वह वास्‍तव में काबिले तारीफ है। ...और पढ़ें

    Hero Image
    जम्‍मू कश्‍मीर में भारतीय सेना के हौंसले बुलंद, आतंकियों पर ढहा रही कहर

    पीयूष द्विवेदी

    जम्मू-कश्मीर में इन दिनों भारतीय सेना आतंकवादियों के खिलाफ अत्यंत कठोर रुख अपनाए हुए है। सरकार की तरफ से पूरी छूट मिलने के बाद जवानों के हौसले बुलंद हैं और वे आतंकियों के लिए कहर की तरह साबित होते नजर आ रहे। जवानों पर जब-तब कायराना हमले कर बिल में दुबक जाने वाले आतंकियों को खोज-खोज कर खत्म करने की कारगर रणनीति सेना ने अपनाई हुई है। सेना और ख़ुफिया तंत्र के बीच तालमेल के जरिये इस रणनीति को अंजाम दिया जा रहा है। इसी रणनीति पर चलते हुए पिछले दिनों जवानों ने चौबीस घंटे के अंदर दस आतंकियों को ढेर कर दियाए जिनमें हिजबुल मुजाहिद्दीन का स्थानीय कमांडर सबजार अहमद बट भी शामिल था। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पाकिस्तान प्रेरित आतंक और पाकिस्तानी सेना को जवाब देने के मामले में भी सेना के जवानों ने अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन किया है। नौशेरा में अत्याधुनिक हथियारों के जरिये दूर से ही जिस तरह से सेना ने पाकिस्तानी चौकियों को तबाह किया है वह काबिले तारीफ है। ऊपर-ऊपर पाकिस्तान भले ऐसे किसी हमले को न स्वीकार करे मगर अंदर ही अंदर तो यह उसके लिए बड़ी चेतावनी की तरह साबित हुआ होगा। पिछली सर्जिकल स्ट्राइक जवानों ने उसकी सरहद में घुसकर की थी अब की अपनी सरहद में रहकर ही उसे हिला दिया है। निस्संदेह इन सब वीरताओ का श्रेय सेना को जाता हैए मगर दृढ़ इच्छाशक्ति परिचय देने के लिए मौजूदा सरकार भी सराहना की पात्र है।

    आतंकियों के साथ सरकार की सख्ती कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर भी है। उनको मिलने वाली सुरक्षा और सुविधाओं आदि में तो सरकार गत वर्ष ही कटौती की पहल कर चुकी है और अब एक स्टिंग में इन अलगाववादी नेताओं के पाकिस्तान से संबंधों के उजागर होने के बाद इन पर और शिकंजा कसता जा रहा है। एक टीवी चैनल द्वारा किए गए इस स्टिंग में हुर्रियत कांफ्रेंस के एक अलगाववादी नेता को यह कहते हुए देखा और सुना गया कि उन्हें कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए पाकिस्तान से हवाला के जरिये पैसे भेजे जाते हैं। यह अलगाववादी नेता यह भी स्वीकारता नजर आया कि वे पत्थरबाजी से लेकर आगजनी तक तमाम तरीकों के द्वारा कश्मीर में अशांति फैलाते हैं।

    इस स्टिंग के बाद तत्काल राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा नईम खान समेत कई अलगाववादी नेताओं की जांच-पड़ताल शुरू कर दी गई है। दरअसल, अलगाववादी संगठन आतंकी संगठनों से अधिक खतरनाक हैं क्योंकि यह देश के छिपे हुए दुश्मन हैं। लिहाजा केंद्र की मौजूदा सरकार से अपेक्षित है कि वह नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मामलों में जैसी दृढ इच्छाशक्ति का परिचय दे चुकी है वैसी ही इच्छाशक्ति का एक बार फिर परिचय देते हुए इन अलगाववादी संगठनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए तथा इन पर यथासंभव कठोर कार्यवाही करे।

    यह कदम न केवल कश्मीर के हालात सुधारने के मद्देनजर आवश्यक हैं बल्कि देश के समक्ष देश की सरकारों की कश्मीर नीति को लेकर जो एक भ्रमपूर्ण स्थिति बनी रही है उसका निराकरण करने की दृष्टि से भी इनकी अत्यंत आवश्यकता है। केंद्र सरकार के कड़े रुख का ही नतीजा है कि कश्मीर में अलगाववादी तत्व बौखलाए हुए हैं जिसे समङो जाने की जरूरत है। हमें कश्मीर में शांति बहाल करने के लिए वहां के युवा के रोजगार मुहैया कराने वाले कदम उठाने चाहिए। पुलिस में जाने की कश्मीर युवाओं की चाहत से समझा जा सकता है कि वहां रोजगार की कितनी जरूरत है।

    हम पाकिस्तान से अपेक्षा करते हैं कि वह अपने देश में जमात-उद-दावा, अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों को प्रतिबंधित करे वहीं दूसरी तरफ हम अपने देश में इन अलगाववादी संगठनों को पालने रहे हैं। निस्संदेह सरकारों की कश्मीर के संबंध में तुष्टिकरण की राजनीति से प्रेरित नीतियां ही काफी हद तक जिम्मेदार रही हैं। बहरहाल, पिछली सरकारों ने जो किया सो किया लेकिन वर्तमान सरकार जम्मू-कश्मीर को नुकसान पहुंचाने वाले हर तत्व के खिलाफ एकदम कठोर नजर आ रही है। फिर चाहें वह पाकिस्तान की तरफ से प्रेरित आतंकी हों या जम्मू-कश्मीर को अपनी स्वार्थपूर्ति का साधन बनाने वाले अलगाववादी इन सब के खिलाफ केंद्र सरकार आवश्यकतानुरूप सख्त रुख का परिचय देती नजर आ रही है।

    (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)