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    सेना-खुफिया तंत्र सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो पब्लिक करने के पक्ष में नहीं

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Wed, 05 Oct 2016 09:03 PM (IST)

    पीओके में भारतीय सेना की तरफ से की गई सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो सार्वजनिक ना करने की सेना, सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने सलाह दी है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सर्जिकल स्ट्राइक के साक्ष्य का खुलासा करने को लेकर शुरू हुई सियासत के बीच सेना, सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने फिलहाल इसके वीडियो फुटेज जारी नहीं करने की सलाह दी है। सेना और खुफिया एजेंसी रॉ ने सरकार से कहा है कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आतंकवाद के खिलाफ प्रहार को लेकर भारत की बदली रणनीति के मद्देनजर इस आपरेशन के वीडियो का खुलासा करना सुरक्षा रणनीति के लिहाज से ठीक नहीं होगा। शायद सेना नहीं चाहती है कि भविष्य को लेकर उनकी किसी तैयारी का संकेत जाए। हालांकि पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए अनौपचारिक रुप से सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ी जानकारियों को सामने लाने का दांव सरकार अपना सकती है।

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    पढ़ें- पाक संसद से नवाज शरीफ ने दी भारत को चेतावनी, कहा- हमारी सेना तैयार

    सरकार ने भी अपनी सुरक्षा-खुफिया तंत्र की सलाह और सेना की सीमा पर मौजूदा रणनीति को ध्यान में रखते हुए सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो फुटेज अभी जारी नहीं करने का संकेत दिया है। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक में भी सर्जिकल आपरेशन के साक्ष्य पेश करने की कुछ सियासी नेताओं और पार्टियों की ओर से उठाए सवालों पर भी चर्चा हुई। इस चर्चा में सरकार का आकलन था कि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस समेत मुख्य धारा की अधिकांश पार्टियों ने अभी तक आधिकारिक रुप से न सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए हैं। न ही इन पार्टियों ने वीडियो फुटेज जैसे साक्ष्य जारी करने की बात उठाई है। इसलिए कुछ एक नेताओं और पार्टियों जो ऐसी मांग कर रहे हैं उनके सियासी दबाव में वीडियो जारी करने की फिलहाल जरूरत नहीं।

    उच्चपदस्थ सरकारी सूत्रों के मुताबिक बेशक सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो अभी जारी नहीं किए जाएंगे। लेकिन अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से सरकार पीओके में भारतीय सेना की सर्जिकल कार्रवाई से जुड़े दूसरे साक्ष्यों को धीरे-धीरे सामने लाने का रास्ता अपनाएगी। ताकि सर्जिकल कार्रवाई नहीं होने का झूठ बोल रहे पाकिस्तान को बेनकाब भी किया जा सके। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में वीडियो फुटेज के अलावा सर्जिकल कार्रवाई से जुड़े दूसरे साक्ष्य सामने आएंगे।

    पढ़ें- पीओके में की गई सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो सेना ने सरकार को सौंपा

    खुफिया-सुरक्षा एजेंसियों का आकलन है कि वीडियो जारी करना सीमा पर जारी मौजूदा तनाव में आगे की किसी आक्रामक कार्रवाई के लिहाज से उचित नहीं है। साथ ही इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की सैन्य आक्रामकता का गलत संदेश जा सकता है। क्योंकि इसमें सीधे तौर पर पाकिस्तान पर प्रहार का मसला तूल पकड़ सकता है। जबकि अभी तक सर्जिकल कार्रवाई को हम पीओके में आतंकवादियों के खिलाफ आपरेशन बता रहे हैं। वहीं सेना का कहना है कि आपरेशन के वीडियो सामने लाने से दुश्मन को हमारी सैन्य रणनीति को अंजाम देने के तौर-तरीकों का आभास हो सकता है। इसीलिए तत्काल वीडियो जारी नहीं किया जा रहा है। सर्जिकल कार्रवाई का मामला नरम होने पर सरकार जरूरी समझेगी तो भविष्य में सेना को भरोसे में लेने के बाद ही वीडियो जारी करने को लेकर विचार कर सकती है।

    सर्जिकल स्ट्राइक के हैं सबूत, पर जारी नहीं होंगे

    सेना, सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने गुलाम कश्मीर में आतंकी कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो फुटेज फिलहाल जारी नहीं करने की सलाह दी है। सेना और खुफिया एजेंसी रॉ ने सरकार से कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ प्रहार को लेकर भारत की बदली रणनीति के मद्देनजर इस ऑपरेशन के वीडियो को सार्वजनिक करना सुरक्षा रणनीति के लिहाज से ठीक नहीं होगा। सरकार ने संभवत: इसीलिए सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो फुटेज अभी जारी नहीं करने के संकेत दिए हैं। हालांकि पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए अनौपचारिक रुप से सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ी जानकारियों को सामने लाने का दांव सरकार अपना सकती है।

    उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक में सर्जिकल ऑपरेशन के साक्ष्य पेश करने की कुछ सियासी नेताओं और पार्टियों की ओर से उठाए सवालों पर भी चर्चा हुई। इस चर्चा में सरकार का आकलन था कि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस समेत मुख्य धारा की अधिकांश पार्टियों ने अभी तक आधिकारिक रूप से न तो सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए हैं, न ही वीडियो फुटेज जैसे साक्ष्य जारी करने की बात उठाई है। इसलिए कुछेक नेताओं और पार्टियों की ऐसी मांग के दबाव में वीडियो जारी करने की फिलहाल जरूरत नहीं।

    सूत्रों के मुताबिक, बेशक सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो अभी जारी नहीं किए जाएंगे। लेकिन अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से सरकार गुलाम कश्मीर में भारतीय सेना की सर्जिकल कार्रवाई से जुड़े दूसरे साक्ष्यों को धीरे-धीरे सामने लाने का रास्ता अपनाएगी ताकि सर्जिकल कार्रवाई नहीं होने का झूठ बोल रहे पाकिस्तान को बेनकाब भी किया जा सके।

    सुरक्षा के खयाल से उचित नहीं:

    खुफिया-सुरक्षा एजेंसियों का आकलन है कि वीडियो जारी करना सीमा पर जारी मौजूदा तनाव में आगे की किसी आक्रामक कार्रवाई के लिहाज से उचित नहीं है। साथ ही इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की सैन्य आक्रामकता का गलत संदेश जा सकता है। इसमें सीधे तौर पर पाकिस्तान पर प्रहार का मसला तूल पकड़ सकता है जबकि अभी तक सर्जिकल कार्रवाई को हम गुलाम कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन बता रहे हैं। सर्जिकल कार्रवाई का मामला नरम होने पर सरकार जरूरी समझेगी तो भविष्य में सेना को भरोसे में लेने के बाद ही वीडियो जारी करने को लेकर विचार कर सकती है।

    इसलिए नहीं जारी होंगे सबूत:

    1. सुरक्षा और सामरिक हितों पर विपरीत असर पड़ेगा।
    2. दुनिया भर में ऐसी कार्रवाइयों के सबूत देने की कोई परंपरा नहीं।
    3. ओसामा बिन लादेन के खात्मे के सबूत अमेरिका ने भी नहीं दिए थे।
    4. दुश्मन देश हमारी सैन्य और कमांडो क्षमता और तैयारी समझ लेंगे।
    5. विश्व मंचों पर भारत के खिलाफ सबूत के रूप में पेश किए जाएंगे।