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अमेरिका-ईरान की वजह से मिडिल ईस्‍ट में बसे 10 लाख भारतीयों पर संकट के बादल!

अमेरिका और ईरान के बढ़ते तनाव ने मिडिल ईस्‍ट को खतरे में डाल दिया है। इसके साथ ही यहां रहने वाले भारतीयों पर भी संकट के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 12:30 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 09:03 AM (IST)
अमेरिका-ईरान की वजह से मिडिल ईस्‍ट में बसे 10 लाख भारतीयों पर संकट के बादल!
अमेरिका-ईरान की वजह से मिडिल ईस्‍ट में बसे 10 लाख भारतीयों पर संकट के बादल!

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ईरानी कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी ड्रॉन हमले में मौत के बाद दोनों ही तरफ से कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे में तीन दशक के बाद एक बार फिर ईरान-इराक समेत पूरे मिडिल ईस्‍ट में बसे भारतीयों पर भी संकट के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं। आपको यहां पर ये भी बता दें कि तीन दशक पहले जब इराक ने कुवैत पर हमला किया था उस वक्‍त वहां पर रहने वाले कुछ भारतीयों की मदद से भारत सरकार ने सबसे बड़ा रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन चलाया था। इस दौरान एयर इंडिया के विमानों ने 58 दिनों तक नॉनस्‍टॉप 488 उड़ानें भरकर करीब 1 लाख 70 हजार लोगों को समय रहते रेस्‍क्‍यू किया था। यह दुनिया का सबसे बड़ा रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन भी था।

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खाड़ी युद्ध के बाद एक बार फिर संकट में मिडिल ईस्‍ट

वर्तमान में एक बार फिर से यही हालात भारत सरकार और भारतीयों के सामने खड़े होते दिखाई दे रहे हैं। यह हालात इसलिए भी गंभीर होते दिखाई दे रहे हैं क्‍योंकि बुधवार को तेहरान से यूक्रेन जा रहा एक विमान हवा में क्रेश हो गया। आशंका जताई जा रही है कि यह विमान किसी तकनीकी खामी से नहीं बल्कि अमेरिकी हमले में गिराया गया है। इस घटना में विमान में सवार सभी 170 यात्रियों की मौत हो गई है। इस आशंका की एक वजह ये भी है क्‍योंकि 1988 में अमेरिका ने इसी तरह से एक विमान को मार गिराया था। इतना ही नहीं इसके लिए अमेरिका ने माफी तक नहीं मांगी थी, जिसके बाद ईरान ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था। इसमें दस भारतीयों समेत कुल 280 यात्री मारे गए थे। अमेरिका-ईरान के बीच फैले तनाव के बीच भारत ने विमानों के लिए एडवाइजरी जारी की है कि वह ईरान के हवाई क्षेत्र का उपयोग करने से बचें।

मिडिल ईस्‍ट का संकट

अमेरिका की वजह से तनाव केवल ईरान-इराक या अमेरिका के बीच ही महसूस नहीं किया जा रहा है बल्कि इसका तनाव पूरे मिडिल ईस्‍ट में देखा जा रहा है। इस मुद्दे पर इस क्षेत्र के देश भी काफी कुछ बंटे हुए हैं। आपको बता दें कि मिडिल ईस्‍ट में कुल 18 देश शामिल हैं। इनमें ईरान, इराक, यमन, यूएई, तुर्की, सीरिया, सऊदी अरब, कतर, फिलीस्‍तीन, ओमान, लेबनान, कुवैत, जोर्डन, इजरायल, मिस्र, साइप्रस, बहरीन और अकरोत्री शामिल हैं। इन देशों में करीब दस लाख भारतीय रहते हैं।

मिडिल ईस्‍ट के देशों में बसे दस लाख भारतीय  

वर्तमान में जो तनाव फैला है उसकी वजह से इन दस लाख लोगों का जीवन भी कहीं न कहीं मुश्किल में पड़ गया है। हालांकि भारत सरकार इस पूरे मामले पर अपनी पैनी नजर रखे हुए है और लगातार भारतीयों के लिए एडवाइजरी भी जारी कर रही है। आपको बता दें कि ईरान में जहां 4273 भारतीय रहते हैं वहीं इराक में करीब दस हजार भारतीय काम करते हैं।

कहां कितने भारतीय

मिडिल ईस्‍ट के इन देशों में सबसे अधिक भारतीय यूएई में रहते हैं। यहां पर करीब 3105486 भारतीय रहते हैं।वहीं दूसरे नंबर पर सऊदी अरब आता है, जहां 2814568 भारतीय रहते हैं। तीसरे नंबर पर कुवैत है जहां 929903 भारतीय रहते हैं। पांचवें और छठे नंबर पर कतर और ओमान आता है। इसके बाद बहरीन, इजरायल, जोर्डन, यमन, इराक, लेबनान, साइप्रस, ईरान, मिस्र, तुर्की, सीरिया और फिलीस्‍तीन आते हैं। आपको ये भी बता दें कि भारत सरकार के इन आंकड़ों में 2018 तक इन देशों में बसने वाले भारतीयों का जिक्र किया गया है।   

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