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    ......और नाराज महबूबा मुफ्ती ने प्रेस कांफ्रेंस को अधूरा छोड़ दिया

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Thu, 25 Aug 2016 06:31 PM (IST)

    इसी दौरान एक पत्रकार ने कह दिया कि अब यहां खुली बगावत हो रही है,लोग आजादी मांग रहे हैं। इन सवालों से वह उत्तेजित हो गई।

    राज्य ब्यूरो ,श्रीनगर। अक्सर अपनी आलोचना को हंसकर सुनने वाली मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती गुरुवार को कश्मीर के मौजूदा हालात पर अपनी सरकार के रवैये पर तीखे सवालों पर उत्तेजित हो संयम खो बैठी और प्रेस वार्ता को बीच में ही छोड़ चलती बनीं। हालांकि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मुस्कराते हुए उन्हें शांत रहने का संकेत भी किया, लेकिन तब तक वह अपनी सीट से उठ चुकी थीं।

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    यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि गत बीती आठ जुलाई को आतंकी कमांडर बुरहान की मौत के बाद से घाटी में जारी हिंसाचक्र और कर्फ्यू का आज 48वां दिन था। इस पूरी अवधि में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पहली बार पत्रकारों से संवाद कर रही थीं।

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    कश्मीर के हालात पर चर्चा के दौरान पत्रकारों ने उनसे पूछ लिया कि वह अब कैसे प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों के बल प्रयोग को न्यायोचित्त ठहरा सकती हैं, जबकि विपक्ष में रहते हुए वर्ष 2009 व 2010 में ऐसे हालात पर तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जिम्मेदार ठहराती रही हैं।

    उनसे पूछा गया कि वह किस आधार पर कहती हैं कि सिर्फ पांच प्रतिशत लोग ही आजादी की मांग करते हैं। इसी दौरान एक पत्रकार ने कह दिया कि अब यहां खुली बगावत हो रही है,लोग आजादी मांग रहे हैं। इन सवालों से वह उत्तेजित हो गई। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि मेरा मतलब है कि 95 प्रतिशत शांतिपूर्ण तरीके से कश्मीर समस्या का हल चाहते हैं, शेष पांच प्रतिशत लोग हिंसा में यकीन रखते हैं। उन्होंने इस मूवमेंट पर कब्जा कर लिया है। वह हमारे बच्चों को मरवा रहे हैं, उन्हें अंधा कर रहे हैं। हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है। मैं भी कश्मीर समस्या का हल चाहती हूं, लेकिन हिंसा नहीं। अगर आप किसी कार्य को बदनाम करना चाहते हैं तो आप हिंसा शुरु कर दीजिए।

    उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है। मैंने टास्क फोर्स के वाहन देखते ही जान बचाने के लिए भाग खड़े होने वाले युवकों को चाकूओं से बचाया है, दक्षिण कश्मीर में लोगों को सुरक्षाबलों की बेगारी से बचाया है।

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    उनकी बात को काटते हुए कई पत्रकारों ने कहा कि यहां कश्मीर में लोग आजादी मांग रहे हैं, लेकिन तब तक वह पूरी तरह उत्तेजित हो उठी थी। उन्होंने अपनी सीट से उठते हुए पत्रकारों से कहा कि बहुत हो गया, अब आप चाय पीजिए और उठकर चलती बनी।