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दलों और सांसदों के चुनाव खर्च घोषणा में अंतर

राजनीतिक दलों और उनके सांसदों द्वारा घोषित चुनाव खर्चे में विसंगतियां पाई गई हैं। दलों ने सांसदों को जितनी राशि दी और सांसदों जो राशि बताई उसमें अंतर है। यानी दोनों में से कोई एक सही आंकड़ा नहीं दे रहा है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2015 10:10 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2015 10:31 PM (IST)
दलों और सांसदों के चुनाव खर्च घोषणा में अंतर

नई दिल्ली । राजनीतिक दलों और उनके सांसदों द्वारा घोषित चुनाव खर्चे में विसंगतियां पाई गई हैं। दलों ने सांसदों को जितनी राशि दी और सांसदों जो राशि बताई उसमें अंतर है। यानी दोनों में से कोई एक सही आंकड़ा नहीं दे रहा है।

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चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉ‌र्म्स (एडीआर) ने दावा किया कि राजनीतिक दलों और उनके प्रत्याशियों की घोषणाओं का विश्लेषण करने पर यह पाया गया। एडीआर के मुताबिक, एकमुश्त मिली राशि के संबंध में 33 फीसद सांसदों की घोषणा उनकी पार्टी द्वारा दी गई राशि की घोषणा से मेल नहीं खाती है। राष्ट्रीय दलों के 342 सांसदों में से 263 सांसदों ने अपने दलों से 75.58 करोड़ रुपये मिलने की घोषणा की। जबकि राष्ट्रीय दलों ने केवल 175 सांसदों को 54.73 करोड़ रुपये देने की घोषणा की।

एडीआर के मुताबिक, भाजपा ने 17 सांसदों को कुल 1.22 करोड़ रुपये देने की बात कही है। प्रत्येक को 10 लाख रुपये से कम या उतनी ही राशि दी। इसके अलावा उसने 142 सांसदों को 47.03 करोड़ रुपये दिए। इसमें प्रत्येक को चुनाव खर्चे के लिए 10 लाख रुपये से अधिक की राशि दी गई। हालांकि भाजपा के 282 सांसदों में से 229 ने 65.88 करोड़ रुपये मिलने की घोषणा की। यह राशि भाजपा द्वारा घोषित राशि से 18 करोड़ अधिक है। एकमुश्त राशि पाने वाले भाजपा के 159 सांसदों में से सिर्फ 105 सांसदों ने दी गई राशि के समान घोषणा की। जबकि 35 सांसदों ने पार्टी से मिली राशि से अधिक की घोषणा की।

एडीआर ने बताया कि कांग्रेस ने चुनाव आयोग के समक्ष सात सांसदों को कुल 2.7 करोड़ रुपये देने की घोषणा की। इनमें से प्रत्येक को 10 लाख से अधिक की राशि दी गई। राकांपा ने पांच सांसदों को 10 लाख से अधिक कुल 2.5 करोड़ रुपये दिए। कांग्रेस के 44 सांसदों में से 18 ने 4.03 करोड़ रुपये मिलने की घोषणा की। जबकि राकांपा के सभी छह सांसदों ने 2.79 करोड़ रुपए मिलने की बात कही।

एडीआर ने कहा कि विसंगतियां को देखते हुए प्रत्याशियों और दलों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को क्रास चेक करने की व्यवस्था को अनिवार्य कर देना चाहिए। चुनाव आयोग को परिणाम घोषित होने के छह महीने के भीतर खर्च के ब्योरे की जांच कर गलत सूचना देने वाले दलों और प्रत्याशियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।


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