भाजपा को रोकने के लिए राष्ट्रपति से मिले केजरीवाल
प्रदेश में नई सरकार को लेकर सुगबुगाहट तेज होने और भाजपा द्वारा सरकार बनाने की तैयारी को देख आम आदमी पार्टी [आप] के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल शनिवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले और ज्ञापन दिया। उनके साथ संजय सिंह, आशुतोष के अलावा 21 विधायक भी थे।
नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। प्रदेश में नई सरकार को लेकर सुगबुगाहट तेज होने और भाजपा द्वारा सरकार बनाने की तैयारी को देख आम आदमी पार्टी [आप] के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल शनिवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले और ज्ञापन दिया। उनके साथ संजय सिंह, आशुतोष के अलावा 21 विधायक भी थे।
मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा दिल्ली में सरकार बनाना चाहती है। अगर भाजपा ऐसा करती है तो यह जनतंत्र की हत्या होगी। उन्होंने कहा कि सदन में भाजपा का आंकड़ा बहुमत से दूर है। ऐसे में बिना जोड़-तोड़ के सरकार बनाई ही नहीं जा सकती है। इसलिए राष्ट्रपति होने के नाते वह भाजपा की कोशिश को कामयाब न होने दें।
ज्ञापन में आप ने लिखा है कि उसने सात महीने पहले विधानसभा भंग करने की सिफारिश के बाद इस्तीफा दे दिया था। तब से विधानसभा निलंबित अवस्था में है। आप ने यह सिफारिश इसलिए की थी कि दिल्ली में दोबारा चुनाव हो और बहुमत की सरकार बने।
गणित के हिसाब से यदि कोई बड़ी पार्टी किसी दूसरी पार्टी को समर्थन न दे तो किसी के लिए सरकार बनाना संभव नहीं है। आप और कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह सरकार बनाने के पक्ष में नहीं है और न ही वे किसी और पार्टी को समर्थन देंगे।
मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए केजरीवाल ने ज्ञापन में लिखा है कि उपराज्यपाल नजीब जंग ने एक सिफारिश भेजी है, जिसमें कहा गया है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए। इस तरह कि सिफारिश दूसरे दलों के लिए तोड़-फोड़ और विधायकों की खरीद फरोख्त से दिल्ली में सरकार बनाने का खुला आमंत्रण है। संविधान में इसकी साफ मनाही है।
खड़े किए सवाल
-भाजपा ने गत वर्ष दिसंबर में चुनाव नतीजे आने के बाद सरकार बनाने से साफ तौर से इन्कार कर दिया था, अब क्या हाथ लग गया जो भाजपा नेता सरकार बनाने के लिए तैयार हैं।
- वर्तमान में भाजपा के विधायकों की संख्या 32 से घटकर 29 हो गई है। भाजपा ने दिसंबर में लिखा अपना वह पत्र भी वापस नहीं लिया है जिसमें पार्टी ने सरकार बनाने की असमर्थता जताई थी। ऐसे में कौन सी ऐसी परिस्थितियां हैं जिसकी वजह से उपराज्यपाल को अपने पुराने फैसले पर पुनर्विचार करना पड़ा?
- यदि मीडिया में आ रही खबरें सही हैं तो उपराज्यपाल ने किस आधार पर सिफारिश की कि भाजपा को सरकार बनाने का न्योता मिलना चाहिए?
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।