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    जाधव मामला: पाक की घर में किरकिरी, विशेषज्ञ बोले- अधूरी थी तैयारी

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Thu, 18 May 2017 06:29 PM (IST)

    अंतरराष्ट्रीय अदालत के अंतरिम फैसले के बाद पाकिस्तान अपने घर में ही घिरता नजर आ रहा है।

    जाधव मामला: पाक की घर में किरकिरी, विशेषज्ञ बोले- अधूरी थी तैयारी

    नई दिल्ली, जेएनएन। कुलभषण जाधव के मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत की बड़ी जीत हुई तो वहीं पाकिस्तान को जोरदार झटका लगा है। अंतरराष्ट्रीय अदालत के अंतरिम फैसले के बाद पाकिस्तान अपने घर में ही घिरता नजर आ रहा है। इस फैसले के बाद भारत के लोगों में जहां खुशी की लहर है तो वहीं पाकिस्तान के लोग सदमे में हैं। पाकिस्तान के नागरिक अब अपने ही वकीलों को कोस रहे हैं।

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    हालांकि पाकिस्तानी विश्लेषक इस बात को लेकर संतुष्ट थे कि आईसीजे के पास जाधव की फांसी पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है लेकिन अब कोर्ट के फैसले के बाद समीक्षकों का कहना है कि हमारे वकीलों की बहस काफी कमजोर और हानिकारक थी।

    पाकिस्तान समाचार डॉन न्यूज के साथ बातचीत में रिटायर्ड जस्टिस शेख उस्मानी ने कहा कि ये फैसला चेतावनी है क्योंकि आईसीजे के पास इसका अधिकार नहीं है। पाकिस्तान ने इस बहस में शामिल होकर गलती की है। उन्होंने अपने पैरों में खुद गोली मारी है। उन्होंने कहा कि जब तक आईसीजे इस पर निर्णय नहीं ले लेती तब तक ये केस पाकिस्तान में जारी रहेगा। लेकिन स्टे ऑर्डर के बाद जाधव को फांसी नहीं दी जा सकती।

    'पाकिस्तान तैयार नहीं था'

    लंदन बेस्ट बैरिस्टर राशिद असलम ने कहा कि पाकिस्तान ने इस केस की परी तैयारी नहीं की थी और बहस के 90 मिनट का ठीक इस्तेमाल नहीं किया। 'पाकिस्तान के पास बहस के लिए 90 मिनट थे लेकिन 40 मिनट बर्बाद कर दिए। मैं हैरान था कि इतने कम समय में हमें बहस क्यों खत्म कर दी। पाकिस्तान के पास वहां एक जज को रखने का अधिकार था लेकिन हमनें ऐसा नहीं किया। मुझे लगता है कि पाकिस्तान पूरी तरह से तैयार नहीं था।

    विशेषज्ञ जाहिद हुसैन कहते हैं कि आईसीजे कानूनी तौर पर नहीं नैतिक तौर पर बाध्यकारी है। आम तौर पर, आईसीजे के फैसले बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार नैतिक जिम्मेदारी होती है।

    'अनुभवहीन थे हमारे वकील'

    पूूर्व अटॉर्नी जनरल इरफान कादिर का कहना है कि ये फैसला चौंकाने वाला है। मुझे लगता है 'यह निर्णय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। मैं हैरान हूं कि पाकिस्तान अदालत में क्यों गया और अपनी दलील रखी। इस केस की पैरवी कर रहे वकील अनुभवहीन हैं। हमारी दलीलों में वजन नहीं था। दलीलों को तर्कसंगत तरीके से रखा जाना चाहिए था।'

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