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    डोनाल्‍ड ट्रंप के राष्‍ट्रपति बनने के बाद कैसे होंंगे भारत-अमेरिका के संबंध

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Mon, 09 Jan 2017 12:07 PM (IST)

    राष्‍ट्रपति के तौर पर डोनाल्‍ड ट्रंप की नीतियों का भारत पर क्‍या असर पड़ेगा, यह सवाल सभी के जहन में है। हालांकि अपने कई संबंधनों में ट्रंप भारत के साथ मजबूत संबंध की बात कह चुके हैं।

    नई दिल्ली (जेएनएन)। अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पद संभालने में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। ऐसे में जहां ट्रंप ने अपनी भावी तैयारियों और रणनीतियों को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है वहीं दुनिया के दूसरे मुल्कों से अमेरिका के संबंध कैसे होंगे, इस पर भी काम करना शुरू कर दिया है। अमेरिका के बड़े कारोबारी से देश के सर्वोच्च स्थान पर पहुंचने वाले डोनाल्ड ट्रंप भारत को लेकर काफी संजीदा हैंं। भारत के साथ संबंधों को लेकर न सिर्फ वह काफी उत्सुक हैं बल्कि उन्होंंने इस बात का सीधा संदेश भी दिया है कि उनके कार्यकाल में दोनों देशों के बीच संबंध और मधुर होंगे। लिहाजा भारत को भी ट्रंप प्रशासन से काफी उम्मीदें हैं।

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    ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के समक्ष कई सारे प्रश्न भी मुंह खोले खड़ेे हैं। इसमें सबसे बड़ा सवाल यही है कि कहीं ट्रंप के कार्यभार संभालने के बाद अमेरिका में काम करने वाले भारतीयों को बाहर का रास्ता न दिखा दिया जाए। मौजूदा समय में अमेरिका में सॉफ्टवेयर डेलवलेपर्स से लेकर आईटी इंडस्ट्री में काफी संख्या में भारतीय पेशेवर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस डर की सबसे बड़ी वजह यह है कि ट्रंप अपने पद संभालने से पहले और अपने चुनावी भाषणों में भी कई बार अमेरिका की नौकरियों को देश के बाहर भेजने या फिर विदेशियों को सौंपने के लिए ओबामा की कड़ी आलोचना करते आए हैं। ऐसे में भारतीयों की नोकरियों पर आने वाले संकट को लेकर भारत की चिंता गैरमामूली नहीं हो सकती है।

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    यहां पर गौर करने वाली बात यह भी है कि 'द प्रोटेक्ट एंड ग्रो अमेरिकन जॉब्स एक्ट' के नाम से एक प्रस्ताव रिपब्लिकन पार्टी के डेरेल ईसा और स्कॉट पीटर्स द्वारा संंसद में रखा जा चुका है। इसके तहत वह अमेरिका में विदेशियों को मिलने वाली नौकरियों पर रोक लगवाना चाहते हैं। वहीं 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने वाले डोनाल्ड ट्रंप का एजेंडा भी आव्रजन नियमों में बदलाव करके अमेरिकी युवाओं के लिए नौकरी का सृजन करना है। इस बाबत उन्होंने श्रम विभाग को पहले ही दिन से सक्रिय हो जाने के लिए कहा है। ऐसे में यदि यह बिल पास हो जाता है तो भारतीय पेशेवरों की समस्या बढ़ सकती है।

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    वहीं दूसरी और चीन और पाकिस्तान के बीच उभर रहे नए समीकरण और चीन से बढ़ती अमेरिका की तल्खी जैसे कई मुद्दे हैं जहां पर अमेरिका को भारत की जरूरत होगी। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि साउथ चाइना सी पर भारत लगातार इंटरनेशनल कोर्ट द्वारा इस संबंध में दिए गए फैसले को मानने की बात कहता रहा है। वहीं दूसरी और अमेरिका लगातार साउथ चाइना सी में अपने पोत भेज रहा है। इसको लेकर दोनों ही देश एक दूसरे को कड़ा संदेश भी दे चुके हैं। ऐसे में अमेरिका की निगाह भारत पर टिकी है। यूं भी अमेरिका को कई देशाें को साधने के लिए कुछ ऐसी जगहों की तलाश है जहां से वह समय रहते दूसरों को नियंत्रित कर सके। इसके लिए उसकी निगाह में भारत बेहतर ऑप्शन हो सकता है।

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    भारत और अमेरिका के संबंधों पर यदि नजर डालेंं तो ओबामा प्रशासन के दौरान दोनों ही देशों के बीच संबंध काफी मजबूत हुए हैं। फिर चाहे वह पाकिस्तान को लेकर अमेरिका का कड़ा रुख रहा हो या फिर भारत को एनएसजी की सदस्यता दिए जाने का मुद्दा रहा हो। इसके अलावा दोनों देशों के बीच हुए कुछ समझौतों ने भी इस दिशा में अहम रोल अदा किया है। हालांकि यहां यह बताना गलत नहीं होगा कि ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में भारतीयों और भारत का काफी जिक्र किया है और अमेरिका के विकास में उनके योगदान को काफी सराहा भी है। इतना ही नहीं उनकी चुनावी टीम में कई भारतीय भी शामिल रहे थे। ऐसे में भारत को ट्रंप प्रशासन से काफी उम्मीद है। हालांकि यह भी सच है कि दोनों देशों के संबंधों को मौजूदा स्तर से आगे ले जाने के लिए ट्रंप प्रशासन को भी काफी कुछ काम करना होगा।

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