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    चौदह सीटों पर माने महागठबंधन के छोटे दल

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    Updated: Thu, 25 Sep 2014 01:43 AM (IST)

    शिवसेना-भाजपा के महागठबंधन में शामिल चार छोटे दलों के साथ सीट बंटवारे का मसला बुधवार की देर रात सुलझ गया। अंतिम फैसले के लिए शिवसेना के साथ इन दलों की बैठक देर रात तक चली और अंतत: 1

    राज्य ब्यूरो, मुंबई। िशवसेना-भाजपा के महागठबंधन में शामिल चार छोटे दलों के साथ सीट बंटवारे का मसला बुधवार की देर रात सुलझ गया। अंतिम फैसले के लिए शिवसेना के साथ इन दलों की बैठक देर रात तक चली और अंतत: 18 सीटों की जिद छोड़ छोटे दल 14 सीटों पर तैयार हुए। इन चार दलों में एक राष्ट्रीय समाज पक्ष के नेता महादेव जानकर ने देर रात यह जानकारी दी।

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    करीब 15 दिन चले गतिरोध के बाद शिवसेना-भाजपा ने अपना सीटों का विवाद मंगलवार की शाम सुलझा लेने का दावा किया था, लेकिन उसके बाद से ही इन दलों के साथ जुड़े छोटे दल अपने हिस्से की सीटों के लिए अड़े हुए थे। छोटे साथी दलों स्वाभिमानी शेतकरी संगठन, राष्ट्रीय समाज पक्ष, शिवसंग्राम सेना व रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की नाराजगी देखते हुए बुधवार सुबह से ही शिवसेना और भाजपा द्वारा इन्हें मनाने का प्रयास किया जा रहा था।

    दोपहर बाद शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने इन दलों के नेताओं को अपने निवास मातोश्री बुलाकर उनसे चर्चा की। इसमें ये चारों दल 18 सीटों की मांग छोड़ कुल 14 सीटों पर लड़ने को तैयार हुए। इस तरह उम्मीद है कि भाजपा अब 130 के बजाय 124 सीटों पर लड़ेगी जबकि शिवसेना 151 की जगह 150 सीटों से अपने उम्मीदवार उतारेगी। भाजपा नेता अंतिम फैसले के लिए गुरुवार को मुंबई आ रहे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का इंतजार करना चाहते थे लेकिन छोटे दल फैसला जल्दी करवाने पर अड़े थे।

    गौरतलब है कि शिवसेना-भाजपा स्वयं क्रमश: 151 व 130 सीटें लेकर चारों छोटे दलों को सात सीटें देकर निपटाना चाहते थे, जो इन दलों को मंजूर नहीं था। चूंकि इनमें से रिपब्लिकन पार्टी को छोड़कर शेष दल भाजपा के कारण ही गठबंधन से जुड़े थे। इसलिए उनका गुस्सा भी भाजपा पर भी फूट रहा है। हालांकि भाजपा अध्यश्र देवेंद्र फड़नवीस ने स्पष्ट कर दिया है कि महागठबंधन के छोटे दलों को साथ लिए बिना भाजपा भी गठबंधन में नहीं रहेगी। समझौता न हो पाने से तीखे तेवर अपनाने वाले स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता सदाभाऊ खोत का कहना है कि हम अपने स्वाभिमान से समझौता करके गठबंधन में नहीं रहेंगे, जबकि राष्ट्रीय समाज पक्ष के नेता महादेव जानकर ने तो इससे पहले यह भी घोषणा कर दी थी कि सम्मानजनक सीटें न मिलने की स्थिति में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन, राष्ट्रीय समाज पक्ष व शिवसंग्राम सेना एक साथ लड़ेंगे और भाजपा-शिवसेना को इन दलों के संयुक्त 14 फीसद मतों का नुकसान उठाना पड़ेगा।

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