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    संघ ने फिर दोहराया, राष्ट्रीयता और डीएनए के आधार पर सभी हिंदू

    By Murari sharanEdited By:
    Updated: Fri, 13 Mar 2015 08:26 PM (IST)

    आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बाद अब संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने भी कहा है कि देश में कोई अल्पसंख्यक नहीं है। संस्कृति, राष्ट्रीयता और डीएनए के आधार पर सभी हिंदू हैं। संघ की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक के पहले दिन पत्रकारों

    नागपुर। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बाद अब संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने भी कहा है कि देश में कोई अल्पसंख्यक नहीं है। संस्कृति, राष्ट्रीयता और डीएनए के आधार पर सभी हिंदू हैं। संघ की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक के पहले दिन पत्रकारों से बात करते हुए होसबोले ने यह बात कही।

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    शुक्रवार को जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या संघ धार्मिक अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए अपने दरवाजे खोलेगा? इसके जवाब में संघ नेता ने कहा कि अल्पसंख्यक आप किसे कहते हैं। मोहन भागवत जी बीसियों बार कह चुके हैं कि भारत में पैदा होने वाले सभी हिंदू हैं।

    लोग चाहे मानें या न मानें, लेकिन राष्ट्रीयता और डीएनए सबकी एक जैसी है। इसलिए किसी के मन में अल्पसंख्यक की अवधारणा ही नहीं होनी चाहिए। तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में कई फैसले लिए जाने की उम्मीद है।

    अनुच्छेद-370 पर कोई समझौता नहीं करेगा संघ

    होसबोले ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि संघ अनुच्छेद-370 को संविधान से हटाने के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार बनाने के लिए भले ही इस मुद्दे से किनारा कर लिया हो, लेकिन संघ के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है।

    हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि संघ जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार की सफलता चाहता है। इसे एक नया प्रयोग बताते हुए उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में सामने आए राजनीतिक गतिरोध महज शुरुआती समस्या है और आगे चलकर सब ठीक हो जाएगा।

    भूमि अधिग्रहण बिल पर किया सरकार का समर्थन

    संघ ने भूमि अधिग्रहण बिल पर सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र को इस मुद्दे पर भारतीय मजदूर संघ और भारतीय किसान संघ से बातचीत करना चाहिए। होसबोले ने कहा कि सरकार द्वारा कुछ संशोधन किए जाने के बाद अब यह बुरा विधेयक नहीं रह गया है। उल्लेखनीय है कि किसान संघ और मजदूर संघ इस बिल का जोरदार विरोध कर रहे हैं।

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