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    विवादित ढांचा विध्वंस मामला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खास बातें

    By Digpal SinghEdited By:
    Updated: Wed, 19 Apr 2017 12:55 PM (IST)

    लखनऊ कोर्ट ने 16 साल पहले तकनीकी आधार पर इन नेताओं से आपराधिक साजिश के आरोपों को हटा लिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर इस मामले में केस चलाए जाने की इजाजत दी है।

    विवादित ढांचा विध्वंस मामला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खास बातें

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिराए जाने के मामले में आडवाणी पर आपराधिक साजिश के आरोपों में केस चलाने की अनुमति दे दी है। अब आडवाणी सहित 13 लोगों पर इस मामले में सुनवाई होगी।

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    विवादित ढांचे से जुड़े फैसले की प्रमुख बातें...

    1. लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व शिक्षामंत्री मुरली मनोहर जोशी और मौजूदा जल संसाधन मंत्री उमा भारती सहित 13 लोगों के खिलाफ विवादित ढांचे को गिराए जाने के मामले में आपराधिक साजिश का मुकदमा चलेगा।

    2. सीबीआई की याचिका को मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन नेताओं पर फिर से 6 दिसंबर 1992 के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाए जाने की इजाजत दी।

    3. लखनऊ कोर्ट में दिन-प्रतिदिन के आधार पर मामले की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 2 साल में पूरी करने को कहा है। इस दौरान सुनवाई करने वाले जज का ट्रांस्फर भी नहीं हो सकता।

    4. विवादित ढांचे को गिराए जाने के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और फिलहाल राजस्थान के गवर्नर कल्याण सिंह पर इस मामले में केस नहीं चलेगा। लेकिन राज्यपाल के पद से हटते ही उन पर भी मामला चलाया जा सकता है।

    5. लखनऊ कोर्ट ने 16 साल पहले तकनीकी आधार पर इन नेताओं से आपराधिक साजिश के आरोपों को हटा लिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर इस मामले में केस चलाए जाने की इजाजत दी है।

    6. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े दो मुकदमे एक साथ चलाने के निर्देश दिए हैं। इनमें से एक मामला लखनऊ में है, जबकि दूसरा रायबरेली में।

    7. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर रही लखनऊ की अदालत को चार सप्ताह में कार्यवाही शुरू करने और यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि नए सिरे से कोई सुनवाई नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि उसके आदेश का शब्दश: पालन होना चाहिए।

    8. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सीबीआई को हर सुनवाई में अभियोजन पक्ष की तरफ से गवाह पेश करना होगा। कोर्ट ने कहा, अगर गवाह उपलब्ध न हो तो सुनवाई स्थगित नहीं होगी।

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