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    चीन सीमा के पास लद्दाख में एयरबेस चालू, वायुसेना प्रमुख हरक्यूलिस विमान से उतरे

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 05:45 AM (IST)

    वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के सी-130जे हरक्यूलिस विमान से उतरने के साथ ही लद्दाख का रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मुध-न्योमा एयरबेस बुधवार को चालू हो गया। यह एयरबेस लगभग 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगभग 25 किमी दूर है। 

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    चीन सीमा के पास लद्दाख में एयरबेस चालू, वायुसेना प्रमुख हरक्यूलिस विमान से उतरे (फोटो- एक्स)

    पीटीआई, नई दिल्ली। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के सी-130जे हरक्यूलिस विमान से उतरने के साथ ही लद्दाख का रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मुध-न्योमा एयरबेस बुधवार को चालू हो गया।

    एयरबेस लगभग 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है

    यह एयरबेस लगभग 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है।

    अधिकारियों ने बताया कि एयरबेस चालू होने से संवेदनशील क्षेत्र में भारतीय सेना की सामरिक तैयारी बढ़ने की उम्मीद है।

    एयरबेस को चालू करने के लिए 218 करोड़ रुपये की परियोजना का कार्यान्वयन सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा किया गया था। इस परियोजना की आधारशिला सितंबर 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा रखी गई थी।

     मुध-न्योमा एयरबेस लद्दाख में चौथा एयरबेस है

    इस एयरबेस का इस्तेमाल लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और परिवहन विमानों द्वारा किया जा सकेगा। मुध-न्योमा एयरबेस लद्दाख में चौथा एयरबेस है।

    अन्य तीन एयरबेस लेह, कारगिल और थोईस में स्थित हैं। कारगिल हवाई पट्टी लगभग 10,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। रक्षा मंत्रालय सामरिक जरूरतों को देखते हुए उन्नत लैंडिंग ग्राउंड सहित एलएसी के निकट सभी हवाई अड्डों पर बुनियादी ढांचा बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

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    वायुसेना ने पश्चिमी क्षेत्र में ''महागुजराज'' अभ्यास किया

    एएनआइ के अनुसार, परिचालन उत्कृष्टता और संयुक्त तैयारियों का प्रदर्शन करते हुए वायुसेना ने 29 अक्टूबर से 11 नवंबर तक पश्चिमी क्षेत्र में ''महागुजराज-25'' अभ्यास किया।

    यह अभ्यास वायु और स्थल से लेकर समुद्री अभियानों में भारतीय वायुसेना की दक्षता प्रदर्शित करता है। सभी उपलब्ध बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए बहुआयामी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने हीरासर (राजकोट) अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से परिचालन किया।