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    अग्नि-5 सबसे शक्तिशाली मिसाइल

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    Updated: Thu, 19 Apr 2012 03:25 PM (IST)

    अत्याधुनिक तकनीक से बनी 17.5 मीटर लंबी एवं 2 मीटर चौड़ी अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने में सक्षम है।

    नई दिल्ली। अत्याधुनिक तकनीक से बनी 17.5 मीटर लंबी एवं 2 मीटर चौड़ी अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने में सक्षम है। भारत से पहले अमेरिका, रूस, फ्रांस एवं चीन ने इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल की ताकत हासिल की हैं।

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    खासियत:-

    इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत है एमआरभीआई तकनीक यानी मल्टीपल इंडीपेंडेंटली टारगेटेबुल री-इंट्री व्हैकिल। इस तकनीक की मदद से इस मिसाइल से एक साथ कई जगहों पर वार किया जा सकता है व एक साथ कई जगहों पर गोले दागे जा सकते हैं। यही नहीं, अलग-अलग देशों के ठिकानों पर एक साथ हमले किए जा सकते हैं।

    रेंज:-

    पांच हजार किलोमीटर तक के दायरे में इस्तेमाल की जाने वाली इस मिसाइल में तीन चरणों का प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है। इसे हैदराबाद की एडभांस सिस्टम लेबेरोटरी] ने तैयार किया है।

    इस्तेमाल:-

    अग्नि 5 मिसाइल का इस्तेमाल बेहद आसान है। इसे रेल सड़क हो या हवा, कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। देश के किसी भी कोने में इसे तैनात कर सकते हैं, साथ ही किसी भी प्लेटफॉर्म से युद्ध के दौरान इसकी मदद ली जा सकती हैं। यही नहीं अग्नि 5 के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस की वजह से इस मिसाइल को कहीं भी बड़ी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है, जिससे हम अपने दुश्मन के करीब पहुंच सकते हैं।

    भारत की सैन्य शक्ति में वृद्धि:-

    अग्नि 5 मिसाइल की कामयाबी से भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी क्योंकि न सिर्फ इसकी मारक क्षमता 5 हजार किलोमीटर है, बल्कि ये परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है।

    अन्य खूबियां:-

    अग्नि-5 भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय यानी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल है। यानी अब भारत की गिनती उन पांच देशों में होगी जिनके पास है इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम हैं। भारत से पहले अमेरिका, रूस, फ्रांस एवं चीन ने इंटर-कॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल की ताकत हासिल की हैं। करीब 10 साल का फासले के बाद भारत की ताकत अग्नि-1 मिसाइल से अब अग्नि 5 मिसाइल तक पहुंची है।

    2002 में सफल परीक्षण की रेखा पार करने वाली अग्नि-1 मिसाइल मध्यम रेंज की बालिस्टिक मिसाइल थी. इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर थी व इससे 1000 किलोग्राम तक के परमाणु हथियार ढोए जा सकते थे. फिर अग्नि-2, अग्नि-3 व अग्नि-4 मिसाइलें, ये तीनों इंटरमीडिएट रेंज बालिस्टिक मिसाइलें हैं, इनकी मारक क्षमता 2000 से 3500 किलोमीटर है। अब भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण करने जा रहा है।

    अग्नि-5 में रिंग लेजर गायरोस्कोप यानि आरएलजी तकनीक का इस्तेमाल या गया है। भारत में ही बनी इस तकनीक की खासियत ये है कि ये निशाना बेहद सटीक लगाती है।

    सबकुछ ठीक से हुआ तो अग्नि-5 को 2014 से भारतीय सेना में शामिल कर दिया जाएगा। यही नहीं चीनी मिसाइल डोंगफेंग 31 ए को अग्नि-5 से कड़ी टक्कर मिलेगी क्योंकि अग्नि-5 की रेंज में चीन का सबसे उत्तरी शहर हार्बिन भी आता है जो चीन के डर की सबसे बड़ी वजह है।

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