बनारस में मुख्तार का अजय राय को समर्थन
तमाम अटकलों व बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच मंगलवार शाम कौमी एकता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अफजाल अंसारी ने वाराणसी संसदीय सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अज ...और पढ़ें

वाराणसी [जागरण संवाददाता]। तमाम अटकलों व बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच मंगलवार शाम कौमी एकता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अफजाल अंसारी ने वाराणसी संसदीय सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को समर्थन देने की अप्रत्याशित घोषणा की। न्यायालय में लंबित एक पुराने मामले के अनुसार विधायक मुख्तार अंसारी कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या के आरोपी हैं।
मीडिया से मुखातिब पूर्व सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि नरेंद्र मोदी व अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं को हराने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को समर्थन देने का फैसला लिया गया है। यह निर्णय दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं से वार्ता के बाद लिया गया। अफजाल अंसारी ने कहा कि मोदी व केजरीवाल बाहरी हैं जबकि अजय राय स्थानीय हैं।
अजय राय की शान में कसीदे पढ़ते हुए अफजाल ने कहा कि स्थानीय समस्याओं का समाधान भी वही कर सकते हैं। अजय राय व अंसारी परिवार के बीच छत्तीस के आंकड़ों के बीच अचानक इस राजनीतिक निर्णय पर अफजाल ने कहा कि हमारे व्यक्तिगत रिश्तों के बारे में सभी लोग जानते हैं मगर 'व्यक्तिगत संबंध कैसे हैं' से बहुत बड़ा है राष्ट्रहित। हमने मोदी को हराने के लिए सभी पार्टियों से साझा उम्मीदवार खड़ा करने की अपील की थी। किसी ने हमारी बात नहीं मानी और अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया।
2009 के चुनाव में एक लाख 87 हजार वोट पाए मुख्तार अंसारी को यहां से मोदी को हराने के लिए ही हटाया गया। अब हमारे कार्यकर्ता अजय राय के समर्थन में जुट जाएंगे।
समर्थन का स्वागत मगर मांगा नहीं : राय
कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय ने कहा कि अंसारी परिवार से हमारे रिश्ते कैसे हैं, जगजाहिर हैं मगर मामला न्यायालय में है। रही बात समर्थन की तो सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए जो भी समर्थन देगा, उसका स्वागत है। वैसे मैंने उनसे समर्थन मांगा नहीं था।
वोट बैंक के लिए नापाक समझौता: भाजपा
भाजपा ने कौमी एकता दल और कांग्रेस के बीच हुए समझौते को नापाक समझौता बताया है। भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, वोट बैंक की राजनीति के तहत दो अलग सोच के दलों ने आपस में समझौता किया है। इनका उद्देश्य किसी भी तरह से नरेंद्र मोदी को हराना है, जिसमें ये बिल्कुल भी सफल नहीं होंगे।
एक ही हैं भाजपा, कांग्रेस व कौएद
आप प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भाजपा, कांग्रेस और कौमी एकता दल (कौएद) एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं। कौएद द्वारा कांग्रेस को समर्थन देने से आम आदमी पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता।
वाराणसी सीट पर सियासत की जंग में मचा घमासान
दौर चुनाव का हो तो सियासत के गलियारों में हलचलें बढ़ ही जाती हैं मगर पूर्वाचल की राजनीति के हिसाब से देखें तो कौमी एकता दल द्वारा वाराणसी संसदीय सीट के लिए कांग्रेस को दिए गए समर्थन के अपने निहितार्थ हैं और इतिहास भी। इस हॉट संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा के प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी को चुनौती देने के लिए जहां केजरीवाल मौजूद हैं वहीं कांग्रेस के अजय राय समेत अन्य दलों के भी प्रत्याशी ताल ठोंक रहे हैं।
नरेंद्र मोदी को हराने के लिए कौमी एकता दल ने मंगलवार को कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय को समर्थन दे दिया है। चर्चित विधायक मुख्तार अंसारी के भाई व कौमी एकता दल के संस्थापक पूर्व सांसद अफजाल द्वारा समर्थन की बात जैसे ही बंद कमरे से निकलकर बनारस की हवा में घुली, चर्चाओं को पंख लग गए। एक दूसरे के धुर विरोधी गुट का सियासत के मैदान में एक हो जाने को लेकर तरह-तरह के कयास लगने लगे। चाय-पान की दुकानों पर लोग इस गठजोड़ के पीछे के निहितार्थ तलाशने लगे।
कौमी एकता दल द्वारा कुछ दिनों पूर्व भी कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को समर्थन देने की बात सामने आई थी मगर कई तरह की आलोचनाओं के चलते वह परवान न चढ़ सकी। मंगलवार को जब अफजाल अंसारी द्वारा अजय राय को समर्थन देने की घोषणा हुई तब अजय राय ने इसे स्वीकार करते हुए यह स्पष्ट किया कि समर्थन मांगा नहीं था। हां, सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ने के लिए जो भी समर्थन देगा उसका स्वागत है।
दूसरी ओर धुर विरोधी माने जाने वाले अजय राय को समर्थन देने के निर्णय का बचाव करते हुए अफजाल अंसारी दो टूक कहते हैं कि-नरेंद्र मोदी व अरविंद केजरीवाल जैसे बाहरी लोगों को हराने व मुस्लिम मतों के विभाजन को रोकने के लिए यह जरूरी था।
बहरहाल, गंगो जमुनी तहजीब के शहर बनारस में मुस्लिम मतों को सीधे तौर पर गोलबंद करने के लिए ही पहले मोदी के खिलाफ मुख्तार अंसारी को लड़ाने का निर्णय हुआ था। हालांकि बाद में कौमी एकता दल ने अपने निर्णय को वापस लेते हुए अब साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ एकता का राग छेड़ते हुए कांग्रेस को समर्थन दे दिया। यह सही है कि लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी के लिए जब केजरीवाल पहली बार बेनिया पहुंचे थे तब उन्हें मुस्लिम बंधुओं का भी समर्थन मिला था मगर कांग्रेस द्वारा जैसे ही अजय राय को प्रत्याशी घोषित किया गया, मुस्लिम मतदाता विभक्त हो गए। फिलहाल बदलते समीकरणों के बीच स्वर्गीय कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय का यह बयान भी तुरंत आया कि-यह समर्थन भूमिहार समाज को शर्मिदा करने वाला है। अजय राय को अपने भाई के हत्यारों का समर्थन नहीं लेना चाहिए।

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