डीबीटी की सफलता से उत्साहित सरकार व्यय सुधारों पर देगी जोर
सार्वजनिक वित्त प्रबंधन तंत्र (पीएफएमएस) दुरुस्त करने के इरादे से आम बजट 2017-18 में 300 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) की सफलता से उत्साहित सरकार आने वाले समय में व्यय सुधारों पर जोर देगी। सरकारी व्यय में लीकेज रोकने के साथ-साथ केंद्र यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी योजना की राशि उसके लाभार्थी तक पहुंच रही है या नहीं। इसी इरादे से सरकार केंद्र और राज्यों में सार्वजनिक वित्त प्रबंधन के मौजूदा तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में कदम उठाने जा रही है।
सार्वजनिक वित्त प्रबंधन तंत्र (पीएफएमएस) दुरुस्त करने के इरादे से आम बजट 2017-18 में 300 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग इस राशि का इस्तेमाल कर सभी राज्यों के खजानों को पीएफएमएस के माध्यम से केंद्र के साथ जोड़ने और रीएल टाइम निगरानी का तंत्र बनाएगा।
सूत्रों ने कहा कि व्यय सुधारों के तहत अब जोर इस बात पर जोर दिया जाएगा कि जो भी राशि आम बजट के माध्यम से दी जा रही है वह लाभार्थियों तक पहुंचे। साथ ही इसकी हर स्तर पर निगरानी भी की जा सके। यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि जिस उद्देश्य से धनराशि दी गयी, उस पर खर्च हुई या नहीं। सूत्रों ने कहा कि डीबीटी के माध्यम से जिस तरह सरकारी योजनाओं खासकर रसोई गैस सब्सिडी में लीकेज रुकी है, उससे उम्मीद है कि आने वाले समय में भी सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल तथा प्रभावी निगरानी तंत्र के माध्यम से सार्वजनिक व्यय में लीकेज को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि बीते ढाई साल में डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के क्रियान्वयन से लीकेज रोककर 49,000 करोड़ रुपये बचाए जा चुके हैं। अगर डीबीटी के माध्यम से यह राशि नहीं बचाई जाती तो यह बिचौलियों और भ्रष्टाचारियों की जेब में ही जाती। रसोई गैस से लेकर छात्रवृत्तियों और पेंशन की योजनाओं की राशि का भुगतान लाभार्थियों को डीबीटी के माध्यम से किया जा रहा है। विभिन्न सर्वेक्षणों और अध्ययनों में कल्याणकारी योजनाओं लीकेज पायी गयी है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने व्यय सुधार आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने भी लीकेज रोकने के साथ-साथ अनावश्यक व्यय में कटौती की सिफारिश की थी।
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