केस लड़ने के दौरान पैरवी में कोताही पर वकील को देना होगा मुआवजा
बेलगाम वकीलों को कड़े अनुशासन में बांधने की विधि आयोग ने जो ढ़ाई दर्जन सिफारिशें की हैं उनमें यह भी शामिल है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। अगर वकील साहब ने मुकदमें पर ध्यान नहीं दिया या फिर सुनवाई के दिन हड़ताल पर चले गये और अदालत में पेश नहीं हुए तो इस पेशेगत कदाचार के लिए उन्हें मुवक्किल को नुकसान की भरपाई करनी पड़ सकती है। बेलगाम वकीलों को कड़े अनुशासन में बांधने की विधि आयोग ने जो ढ़ाई दर्जन सिफारिशें की हैं उनमें यह भी शामिल है। हालांकि, विधि आयोग की इस रिपोर्ट का वकील पुरजोर विरोध कर रहे हैं। बार काउंसिल आफ इंडिया ने सिफारिशों को कठोर और अलोकतांत्रिक बताते हुए विरोध में 31 मार्च को पूरे देश के वकीलों के काम न करने की घोषणा कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने विधि आयोग से वकीलों को अनुशासन में बांधने के कानून की समीक्षा करने को कहा था। आयोग ने गत सप्ताह एडवोकेट एक्ट में संशोधन कर कड़े प्रावधान जोड़ने के सुझाव दिये हैं। कानून में धारा 45ए जोड़ने की सिफारिश है जो कहती है कि अगर कोई व्यक्ति वकील के कदाचार अथवा हड़ताल आदि में हिस्सा लेने के कारण नुकसान भुगतता है तो वह संबंधित फोरम में वकील के खिलाफ मुआवजे का दावा कर सकता है। इस दावे के खिलाफ वकील फीस न मिलने का बचाव नहीं ले सकता।
पेशेगत कदाचार
वकीलों के पेशेगत कदाचार पर अंकुश के लिए कड़े प्रावधानों का प्रस्ताव है। कदाचार में जांच के तौर तरीके तय करने के अलावा आयोग ने कहा है कि जांच कर रही समिति वकील को दोषी पाने पर तीन लाख तक का जुर्माना लगा सकती है और पीडि़त व्यक्ति को 5 लाख तक का मुआवजा दिला सकती है। हालांकि निलंबन और पंजीकरण रद करने का नियम पहले से मौजूद है। लेकिन अगर वकील के खिलाफ की गई शिकायत झूठी पायी जाती है तो शिकायतकर्ता पर दो लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
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नहीं चलेगा अतार्किक कारण:
आयोग ने वकीलों की हड़ताल की समस्या को गंभीरता से लिया है। हड़ताल के कारण अदालतों का कामकाज प्रभावित होने के देश भर से जो आंकड़े मिले वो चौकाने वाले हैं। कई बार तो वकील ऐसे कारणों पर भी हड़ताल कर देते हैं जिनका अदालती काम से लेना देना नही होता। कुछ उदाहरण दिये गये हैं जैसे पाकिस्तान स्कूल में बम विस्फोट, श्रीलंका में संविधान संशोधन, अंतरर्राज्यीय नदी जल बंटवारा विवाद, नेपाल में भूकंप आदि।
आयोग का मानना है कि बाध्यकारी स्थिति पर संबंधित बार काउंसिल से अनुमति के बाद एक दिन की सांकेतिक हड़ताल हो सकती है इसके अलावा वकील हड़ताल नहीं कर सकते। आयोग ने कानून में संशोधन कर वकीलों की हड़ताल पर रोक की सिफारिश की है। हर जिले में शिकायत निवारण समिति का भी सुझाव है जो वकीलों की समस्याओं का निदान करेगी।
इन अपराधों में दोषी नही बन सकते वकील
आयोग ने कानून मे धारा 24ए जोड़ने की सिफारिश की है। जो कहती है कि नैतिक अपराध, अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोक अधिनियम और छुआछूत निरोधक अधिनियम में दोषी करार व्यक्ति वकील के तौर पर पंजीकृत होने के अयोग्य होगा। इसके अलावा केंद्र व राज्य सरकार की नौकरी से निकाला गया व्यक्ति भी वकील नहीं बन सकता।
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