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    आडवाणी ने गिराई इस्तीफे की गाज

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    Updated: Tue, 11 Jun 2013 02:51 AM (IST)

    गोवा में चुनावी अभियान की कमान नरेंद्र मोदी को सौंपने के बाद भाजपा की उम्मीदों का किला 24 घंटे में ही हिल गया। अपनी अनदेखी से नाराज वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी पर आदर्शो से भटकाव और नेताओं के व्यक्तिगत एजेंडा को तरजीह देने का आरोप लगाते हुए तीन अहम पदों से इस्तीफा दे दिया।

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    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गोवा में चुनावी अभियान की कमान नरेंद्र मोदी को सौंपने के बाद भाजपा की उम्मीदों का किला 24 घंटे में ही हिल गया। अपनी अनदेखी से नाराज वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी पर आदर्शो से भटकाव और नेताओं के व्यक्तिगत एजेंडा को तरजीह देने का आरोप लगाते हुए तीन अहम पदों से इस्तीफा दे दिया। हालांकि संसदीय बोर्ड ने उनका इस्तीफा खारिज कर दिया है। इस बीच, आडवाणी को मनाने की कोशिशें दिनभर चलती रहीं। मोटे तौर पर यह भी संकेत दे दिया गया है कि पार्टी दबाव में कोई फैसला नहीं करेगी। आडवाणी समर्थकों की ओर से कुछ फार्मूले सुझाए गए थे, लेकिन फिलहाल इन पर कोई फैसला नहीं हो पाया।

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    गोवा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में एलान के बाद दिल्ली पहुंचते ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को अडवाणी के इस्तीफे के संकट से जूझना पड़ा। सोमवार सुबह 11:00 बजे आडवाणी ने अपने एक निकट सहयोगी के हाथों इस्तीफा राजनाथ के घर भिजवाया। इसके बाद भाजपा अध्यक्ष आडवाणी से मिलने 30 पृथ्वीराज रोड स्थित उनके आवास पर पहुंचे। उनके आग्रह के विपरीत आडवाणी न केवल अपने इस्तीफे पर अड़े रहे बल्कि उसे सार्वजनिक भी कर दिया। वह भी राजनाथ सिंह के पीठ फेरते ही। आडवाणी ने पत्र में लिखा कि जिस तरह पार्टी के अंदर कुछ व्यक्ति अपना एजेंडा चला रहे हैं, उससे व्यथित होकर वह संसदीय बोर्ड, चुनाव समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा देते हैं। हालांकि दो अन्य अहम पदों को आडवाणी ने नहीं छोड़ा। इसमें संसदीय दल के अध्यक्ष और राजग के कार्यकारी अध्यक्ष का पद शामिल है। जाहिर तौर पर इस्तीफा गोवा कार्यकारिणी में हुए फैसलों का असर था।

    दिन भर अलग-अलग स्तर से आडवाणी को मनाने की कोशिशें होती रहीं। खुद मोदी ने भी आडवाणी से फोन पर बात की। शाम में संसदीय बोर्ड की बैठक में राजनाथ के साथ-साथ सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू, अनंत कुमार और रामलाल शामिल थे। मोदी, नितिन गडकरी और थावरचंद गहलोत बैठक में नहीं थे। बैठक के बाद वरिष्ठ सदस्यों की मौजूदगी में राजनाथ ने कहा कि बोर्ड ने इस्तीफे की पेशकश को नामंजूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि आडवाणी के नेतृत्व की पार्टी को जरूरत है। बहरहाल यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जो फैसला हो चुका है, अब उसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता है।

    राजनाथ को लिखे पत्र में आडवाणी ने पार्टी के हालात पर क्षोभ जताते हुए कहा कि अब हमारे अधिकतर नेता अपने निजी एजेंडा को लेकर ही फिक्रमंद हैं। पार्टी श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी व वाजपेयी जी के आदर्शो पर नहीं चल रही, जिनके लिए देश व उसके लोगों की चिंता सबसे अहम थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिक्रिया में आडवाणी के इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया गया। सरसंघचालक मोहन भागवत ने इस मसले पर राजनाथ सिंह से चर्चा की और कहा कि बुजुर्गो का सम्मान होना चाहिए। हालांकि भागवत ने भी यह संकेत दे दिया कि पीढ़ी परिवर्तन समय की जरूरत है। संघ के प्रवक्ता राम माधव ने उम्मीद जताई कि पार्टी के नेता आडवाणी जी को अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए मना लेंगे। संघ यह संकेत स्पष्ट कर चुका है कि पार्टी से बड़ा कोई नहीं है। आडवाणी के बिना गोवा में नरेंद्र मोदी की ताजपोशी का फैसला और एलान इसे साफ कर चुका है।

    हालांकि आडवाणी के इस्तीफे ने पार्टी के भीतर मौजूद दरारों को उभारने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आडवाणी के इस्तीफे के एलान के साथ ही शुरू हुई उन्हें मनाने की कोशिशों में भी भाजपा की खेमेबाजी नजर आई। गोवा कार्यकारिणी में आडवाणी को मना लेने तक चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पद पर एलान को टालने की पैरवी कर रहीं सुषमा स्वराज का ज्यादा वक्त जहां 30 पृथ्वीराज रोड पर बीता। वहीं अरुण जेटली, अमित शाह जैसे नेता राजनाथ सिंह के यहां जमा हुए।

    'मैंने फोन पर आडवाणी जी से बात कर उनसे अपना फैसला बदलने का आग्रह किया। मुझे उम्मीद है कि वह लाखों कार्यकर्ताओं को निराश नहीं करेंगे।' - नरेंद्र मोदी का ट्वीट

    घटनाक्रम

    11:00 बजे : लालकृष्ण आडवाणी ने अपना इस्तीफा राजनाथ सिंह को भेजा

    12:30 बजे : भाजपा प्रमुख राजनाथ सिंह आडवाणी से मिलने उनके घर पहुंचे

    1:45 बजे : लालकृष्ण आडवाणी ने अपने इस्तीफे को सार्वजनिक किया

    2:27 बजे : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आडवाणी के इस्तीफे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया

    2:44 बजे : भाजपा प्रमुख ने लालकृष्ण आडवाणी के इस्तीफे को अस्वीकार किया

    3:30 बजे : आडवाणी को मनाने के लिए सुषमा स्वराज उनके घर पहुंचीं

    5:00 बजे : भाजपा प्रमुख ने इस्तीफे से उपजे संकट पर संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई

    6:45 बजे : नरेंद्र मोदी ने आडवाणी से फोन पर बात कर फैसला बदलने का आग्रह किया

    7:30 बजे : संसदीय बोर्ड की बैठक शुरू

    9:30 बजे : राजनाथ ने इस्तीफा नामंजूर करने के फैसले की जानकारी दी

    पहले से नाराज थे आडवाणी

    गोवा कार्यकारिणी में नरेंद्र मोदी की ताजपोशी पर आडवाणी की नाराजगी तो जगजाहिर हो गई। लेकिन वह कुछ नेताओं को लेकर पहले से नाराज थे। आडवाणी ने संघ के पदाधिकारी सुरेश सोनी, भाजपा के संगठन महामंत्री रामलाल समेत कई अन्य नेताओं की शिकायत संघ के आला नेताओं से की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि ये लोग भाजपा में दूसरे धड़े के बारे में मीडिया में खबरें प्रायोजित करने का काम कर रहे हैं। यही वजह है कि सरसंघचालक मोहन भागवत ने सोमवार को राजनाथ सिंह के साथ चर्चा में बुजुर्गो के सम्मान की बात कही।

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