अनाज के बदले बच्चे गिरवी रख रहे आदिवासी
पन्ना जिले के राजापुर गांव में आदिवासी अनाज के बदले अपने बच्चों को रसूखदारों के घर गिरवी रखने को मजबूर हैं। आदिवासियों की ऐसी हालत तब है, जब केंद्र सरकार ने पांच वर्ष पहले बुंदेलखंड पैकेज के रूप में इस क्षेत्र के विकास के लिए भारी भरकम राशि जारी की थी।
नई दुनिया, भोपाल। पन्ना जिले के राजापुर गांव में आदिवासी अनाज के बदले अपने बच्चों को रसूखदारों के घर गिरवी रखने को मजबूर हैं। आदिवासियों की ऐसी हालत तब है, जब केंद्र सरकार ने पांच वर्ष पहले बुंदेलखंड पैकेज के रूप में इस क्षेत्र के विकास के लिए भारी भरकम राशि जारी की थी। राजापुर गांव का मामला सामने आने के बाद राज्य मानव अधिकार आयोग ने सागर के कमिश्नर और पन्ना के जिलाधिकारी से सात दिन में जवाब भेजने को कहा है। राजापुर गांव पांच साल पहले तब सुर्खियों में आया था, जब राहुल गांधी यहां आए थे।
आयोग के प्रवक्ता रोहित मेहता के मुताबिक आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एके सक्सेना ने राजापुर गांव का मामला एक शोध रिपोर्ट में आने के बाद जिले के संबंधित अधिकारियों को नोटिस भेजने के निर्देश दिए हैं। उक्त रिपोर्ट के अनुसार, राजापुर गांव में चंद बोरे अनाज के बदले बच्चों को गिरवी रख दिया जाता है। ऐसे बच्चे बंधुआ मजदूर में तब्दील हो जाते हैं। राजापुर गांव आदिवासी बहुल है।
गांव के गिरधारी गौड़ का कहना है कि उसने अपने 13 साल के बेटे राजकुमार को छह बोरे अनाज के बदले एक साल के लिए सतना के अतरोरा गांव में गिरवी रखा है। इसी गांव के शक्ति गौड़ ने भी अपने बेटे को गिरवी रखा है। गांव के किसान बेटू चौधरी ने बताया कि उसके गांव सहित अन्य आदिवासी इलाकों में बच्चों को गिरवी रखकर अनाज लेने का चलन है।
पिछले साल क्षेत्र के ऐसे 26 बच्चों की खोज की गई थी, जो अनाज के बदले अमीर घरों में मजदूरी कर रहे थे। चौधरी ने यह समस्या तत्कालीन डीएम को बताई थी, लेकिन प्रशासन खामोश रहा। हालांकि गांव में स्कूल है और वहां के रजिस्टर में बच्चों के नाम भी दर्ज हैं, लेकिन मजदूरी करने वाले बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे।
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