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..तो ऐसे दिल्ली वालों को सस्‍ती बिजली देगी केजरीवाल सरकार!

दिल्‍ली में सत्‍तारूढ़ आम आदमी पार्टी की सरकार लोगों को सस्‍ती बिजली मुहैया कराने के लिए ऐसे वितरकों का रुख करने की योजना बना रही है, जो मौजूदा से कम कीमत में बिजली दें। मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्‍ली विधानसभा चुनावों से पहले दिल्‍लीवासियों से बिजली की दरें लगभग आधा

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 23 Feb 2015 09:30 AM (IST)Updated: Mon, 23 Feb 2015 11:11 AM (IST)

नई दिल्ली। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की सरकार लोगों को सस्ती बिजली मुहैया कराने के लिए ऐसे वितरकों का रुख करने की योजना बना रही है, जो मौजूदा से कम कीमत में बिजली दें। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले दिल्लीवासियों से बिजली की दरें लगभग आधा करने का वादा किया था।

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सूत्रों की मानें तो सस्ती बिजली देने के अपने वादे को पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के जरिए बिजली कंपनियों के खातों की जांच कराने की भी योजना बना रही है। पिछली सरकार के दौरान भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐसा कदम उठाया था। दरअसल, कैग विनोद राय ने आशंका जताई थी कि बिजली कंपनियां जानबूझ कर घाटा दिखा रही है, लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं।

आम आदमी पार्टी के सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में लोगों को अभी 1 से 200 यूनिट तक के लिए 4 रुपये और 201 से 400 यूनिट के लिए 5.95 रुपये प्रति यूनिट भुगतान करना होता है। लेकिन दिल्ली सरकार चाहती है कि वो ऐसे वितरकों से बिजली खरीदे जो उसे कम दरों पर बिजली दे। हालांकि बिजली कंपनियों और सरकार के बीच हुए एग्रीमेंट के कारण अभी ऐसा कर पाना संभव नहीं है।

आम आदमी पार्टी ने वादा किया है कि वो 400 यूनिट तक बिजली इस्तेमाल करने वालों को 50 प्रतिशत की सब्सिडी देगी। इसके लिए सरकार को ऐसे वितरकों की तलाश है, जो सस्ती बिजली दें। दिल्ली सरकार 200 यूनिट तक बिजली इस्तेमाल करने वालों को 2 रुपये प्रति यूनिट और 400 यूनिट तक बिजली इस्तेमाल करने वालों को 3 रुपये प्रति यूनिट बिजली मुहैया कराने की योजना बना रही है।

गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष में राजस्व में तीन हजार करोड़ रुपये की भारी गिरावट से खजाने की हालत पहले से ही खराब है। ऐसे में शहर के करीब पौने दो करोड़ आबादी को आधी कीमत पर बिजली और मुफ्त पानी की आपूर्ति करने संबंधी चुनावी वादे को पूरा करने की सूरत में सरकार पर 1600 से 2000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने की संभावना है। इसके बावजूद सरकार अपने वादे को निभाने को तैयार है और दिल्ली विधानसभा के आगामी सोमवार से शुरू हो रहे सत्र में बिजली-पानी को लेकर महत्वपूर्ण घोषणा संभावित है।

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