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मांगों पर अडिग केजरीवाल बोले दस दिनों तक सड़क से ही चलेगी सरकार

दिल्ली पुलिस के कुछ अफसरों के निलंबन की मांग को लेकर सड़क पर उतरी अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र के टकराव ने जहां संवैधानिक टकराव खड़ा कर दिया है वहीं आम जनता को भी सांसत में डाल दिया है। सोमवार सुबह मुख्यमंत्री केजरीवाल के धरने पर बैठने से पहले ही सुरक्षा इंतजामों की अफरातफरी में दिल्ली पुलिस ने ताबड़तोड़ चार मेट्रो स्टेशन बंद करा दिए तो दिन भर लुटियन जोन इलाके में सड़कों पर आम आदमी जाम से जूझता रहा। देर शाम कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोह

By Edited By: Published: Mon, 20 Jan 2014 04:40 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2014 08:12 AM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दिल्ली पुलिस के कुछ अफसरों के निलंबन की मांग को लेकर सड़क पर उतरी अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र के टकराव ने जहां संवैधानिक टकराव खड़ा कर दिया है वहीं आम जनता को भी सांसत में डाल दिया है। सोमवार सुबह मुख्यमंत्री केजरीवाल के धरने पर बैठने से पहले ही सुरक्षा इंतजामों की अफरातफरी में दिल्ली पुलिस ने ताबड़तोड़ चार मेट्रो स्टेशन बंद करा दिए तो दिन भर लुटियन जोन इलाके में सड़कों पर आम आदमी जाम से जूझता रहा। देर शाम कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के साथ करीब 20 मिनट दिल्ली की इस अभूतपूर्व स्थिति पर चर्चा की। हालात को देखते हुए दिल्ली पुलिस के जवानों की छुंिट्टयां रद कर दी गई हैं।

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आंदोलन की जिद पर अड़ी केजरीवाल सरकार अपनी मांग माने जाने से कम पर राजी नहीं है। वहीं गृह मंत्रालय फिलहाल न तो पुलिस अधिकारियों के निलंबन को तैयार है और न ही दिल्ली पुलिस का नियंत्रण राज्य सरकार के हाथ सौंपने को। एक राज्य के मुख्यमंत्री के धरना-प्रदर्शन से सकपकाई केंद्र सरकार को भी समाधान का रास्ता नहीं सूझ रहा है। गतिरोध के नतीजे पर छाई धुंध के बीच इतना साफ है कि राष्ट्रीय राजधानी में आम-आदमी को सड़क पर अभी काफी मुश्किलें झेलनी होंगी। दिल्ली सचिवालय से अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री निकले तो थे गृह मंत्रालय के बाहर धरना देने के लिए, लेकिन 26 जनवरी की परेड का रिहर्सल होने के कारण उन्हें संसद भवन के करीब स्थित रेल भवन के सामने रोक दिया गया। वहीं धरने पर बैठे केजरीवाल ने साफ कर दिया कि मांगे नहीं माने जाने तक वे यहीं जमे रहेंगे। केजरीवाल ने कहा कि सरकार में रहते हुए वे आम जनता की परेशानियों पर मूकदर्शक नहीं बने रह सकते। पुलिस को दिल्ली सरकार के प्रति जवाबदेह होना पड़ेगा।

केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि अगले 10 दिनों तक उनकी सरकार रेल भवन के बाहर सड़क से ही चलेगी और कैबिनेट के फैसले भी यहीं लिए जाएंगे। उन्होंने दिल्ली पुलिस पर रिश्वत लेकर गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे तक पहुंचाने का आरोप भी लगा दिया। 'भ्रष्ट' और 'अपराधियों से साठगांठ' करने वाली दिल्ली पुलिस पर तीखा हमला कर केजरीवाल ने साफ संकेत दिया कि यह लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी का नया चुनावी मुद्दा होगा। सोमवार को धरनास्थल पर कई बार पुलिस और आप कार्यकर्ताओं के बीच मुठभेड़ भी हुई। अपने ऊपर लगे गंभीर आरोप से सकते में आए शिंदे ने केजरीवाल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के संकेत दिए हैं।

गृह मंत्रालय के अधिकारियों को केजरीवाल सरकार के इस कदम से निपटने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। मुख्यमंत्री होने कारण केजरीवाल को जबरन हटाया भी नहीं जा सकता। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह सामान्य कानून व्यवस्था का नहीं, बल्कि राजनीतिक संकट है और इससे निपटने का फैसला उसी स्तर पर होना चाहिए। दिल्ली पुलिस से केजरीवाल को जंतर-मंतर पर धरना देने का संदेश भेजा गया, लेकिन उन्होंने इसे मानने से इन्कार कर दिया। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड से पहले केंद्र और टीम केजरीवाल के बीच टकराव अवश्यंभावी माना जा रहा है। दरअसल परेड के एक दिन पहले 25 दिसंबर को दोपहर से पूरे इलाके को सेना अपने सुरक्षा घेरे में ले लेती है। ऐसे में विजय चौक के इतना निकट धरना प्रदर्शन चलने देना संभव नहीं है।

'गणतंत्र दिवस की तैयारियों में खलल नहीं डालना चाहता, लेकिन जब दिल्ली की महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हों, तब मैं चुप नहीं बैठ सकता।'

-अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री दिल्ली

'केजरीवाल को पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए और उपराज्यपाल के आदेश पर गठित न्यायिक जांच की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।'

-सुशील कुमार शिंदे, केंद्रीय गृह मंत्री

तस्वीरों में देखें : धरने पर बैठी सरकार

आप को सचिवालय से ज्यादा पसंद हैं सड़कें: जेटली

पल-पल की जानकारी

11.00: सचिवालय से रवाना हुए केजरीवाल

11.10: बिना सीट बेल्ट लगाए ड्रांइविंग सीट के पास बैठे केजरीवाल।

11.15: चैनलों में केजरीवाल के कानून तोड़ने की जानकारी आने के बाद मुख्यमंत्री ने लगाई सीट बेल्ट।

11.20: दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल को रेल भवन पर रोका। मनीष सिसोदिया भी केजरीवाल के साथ हैं। चारों ओर से पुलिस का घेरा।

11.28: गाड़ी में ही बैठे हुए हैं केजरीवाल। सोमनाथ भारती, सतेन्द्र जैन और राखी बिड़ला भी वहां मौजूद हैं।

11.30 दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी केजरीवाल को समझाने में लगे हुए हैं।

11.35: केजरीवाल ने मीडिया से कहा, 12 बजे तक रिहर्सल परेड खत्म होने का इंतजार करूंगा।

11.45 केजरीवाल की कार के इर्दगिर्द मीडिया व पुलिसकर्मियों का जमावड़ा। गाजियाबाद के लगभग एक दर्जन पुलिसकर्मी भी वहां मौजूद।

12.00: धारा 144 का उल्लंधन कर रेल भवन पर ही धरने पर बैठे केजरीवाल।

12.20 से 12.38 तक: धरना स्थल पर आप कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि पुलिस कि जवाबदेही तय होनी चाहिए। पुलिस की जानकारी के बिना सेक्स रैकेट और ड्रग्स का धंधा नहीं चलता। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस अपराधियों से मिल जाती है और वे जनता की सुनने की बजाए उनपर दादागिरी दिखाते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार पैसे लेकर पुलिस में पोस्टिंग व तबादले करती है। उन्होंने कहा कि शिंदे और पुलिस कमिश्नर को भी पैसे मिलते हैं।

केजरीवाल के भाषण के प्रमुख अंश..

पुलिस जांच पर भरोसा नहीं।

10 दिन के धरने की तैयारी करके आया हूं।

पुलिस से परेशान दिल्ली वालों से धरने स्थल पर आने का आह्वान।

26 जनवरी की तैयारियों में व्यवधान पड़ता है तो संकट के लिए केंद्र सरकार दोषी।

ईमानदार पुलिस वालों को नौकरी छोड़कर पार्टी में शामिल होने का आह्वान किया।

एसएचओ कहता है पैसे देकर आया हूं, तबादला करवा कर दिखाओ।

पैसे लेकर पुलिस की पोस्टिंग होती है।

मैं अव्यवस्था नहीं फैला रहा हूं। पूरे देश में अव्यवस्था फैली हुई है।

पुलिस वाले वर्दी उतारकर हमारे आंदोलन में शामिल हो जाएं। पुलिस कमिश्नर तंग करते हैं, तो मैं उन्हें देख लूंगा।

दिल्ली पुलिस ऑटो वालों और फुटपाथ पर बैठे दुकानदारों से वसूली करती है।

अगर पुलिस न सुने तो मंत्री क्या करें, सोचने वाली बात है कि एक मुख्यमंत्री को धरने पर बैठना पड़ रहा है।

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