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    मौलवियों ने गृहमंत्री से कहा, उनसे बात क्यों करें जो पाक जिंदाबाद के नारे लगाते हैं

    By kishor joshiEdited By:
    Updated: Wed, 07 Sep 2016 12:28 AM (IST)

    गृहमंत्री राजनाथ सिंह से प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात के बाद मौलवियों ने कश्मीर घाटी में अशांति के ऊपर अलगाववादियों से बातचीत ना करने की सलाह दी है।

    नई दिल्ली (जेएनएन)। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में कश्मीर गए प्रतिनिधिमंडल की वापसी के बाद मंगलवार को एक तरफ से जहां राजनाथ सिंह ने पूरे मामले पर प्रधानमंत्री से मिलकर उनको जानकारी दी। तो वहीं, मंगलवार को करीब 5 बजे के करीब राजनाथ सिंह से मौलवियों के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की।

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    गृहमंत्री से मिलने के बाद मौलवियों ने अलगाववादियों के साथ बातचीत की कोशिशों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जो लोग पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं आखिरकार ऐसे लोगों के साथ क्यों बातचीत होनी चाहिए?

    प्रधानमंत्री से मिले गृहमंत्री राजनाथ सिंह

    उधर, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें कश्मीर के हालात की जानकारी दी। पीएम मोदी से मुलाकात के बाद गृहमंत्री ने ट्वीट कर बताया, "प्रधानमंत्री को जम्मू-कश्मीर गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के बारे में जानकारी दी और उन्हें कश्मीर के हालात के बारे में भी अवगत कराया।"

    इससे पहले दो दिवसीय श्रीनगर दौरे पर गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर अलगाववादियों को खरी-खरी सुनाते हुए कहा था कि रविवार को प्रतिनिधिमंडल के सदस्य अलगाववादियों से मिलने गए थे। लेकिन, उन्होंने बातचीत से साफ इनकार कर दिया। इससे साफ होता है कि अलगाववादियों का इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत पर विश्वास नहीं है।

    पढ़ें- श्रीनगर में बोले गृहमंत्री, 'हुर्रियत का इंसानियत और कश्मीरियत से नाता नहीं'

    राजनाथ ने ये भी कहा था कि बातचीत के लिए हमारे दरवाजे ही नहीं रोशनदान भी खुले हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा कि 'इसमें कोई दो राय नहीं कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। हम राज्य में शांति बहाली के लिए सरकार का पूरा सहयोग कर रहे हैं।

    भाजपा महासचिव राम माधव ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि बुधवार को सभी पार्टी की मीटिंग है जिसमें तय किया जाएगा कि कश्मीर को लेकर आगे क्या कदम उठाए जाएं।