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    सोशल नेटवर्किंग की आड़ में दुश्मन कर रहे जासूसी

    By Edited By:
    Updated: Sun, 18 Dec 2011 08:59 PM (IST)

    आप सोशल नेटवर्किंग से जुड़े हैं तो जरा संयम बरतें। फेसबुक और गूगलप्लस जैसी वेबसाइटों का इस्तेमाल दुश्मन देश के जासूस लोगों को लुभाने और फांसने के लिए कर रहे हैं।

    नई दिल्ली। आप सोशल नेटवर्किंग से जुड़े हैं तो जरा संयम बरतें। फेसबुक और गूगलप्लस जैसी वेबसाइटों का इस्तेमाल दुश्मन देश के जासूस लोगों को लुभाने और फांसने के लिए कर रहे हैं। इसके कारण सरकार ने सेना एवं अ‌र्द्धसैनिक बलों के वरिष्ठ अधिकारियों को अपने करियर से जुड़ी जानकारियां वेबसाइटों पर डालना बंद करने को कहा है। यह भी कहा है कि वे ऐसी वेबसाइटों से दूर रहें।

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    हाल में संवेदनशील इलाकों में तैनात अ‌र्द्धसैनिक बलों के अधिकारी सीमा पार के जासूसों व विदेशी एजेंटों से चैटिंग करते पाए गए हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वे जासूस इंटरनेट पर खुद को महिला के रूप में पेश कर अधिकारियों से राज जानने की कोशिश कर रहे थे। इसे देखते हुए कई बैठकें की गईं ताकि सरकारी कंप्यूटरों तक पहुंच बनाने के लिए जासूस अधिकारियों को सोशल नेटवर्किंग की आड़ में अपने चंगुल में नहीं फंसा सकें। साइबर जासूसी में फंसे अधिकारियों का कोई आंकड़ा देने को तैयार नहीं है लेकिन इस मामले के जानकार दूरसंचार विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामले सामने आने के बाद संवेदनशील इलाकों में तैनात अधिकारियों पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी व्यवस्था की जा रही है। कुछ अधिकारी तो आपत्तिजनक गतिविधियों के साथ वीडियो चैटिंग में लिप्त पाए गए हैं। उनकी हरकत को दूसरे देशों के जासूसों ने रिकॉर्ड कर लिया है ताकि बाद में रणनीतिक एवं व्यावसायिक महत्व की सूचनाएं पाने के लिए उन्हें ब्लैकमेल कर सकें।

    सूत्रों ने यह भी बताया कि ऐसे अधिकारियों को तत्काल उन संवेदनशील क्षेत्रों से हटा लिया गया है और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। कुछ अधिकारियों ने वर्दी में एके-47 या अपनी सर्विस रिवाल्वर के साथ वेब साइटों पर अपनी तस्वीर डाल रखी है। उन्होंने पूछताछ के दौरान कबूल किया किया है कि लड़कियों पर अच्छा प्रभाव डालने के लिए उन्होंने ऐसा किया। ऐसी घटनाएं अ‌र्द्धसैनिक बलों में अधिक हुई हैं। गृह मंत्रालय पहले ही अपने अधिकारियों को सरकारी कंप्यूटर पर फेसबुक जैसे सोशल नेटवर्किंग साइटों से दूर रहने को कह चुका है। इस बारे में गृह मंत्रालय ने अगस्त में सर्कुलर भी जारी किया था।

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