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    यमन से बचाए गए 358 भारतीयों का पहला जत्‍था घर लौटा

    By Gunateet OjhaEdited By:
    Updated: Thu, 02 Apr 2015 06:21 PM (IST)

    यमन से बचाए गए भारतीयों का पहला जत्था देश लौट आया है। भारतीय वायुसेना के दो विमानों के जरिए बुधवार देर रात 358 भारतीय वापस लाए गए।

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    मुंबई। यमन से बचाए गए भारतीयों का पहला जत्था देश लौट आया है। भारतीय वायुसेना के दो विमानों के जरिए बुधवार देर रात 358 भारतीय वापस लाए गए। 190 भारतीयों को लेकर सी-17 विमान तड़के तीन बजकर 25 मिनट पर मुंबई हवाई अड्डे पर उतरा। वहीं, रात के करीब दो बजे 168 भारतीयों के साथ एक अन्य विमान कोच्चि में उतरा।

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    वापस लौटे लोग उन 350 भारतीयों में शामिल हैं जो यमन के बंदरगाह शहर अदन से नौसेना के एक पोत द्वारा बचाए जाने के बाद जिबूती पहुंचे थे। सूत्रों ने बताया कि बचाए गए लोगों से संबंधित कागजी कार्रवाई लंबित होने के कारण मुंबई आने वाला विमान जिबूती से समय पर उड़ान नहीं भर सका था। कई लोगों के पास उनके पासपोर्ट तक नहीं थे।

    विमान के सह पायलट विंग कमांडर विक्रम एबी ने बताया कि बचाव अभियान बेहद मुश्किल था, क्योंकि भारतीय वायुसेना के पास विस्तृत ब्यौरा उपलब्ध नहीं था। उल्लेखनीय है कि यमन में अभी भी करीब चार हजार भारतीय फंसे हुए हैं। इन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए भारतीय वायुसेना और नौसेना मिलकर अभियान चला रहा है। इसे 'आपॅरेशन राहत' नाम दिया गया है।

    मुफ्त रेल यात्रा

    वापस लौटे लोगों को उनके गृह नगरों तक मुफ्त में पहुंचाने की व्यवस्था मध्य रेलवे ने की है। मुंबई से चेन्नई, कोच्चि और कोलकाता जाने वाली ट्रेनों में अतिरिक्त कोच लगाए गए हैं। लोगों के लिए भोजन की भी व्यवस्था की गई है।

    कई दिनों के भूखे

    बचाई गई एक महिला मैरी एम्मा वर्गीज ने बताया कि वह पिछले दो साल से अदन के एक अस्पताल में नर्स के तौर पर कार्यरत थी। एक दिन उन्होंने अचानक भारी धमाके की आवाज सुनी और काम पर जाना बंद कर दिया। उन्होंने बताया कि इसके बाद सभी दुकानें बंद हो गई और कई दिनों तक उनलोगों के पास खाना भी नहीं था।

    श्रीलंकाई नागरिकों को निकालने में मदद करेगा भारत

    यमन में फंसे श्रीलंकाई नागरिकों को सुरक्षित निकालने में भारत मदद करेगा। यमन में करीब 100 श्रीलंकाई फंसे हैं। इनमें से कई छात्र हैं। श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि भारत ने उसके नागरिकों को भी सुरक्षित निकालने का आग्रह स्वीकार कर लिया है। इनलोगों को विमान और पोतों से निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं। बयान के अनुसार विदेश उप मंत्री अजित पी परेरा ने पिछले हफ्ते भारतीय विदेश मंत्रालय एवं उसके मस्कट और सना स्थित दूतावासों से समन्वय करने का निर्देश अधिकारियों को दिया था।