IAS अधिकरी का पद छोड़ अध्यापक बन गया 24 साल का युवक
24 साल के रोमन सैनी पहले डॉक्टर बने और फिर आइएएस अधिकारी लेकिन दो साल कलेक्टर की नौकरी करने के बाद रोमन सैनी ने कलेक्टर की नौकरी भी छोड़ दी और अब वो कुछ ऐसा कर रहे हैं जिससे दूसरे बच्चों का जीवन बदल रहा है
नई दिल्ली। कल्पना कीजिए कि आप 24 साल के हैं और आप डॉक्टर बन गए हैं और फिर आपने सिविल सर्विस की परीक्षा भी पास कर ली है और आप बतौर आइएएस सहायक जिला कलेक्टर की पद पर नौकरी कर रहे हैं। इसके बाद आप क्या करेंगे? जाहिर सी बात है ज्यादातर लोग इतनी कम उम्र में इतना सबकुछ हासिल करने के बाद प्रशासनिक सेवा में एक बेहतर भविष्य बनाने की ओर अग्रसर होंगे लेकिन रोमन सैनी ने ऐसा ना करके कुछ ऐसा किया जिससे आप सब चौंक जाएंगे।
कलेक्टर बनने के दो साल बाद रोमन ने छोड़ी नौकरी
24 साल के रोमन सैनी ने आइएएस बनने के बाद दो साल तक जबलपुर में बतौर सहायक कलेक्टर बनने के बाद अपने पद से इस्तीफा देकर एक ऐसा पेशा चुना जिसमें ना तो उन्हें डॉक्टर जितना पैसा मिलगा ना ही आइएएस जैसी प्रतिष्ठा। रोमन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वो छात्रों को पढ़ाई के दौरान आने वाली सभी परेशानियों में उनकी मदद कर उनके सपने पूरे करने में उनकी मदद करना चाहते हैं।
रोमन के 10 छात्रों ने सिविल सेवा परीक्षा पास की
रोमन यू ट्यूबर पर उन छात्रों के लिए लैक्चर डालते हैं जो डॉक्टर बनना चाहते हैं या सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं या फिर कंप्यूटर प्रोग्रामर्स बनना चाहते हैं। इस प्लेटफार्म पर विदेशी भाषाओं के भी विशेषज्ञ हैं। ये पढ़ाई पूरी तरह मुफ्त है। दिलचस्प बात ये है कि रोमन की ये मुहीम रंग ला रही है और फालो करने वाले 10 छात्र सिविल सेवा परीक्षाएं पास भी कर चुके हैं इसके अलावा यू ट्यूब पर रोमन के इन लैक्चर वीडियो को एक करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने देखा है। सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पेज पर रोमन के 64000 फालोअर्स हैं वहीं ट्विटर पर 20000 लोग रोमन की इस नई मुहीम से जुड़े हुए हैं।
एम्स में पढ़ाई के दौरान दोस्त ने दिया था आईडिया
रोमन अपने स्कूल के दोस्त गौरव मुंजाल के साथ इस मुहीम को आगे बढ़ा रहे हैं जिसने उन्हें इस नए आईडिया के बारे में उस वक्त बताया था जब वो एम्स में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। गौरव ने भी बेंगलुरू में बतौर सीईओ शुरूआत करने के बाद अपना कदम वापिस लेते हुए अनअकैडमी डॉट इन नाम की कंपनी की शुरूआत की।
रोमन सैनी ने कहा कि उनका उद्देश्य उच्च स्तरीय शिक्षा को पहुंच में लाना है और उन्हें लगता है कि ऑफलाइन तरीके से इसे प्राप्त करना सही रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोगों की मांग पूरी करने के लिए बहुत बड़े स्तर पर तकनीकी विकास और काबिल लोगों की जरूरत है। इसलिए उन्होंने इस अनअकेडमी के तरीके को पूरी तरह से अपना लिया।
आसान नहीं था आइएएस की नौकरी छोड़ना- रोमन
उन्होंने कहा कि आइएएस जैसा पद छोड़ना उनके लिए आसान नहीं था उनके परिवारवाले भी इस फैसले से खुश नहीं थे। व्यक्तिगत तौर पर उनके लिए ये एक आसान निर्णय नहीं था और इसमें कई सारे पहलू शामिल थे इसलिए उन्होंने ज्यादातर लोगों से इस बारे में बात की और अंत में उनके जुनून की ही जीत हुई।
रोमन कहते हैं कि उनके दिल में सिविल सेवा के लिए बहुत सम्मान है लेकिन उन्हें लगता है कि शिक्षा ही देश को आगे ले जा सकती है और इसलिए अंत में उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में ही आगे काम करने का फैसला किया।
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