एक महीने में 10 एनबीएफसी ने अपने लाइसेंस लौटाए
तीन एनबीएफसी के लाइसेंस आरबीआइ ने रद्द किये हैं। उसके बाद से दस गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अपना लाइसेंस रिजर्व बैंक को वापस कर चुकी हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने आम जनता से पैसा जमा कराने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर लगाम लगाने के लिए नए कानून बनाने का ऐलान क्या किया, इन कंपनियों में मैदान छोड़ कर भागने की होड़ मच गई है। इस बारे में घोषणा आम बजट में की गई और उसके बाद से दस गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अपना लाइसेंस रिजर्व बैंक को वापस कर चुकी हैं। इसके अलावा इसी हफ्ते रिजर्व बैंक ने तीन अन्य एनबीएफसी का लाइसेंस रद्द किया है। रिजर्व बैंक के पास अभी तीन दर्जन से ज्यादा एनबीएफसी और लाइसेंस वापस करने के बारे में जानकारी हासिल कर चुके हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछला आम बजट में ही ऐलान किया है कि केंद्र सरकार आम जनता से पैसा जमा करने वाली कंपनियों पर नए सिरे से नकेल कसी जाएगी। जेटली की तरफ से यह ऐलान पश्चिम बंगाल में सारधा चिट फंड कंपनी की तरफ से किये गये घोटाले के बाद किया गया है। नए कानून के दायरे में वह सब कंपनियां आएंगी जो बिना बैंकिंग लाइसेंस के आम जनता से पैसा जमा करते हैं और उन्हें काफी ज्यादा ब्याज देने का वादा करते हैं। इसका जो खाका वित्त मंत्रालय की एक समिति ने तैयार किया है उसमें गड़बड़ी पाये जाने पर इन कंपनियों के प्रमोटरों पर न सिर्फ भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान प्रस्तावित है बल्कि उन्हें दस वर्ष की सश्रम कारावास देने का भी प्रस्ताव है। इन प्रस्तावों पर 30 अप्रैल, 2016 तक लोगों से सुझाव मांगे गये हैं। इन कड़े प्रावधानों से ही जनता से पैसा जुटाने वाली कंपनियां सहमी हुई हैं।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि लोगों को बाजार से काफी ज्यादा ब्याज देने के लालच में फंसा कर उन्हें धोखा देने वाली चिट फंड कंपनियों और एनबीएफसी पर इसलिए भी लगाम लगाना जरुरी हो गया है कि ये अब काफी बड़ी राशि लोगों से जुटाने लगी हैं। रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले दस वर्षो में देश में एनबीएफसी की संख्या 700 से घट कर 200 के करीब रह गई है लेकिन इनमें आम जनता की तरफ से जमा कराई गई राशि काफी तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2009-10 में इन एनबीएफसी में सिर्फ 28.31 करोड़ रुपये की राशि जमा थी लेकिन वर्ष 2014-15 में इनमें जमा जनता की राशि बढ़ कर 275 करोड़ रुपये हो गई है। इसके अलावा सारधा जैसी चिट फंड कंपनियों की तरफ से जमा की गई हजारों करोड़ रुपये जमा करती हैं।
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