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हड़बड़ाहट में नहीं होगा विनिवेश: जेटली

राजकोषीय घाटे की स्थिति को सुधरते देख केंद्र सरकार हड़बड़ाहट में सरकारी कंपनियों में विनिवेश नहीं करना चाहती। सरकारी कंपनियों में अपनी इक्विटी बेचकर बाजार से पूरा पैसा वसूलने की नीति के तहत कोल इंडिया

By Murari sharanEdited By: Published: Tue, 25 Nov 2014 09:32 PM (IST)Updated: Tue, 25 Nov 2014 10:04 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो] राजकोषीय घाटे की स्थिति को सुधरते देख केंद्र सरकार हड़बड़ाहट में सरकारी कंपनियों में विनिवेश नहीं करना चाहती। सरकारी कंपनियों में अपनी इक्विटी बेचकर बाजार से पूरा पैसा वसूलने की नीति के तहत कोल इंडिया (सीआइएल) व ओएनजीसी जैसी बड़ी कंपनियों में दो चरणों में विनिवेश करने का मन बना लिया गया है। इसके साथ ही विनिवेश कार्यक्रम को आगे बढ़ाने से पहले शेयर बाजार पर भी पूरी नजर रखी जाएगी।

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विनिवेश को आगे बढ़ाने पर मंगलवार को उच्चस्तरीय बैठक की। वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि बाजार के हालात को देखते हुए ही ओएनजीसी और कोल इंडिया के विनिवेश का अभी तक कोई समय तय नहीं किया गया है। एक सुझाव यह आया है कि इन दोनों कंपनियों में दो चरणों में विनिवेश किया जाए ताकि इनका बाजार पूंजीकरण ज्यादा बढ़ सके। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों कंपनियों में विनिवेश को लेकर कई मुद्दों का अभी समाधान निकालना है।

दो महीने पहले सरकार ने सीआइएल में 10 फीसद और ओएनजीसी में पांच फीसद विनिवेश करने का फैसला किया था। इन दोनों कंपनियों के विनिवेश से केंद्र को 26 हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष 2014-15 के लिए 58 हजार करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य तय किया गया है। लेकिन क्रूड की कीमत में भारी गिरावट होने की वजह से सरकार के लिए राजस्व घाटे के लक्ष्य को हासिल करना आसान हो गया है। इसलिए वह हडबड़ाहट में विनिवेश नहीं करना चाहती।

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