सुब्रत राय को नहीं मिली पेशी से छूट
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय को व्यक्तिगत पेशी से छूट देने से इन्कार कर दिया। उन्हें तीन अन्य निदेशकों समेत कोर्ट में बुधवार को पे ...और पढ़ें

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय को व्यक्तिगत पेशी से छूट देने से इन्कार कर दिया। उन्हें तीन अन्य निदेशकों समेत कोर्ट में बुधवार को पेश होना ही होगा। शीर्ष अदालत ने उनकी ओर से इस संबंध में दाखिल याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। कोर्ट की अवमानना मामले में 20 फरवरी को सुब्रत राय व अन्य निदेशकों को 26 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का समन जारी किया गया था। इन निदेशकों में रवि शंकर दुबे, अशोक रॉय चौधरी और वंदना भार्गव शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त, 2012 में समूह की दो कंपनियों को निवेशकों के 20,000 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया था। इसका पालन नहीं करने पर पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अवमानना की याचिका दाखिल कर रखी है। समूह की अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जेएस खेहर की खंडपीठ ने कहा कि सुब्रत राय व अन्य तीनों निदेशकों को उनके पिछले आदेश का पालन करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पेश होना होगा। पीठ सहारा प्रमुख के वकील राम जेठमलानी की इस दलील से सहमत नहीं हुई कि सुब्रत राय को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी जानी चाहिए और वह कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक भुगतान करेंगे। जेठमलानी के मामले का जिक्र करने पर पीठ ने यह भी साफ कर दिया कि 'कानून के शासन' को बरकरार रखा जाना चाहिए। साथ ही अदालत के आदेश को अक्षरश: लागू किया जाना चाहिए।
सहारा समूह की दो कंपनियों- सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्प और सहारा इंडिया हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प ने सेबी की मंजूरी के बिना डिबेंचर जारी कर निवेशकों से 24,000 करोड़ रुपये वसूले थे। सुप्रीम कोर्ट ने इसी राशि को सूद सहित निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया था। समूह की ओर से पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम सेबी के पास जमा कराई जा चुकी है। कोर्ट बाकी राशि की वसूली के लिए समूह की दोनों कंपनियों की संपत्तियों को नीलाम करने के लिए भी नियामक से कह चुका है।

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