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    एयरटेल, रिलायंस, डाक विभाग, पेटीएम बनेंगे भुगतान बैंक

    By Sudhir JhaEdited By:
    Updated: Thu, 20 Aug 2015 12:30 AM (IST)

    सरकारी क्षेत्र के बैंकों को अब अपने प्रदर्शन पर काफी ध्यान देना होगा या फिर उन्हें कारोबार की अपनी पूरी रणनीति ही बदलनी होगी। रिजर्व बैंक ने आज 11 संस्थानों को पेमेंट बैंक शुरू करने के लिए सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है। इसमें एयरटेल, वोडाफोन जैसी दूरंसचार कंपनियां,

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकारी क्षेत्र के बैंकों को अब अपने प्रदर्शन पर काफी ध्यान देना होगा या फिर उन्हें कारोबार की अपनी पूरी रणनीति ही बदलनी होगी। रिजर्व बैंक ने आज 11 संस्थानों को पेमेंट बैंक शुरू करने के लिए सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है। इसमें एयरटेल, वोडाफोन जैसी दूरंसचार कंपनियां, आदित्य बिड़ला और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे विशाल उद्योग समूह और वित्त की ऑनलाइन दुनिया में तहलका मचाने वाली पेटीएम कंपनी के प्रवर्तक विजय शंकर शर्मा शामिल हैं। इसके अलावा सरकार के डाक विभाग को भी पेमेंट बैंक की मंजूरी मिल गई है।

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    किसे मिली मंजूरी

    1. आदित्य बिड़ला नूवो लिमिटेड

    2. एयरटेल एम कॉमर्स लिमिटेड

    3. चोलामंडलम डिस्ट्रीब्यूशन

    4. डाक विभाग

    5. फिनो पेटेक लिमिटेड

    6. नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लि.

    7. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड

    8. दिलीप शांतिलाल सांघवी

    9. विजय शंकर शर्मा

    10. टेक महिंद्रा लिमिटेड

    11. वोडाफोन एम पैसा

    क्या करेंगे पेमेंट बैंक

    रिजर्व बैंक ने पहले ही यह साफ किया हुआ है कि पेमेंट बैंक संपूर्ण बैंक तो नहीं होंगे लेकिन आम जनता व गरीब जनता से जुड़ी लगभग तमाम वित्तीय सेवाएं दे सकेंगे। कर्ज देने को छोड़ कर, मोटे तौर पर ये पेमेंट बैंक छोटे बचत खाता खोल सकेंगे। प्रवासी मजदूरों के लिए पैसा भेजने या स्वीकार करने का काम कर सकेंगे और कम आय वर्ग वाले समूहों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों को वित्तीय सेवा पहुंचाने का काम प्रमुख तौर पर करेंगे। इनके जरिये शुरुआत में एक ग्राहक से अधिकतम एक लाख रुपये का लेनदेन ही किया जा सकेगा। एटीएम व डेबिट कार्ड तो ये जारी करेंगे लेकिन क्रेडिट कार्ड जारी करने की इन्हें अनुमति नहीं मिलेगी। कम जोखिम वाले वित्तीय उत्पाद मसलन एक सीमा तक म्यूचुअल फंड्स और जीवन बीमा उत्पादों को बेचने की भी इन्हें इजाजत मिलेगी। हां, यह साफ है कि यह कर्ज देने का काम नहीं करेंगे।

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