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खुशखबरी, अब पूरे वेतन पर कटेगा पीएफ!

नई दिल्ली। सेवानिवृत्त के बाद भविष्य निधि के पैसे से आगे की जिंदगी सुचारू रूप से चलाने के सपने देखने वाले कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन [ईपीएफओ] जल्द ही एक तोहफा देने वाला है। ईपीएफओ के जल्द जारी होने वाले ताजा सर्कुलर के अनुसार अब पीएफ बेसिक और डीए का 12 फीसद नहीं कटेगा, बल्कि पूरे वेतन के आधार पर काटा जाएगा। जिससे कर्मचारी के साथ-साथ संस्थानों या कंपनियां का भी पीएफ में अंशदान बढ़ जाएगा। वहीं, ईपीएफओ के इस कदम के खिलाफ उद्योग जगत लामबंद हो रहा है।

By Edited By: Published: Tue, 28 May 2013 04:11 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
खुशखबरी, अब पूरे वेतन पर कटेगा पीएफ!

नई दिल्ली। रिटायरमेंट के बाद भविष्य निधि के पैसे से आगे की जिंदगी सुचारू रूप से चलाने के सपने देखने वाले कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन [ईपीएफओ] जल्द ही एक तोहफा देने वाला है। ईपीएफओ के जल्द जारी होने वाले ताजा सर्कुलर के अनुसार अब पीएफ बेसिक और डीए का 12 फीसद नहीं कटेगा, बल्कि पूरे वेतन के आधार पर काटा जाएगा। जिससे कर्मचारी के साथ-साथ संस्थानों या कंपनियां का भी पीएफ में अंशदान बढ़ जाएगा। वहीं, ईपीएफओ के इस कदम के खिलाफ उद्योग जगत लामबंद हो रहा है।

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एक अंग्रेजी समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार के अनुसार इससे महीने के आखिर में मिलने वाले वेतन की रकम घट जाएगी, लेकिन पीएफ में कंपनी और कर्मचारी का योगदान बढ़ जाएगा। हालांकि, इसके फायदे से सीटीसी स्कीम के तहत वेतन पाले कर्मी वंचित रहेंगे। मतलब पीएफ में कंपनी का योगदान सैलरी पैकेज का हिस्सा है तो पूरी कटौती वेतन से ही होगी। अभी तक अधिकांश कंपनियां पीएफ कंट्रीब्यूशेसंस [कर्मचारी और कंपनी प्रत्येक 12 फीसद] बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते पर काटती है।

ज्यादातर निजी कंपनियां डीए यानी महंगाई भत्ता नहीं देती हैं। कई कंपनियां बिना बेसिक वेतन बढ़ाए अन्य मदों में वेतन बढ़ाती जाती हैं। इस वजह से हजारों कर्मियों का पीएफ अंशदान लंबे वक्त तक एक जैसा ही रहता है। इस तरह से एंप्लॉयीज की टैक्स से जुड़ी जिम्मेदारी बढ़ती जाती है, लेकिन पीएफ में अंशदान नहीं बढ़ता है। कंपनियों की इस नीति से कर्मचारी ज्यादा बचत नहीं कर पाते हैं।

ईपीएफओ ने पिछले साल ही नया सर्कुलर जारी किया था लेकिन बाद में कंपनियों के विरोध के चलते उसे वापस ले लिया गया। उद्योग जगत इस बात पर अड़ा था कि मुआवजे के रूप में सभी तरह के भत्तों को नए सिरे से पारिभाषित करने की जरूरत है। इस मामले में एक नजरिया यह भी था कि अगर पूरे वेतन पर पीएफ कटेगा तो कर्मियों को महीने के अंत में मिलने वाली रकम भी घट जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि ईपीएफओ अपनी नई पहल को आगे बढ़ाएगा। श्रम मंत्रालय की ओर से इस प्रस्ताव की स्टडी करने वाली समिति ने भी इसका अनुमोदन कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि श्रम मंत्रालय भी ईपीएफओ की नई पहल को आगे बढ़ाने के लिए राजी है।

उल्लेखनीय है कि मद्रास और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भी अलग-अलग मामलों में कहा था कि पीएफ के सेक्शन 2-बी के तहत कन्वेंस, एजुकेशन, फूड कंसेशन और सिटी कॉम्पेंसेशटरी अलाउंस को भी बेसिक सैलरी में जोड़कर पीएफ काटा जाना चाहिए।


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