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    आठ साल की तकरार के बाद अनिल, मुकेश ने मिलाया हाथ

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    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    कारोबारी हित कभी कभी दुश्मनों को भी नजदीक ला देते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो सात वर्ष बाद अंबानी बंधु मंगलवार को हाथ न मिलाते। जो काम मां कोकिला बेन नहीं कर पाई उसे दूरसंचार क्षेत्र के आपसी हितों ने कर दिया। बड़े भाई मुकेश अंबानी और छोटे भाई अनिल अंबानी की कंपनियों के बीच मंगलवार को 1200 करोड़ रुपये का एक समझौता हुआ है। समझौते के मुताबिक अनिल की कंपनी के नेटवर्क पर मुकेश की कंपनी दूरसंचार सेवा की शुरुआत करेगी।

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कारोबारी हित कभी कभी दुश्मनों को भी नजदीक ला देते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो सात वर्ष बाद अंबानी बंधु मंगलवार को हाथ न मिलाते। जो काम मां कोकिला बेन नहीं कर पाई उसे दूरसंचार क्षेत्र के आपसी हितों ने कर दिया। बड़े भाई मुकेश अंबानी और छोटे भाई अनिल अंबानी की कंपनियों के बीच मंगलवार को 1200 करोड़ रुपये का एक समझौता हुआ है। समझौते के मुताबिक अनिल की कंपनी के नेटवर्क पर मुकेश की कंपनी दूरसंचार सेवा की शुरुआत करेगी।

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    यह समझौता अनिल अंबानी की रिलायंस टेलीकॉम और मुकेश अंबानी की रिलायंस जिओ इंफोकॉम के बीच हुआ है। इसके तहत दोनों कंपनियां एक दूसरे के नेटवर्क आदि की शेयरिंग कर सकेंगे। रिलायंस जिओ इंफोकॉम देशभर में बेहद उन्नत तकनीक पर आधारित दूरसंचार सेवा लांच करने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि 4जी आधारित यह सेवा देश में दूरसंचार क्षेत्र में नई क्रांति लाने की कूवत रखता है। इससे मोबाइल फोन पर डाटा शेयर करना और इंटरनेट का इस्तेमाल करने की रफ्तार काफी तेज हो जाएगी। दोनों कंपनियों के बीच जो समझौता हुआ है वह आने वाले दिनों में टेलीकॉम टावरों के शेयरिंग में भी हो सकता है। इससे रिलायंस जिओ कॉलिंग सेवा की शुरुआत भी कर सकेगी।

    मुकेश अंबानी की कंपनी ने वर्ष 2010 में खुली निविदा के जरिये 4जी आधारित दूरसंचार सेवा लांच करने का लाइसेंस हासिल किया था। इस करार से मुकेश की कंपनी को यह फायदा होगा कि उसे अलग से पूरा नेटवर्क नहीं लगाना होगा। वहीं वित्तीय परेशानियों से जूझ रही अनिल की कंपनी को एकमुश्त 1200 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी जिसका इस्तेमाल वह अपने कर्जो को चुकाने में कर सकती है।

    बताते चलें कि पिता धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों के बीच वर्ष 2005 में बंटवारा हो गया था। तेल व गैस, पेट्रोरसायन आदि कारोबार बड़े अंबानी के हिस्से में आया, जबकि दूरसंचार, वित्तीय सेवा व ऊर्जा छोटे भाई के हिस्से में गया। उसके बाद दोनों भाइयों के बीच कई तरह के विवाद हुए। अब दोनों भाइयों ने अपनी कंपनियों के हितों को देखते हुए फिर से साथ काम करने का रास्ता निकाल लिया है।