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    मोदी ने सेट किया पेट्रोलियम क्षेत्र का एजेंडा

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    Updated: Wed, 30 Jul 2014 08:19 AM (IST)

    शुरुआती खामोशी के बाद पेट्रोलियम क्षेत्र में मोदी सरकार का एजेंडा अब साफ होने लगा है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में पेट्रोलियम सेक्टर में आधा दर्जन नई नीतियों का खाका तैयार किया जा रहा है। इसमें देश के दर्जनों शहरों को पीएनजी व सीएनजी से जोड़ना, देश में गैस पाइपलाइन का नया नेटवर्क तैयार क

    नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। शुरुआती खामोशी के बाद पेट्रोलियम क्षेत्र में मोदी सरकार का एजेंडा अब साफ होने लगा है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में पेट्रोलियम सेक्टर में आधा दर्जन नई नीतियों का खाका तैयार किया जा रहा है। इसमें देश के दर्जनों शहरों को पीएनजी व सीएनजी से जोड़ना, देश में गैस पाइपलाइन का नया नेटवर्क तैयार करना और कोल ब्लॉकों से मीथेन गैस निकालने की नीति को आकर्षक बनाना शामिल है। इसके अलावा नई ऑटो इंधन नीति बनाना और गैस कीमत तय करने का पूलिंग फार्मूला तय करने की नीति भी तैयार की जाएगी।

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    प्रधानमंत्री के समक्ष पिछले दो महीनों के दौरान पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय की तरफ से कई प्रस्तुतीकरण दिए गए हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारियों के बीच बातचीत भी हुई है। इसके आधार पर ही पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान को नई नीति बनाने को कहा गया है। पेट्रोलियम मंत्रालय से जुड़े हर मुद्दे पर समयबद्ध कार्यक्रम के तहत फैसला करने का निर्देश दिया गया है। मसलन, अगले चार हफ्ते के भीतर शेल गैस और कोल बेड मीथेन को लेकर नई नीति बनाने की समय सीमा तय की गई है।

    नई नीतियों की घोषणा पेट्रोलियम क्षेत्र में एक साथ कई गतिविधियों की शुरुआत करेगी। इससे न सिर्फ मैन्यूफैक्च¨रग क्षेत्र को नई ऊर्जा मिलेगी, बल्कि आम जनता की सहूलियत भी बढ़ेगी। इस उद्देश्य से ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2014-15 में 15,000 किलोमीटर लंबी नई गैस पाइपलाइन बिछाने की घोषणा की थी। इसे अमली जामा पहनाने के लिए काकीनाडा-हल्दिया, बरौनी-गुवाहाटी, मेहसाणा-बठिंडा, जगदीशपुर-हल्दिया सहित दर्जन भर रूटों पर नई पाइपलाइनें बिछाने की काम किया जाएगा। यह काम सरकारी और निजी कंपनियों के बीच सहयोग से किया जाएगा। इन सभी पाइपलाइनों के साथ औद्योगिक प्लांट लगाने की संभावना तलाशने को भी कहा गया है। इसके लिए इस्पात मंत्रालय, उर्वरक मंत्रालय, वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के साथ मिलकर रणनीति बनाई जाएगी। पेट्रोलियम मंत्रालय को निर्देश है कि उक्त सभी पाइपलाइन राजग के कार्यकाल के पांच वर्षो के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।

    इन नीतियों को तैयार करने के अलावा राजग सरकार के भीतर उच्च स्तर पर पेट्रोलियम सब्सिडी को कम करने को लेकर भी नई सोच के साथ काम हो रहा है। वैसे, इस बारे में अभी तक प्रधानमंत्री की तरफ से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं आया है, लेकिन तेल मंत्री प्रधान ने 'दैनिक जागरण' को दिए साक्षात्कार में यह बताया था कि पेट्रोलियम सब्सिडी को सही समूह तक पहुंचाने के लिए कई उपायों पर विचार हो रहा है। सरकार यह स्वीकार कर चुकी है कि इसके लिए वह आधार कार्ड योजना के तहत सीधे बैंक खाते में सब्सिडी पहुंचाने को भी आजमाएगी। केंद्र सरकार आधार योजना को कानूनी जामा पहनाने के बाद ही इस योजना को अब लागू करेगी। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आधार को कानूनी संबल देने के लिए शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा।

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