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ईपीएफओ, ईएसआइसी तीन साल तक न करें स्टार्ट अप का निगरानी

ईपीएफओ और ईएसआइसी स्टार्ट अप का तीन साल तक कोई निरीक्षण नहीं करें। साथ ही इन नए उद्यमों को रिटर्न दाखिल करने से भी छूट दें। श्रम मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) तथा कर्मचारी राज्य बीमा निगा यानी ईएसआइसी को यह निर्देश दिया है।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2016 08:47 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2016 09:01 PM (IST)

नई दिल्ली। ईपीएफओ और ईएसआइसी स्टार्ट अप का तीन साल तक कोई निरीक्षण नहीं करें। साथ ही इन नए उद्यमों को रिटर्न दाखिल करने से भी छूट दें। श्रम मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) तथा कर्मचारी राज्य बीमा निगा यानी ईएसआइसी को यह निर्देश दिया है।

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मंत्रालय ने स्टार्ट अप को समर्थन और प्रोत्साहन देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार यह कदम उठाया है। मंत्रालय ने कहा है कि नई पीढ़ी के उद्यमों को नौ श्रम कानूनों के अनुपालन के लिए स्वत: प्रमाणन की इजाजत दी जाए।

श्रम सचिव शंकर अग्रवाल ने इस संबंध में एक पत्र लिखा है। इसके मुताबिक स्टार्ट अप को नौ श्रम कानूनों के तहत तीन साल तक न तो रिटर्न दाखिल करने के लिए कहा जाए और न ही उनका निरीक्षण हो। इन कानूनों में कर्मचारी भविष्य निधि व विविध प्रावधान अधिनियम और कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम शामिल हैं।

अग्रवाल ने कहा है कि स्टार्ट अप को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष ध्यान और प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इसलिए इन उद्यमों को श्रम कानूनों के स्वप्रमाणन की अनुमति दी जा सकती है। इसके तहत उक्त स्टार्ट अप को भवन व अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार व सेवा शतरें का नियमन) कानून, अंतरराज्यीय माइग्रेंट मजदूर (रोजगार व सेवा शतरें का नियमन) कानून, ग्रेच्युटी भुगतान कानून तथा ठेका श्रमिक कानून के तहत निरीक्षण वगैरह से छूट दी जाएगी। इस तरह के स्टार्ट अप को पहले साल निरीक्षण तथा रिटर्न फाइल करने से पूरी तरह छूट होगी। उनसे सिर्फ ऑनलाइन स्वघोषणा फॉर्म जमा करने के लिए कहा जाएगा। अगले दो वर्षो तक भी यह सहूलियत बनी रहेगी, मगर बेहद भरोसेमंद और सुबूतों सहित लिखित शिकायत मिलने पर निरीक्षण किया जाएगा। इस निरीक्षण से पहले सेंट्रल एनालिसिस एंड इंटेलीजेंस यूनिट (सीएआइयू) की अनुमति लेनी होगी।


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