बिल का मसौदा तैयार, ऑनलाइन खरीद पर भी लगेगा जीएसटी
ऑनलाइन खरीद-फरोख्त (ई-कॉमर्स) पर भी जीएसटी लगेगा। इतना ही नहीं, जीएसटी की चोरी करने वालों के लिए पांच साल की सजा का प्रावधान भी इसमें किया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । सरकार ने बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रस्तावित विधेयक का मसौदा जारी कर दिया है। जीएसटी मॉडल बिल के प्रावधानों के मुताबिक 10 लाख रुपये से सालाना कारोबार वाले व्यवसायी जीएसटी के दायरे में आएंगे। साथ ही ऑनलाइन खरीद-फरोख्त (ई-कॉमर्स) पर भी जीएसटी लगेगा। इतना ही नहीं, जीएसटी की चोरी करने वालों के लिए पांच साल की सजा का प्रावधान भी इसमें किया गया है।
राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार-प्राप्त समिति ने मंगलवार को जीएसटी मॉडल बिल के मसौदे को सैद्धांतिक मंजूरी दी। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने इसे आम लोगों की प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक कर दिया। राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने ट्विटर पर कहा कि वे सभी पक्षों से इस विधेयक पर टिप्पणी देने का आग्रह करते हैं। लोग अपनी टिप्पणी राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकारप्राप्त समिति के सचिवालय या सीधे वित्त मंत्रालय को भेज सकते हैं।
जीएसटी मॉडल बिल की खास बात यह है कि 10 लाख रुपये के सालाना कारोबार वाले सभी व्यवसायी इसके दायरे में आएंगे। हालांकि सिक्किम सहित पूर्वोत्तर राज्यों में पांच लाख के कारोबार वालों को जीएसटी चुकाना पड़ेगा। जिन व्यवसायियों का कारोबार इस सीमा से अधिक होगा, उन्हें जीएसटी की खातिर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण होने पर उन्हें एक यूनिक आइडेंटिटी नंबर मिलेगा।
विधेयक में जीएसटी की चोरी और जीएसटी रिटर्न फाइल नहीं करने पर कड़ी सजा व जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। जीएसटी की चोरी करने वालों को पांच साल की सजा होगी। रिटर्न दाखिल नहीं करने पर हर दिन 100 रुपये विलंब शुल्क लगेगा, जो पांच हजार रुपये तक हो सकता है।
कहां पर लगेगा टैक्स
अधिकारप्राप्त समिति ने इस विधेयक के मसौदे में ही स्पष्ट कर दिया है कि ऑनलाइन कारोबार पर टैक्स कहां लगेगा। ऑनलाइन कारोबार के तहत एक राज्य में सामान बेचे जाने और दूसरे में खरीदे जाने पर जीएसटी उस राज्य में लगेगा, जहां पहला वित्तीय ट्रांजेक्शन हुआ है।
जीएसटी मॉडल बिल में कुल 162 उपबंध व चार अनुसूचियां हैं। इसमें हर राज्य में अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएआर) स्थापित करने का प्रावधान है। साथ ही, अपीलीय प्राधिकरण तथा प्रीज्यूम्टिव टैक्स की तर्ज पर कंपोजीशन लेवी का प्रावधान है। इसमें उपभोक्ता कल्याण कोष बनाने की भी बात कही गई है। केंद्र व राज्य सरकारें कोष का इस्तेमाल उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए करेंगी।
राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति ने इंटीग्रेटेड जीएसटी (आइजीएसटी) के मॉडल बिल को भी मंजूरी दे दी। यह एक से दूसरे राज्य में होने वाले वस्तु व सेवाओं के कारोबार पर लगेगा। केंद्रीय जीएसटी विधेयक को केंद्र मंजूरी देगा। राज्य सरकारें राज्य जीएसटी को अनुमति देंगी। आइजीएसटी को केंद्र व राज्य दोनों को मंजूरी देनी होगी।
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