जीएसटी बिल का रास्ता साफ, तमिलनाडु को छोड़ सभी राज्य हुए राजी
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि जीएसटी के मुद्दे पर अधिकांश राज्यों का एक राय है और वो इसके पक्ष में हैं।
कोलकाता (प्रेट्र)। लंबे समय से अधर में लटके वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक का रास्ता साफ हो गया है। इसपर लगभग सभी राज्यों की सहमति बन गई है। यह सहमति मंगलवार को कोलकाता में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ 22 राज्यों के वित्त मंत्रियों और सात राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में बनी। हालांकि तमिलनाडु ने जीएसटी लागू करने पर इस बैठक में भी सहमति नहीं जताई। इस मौके पर वित्त मंत्रालय की ओर से जीएसटी का मसौदा (ड्राफ्ट) भी जारी किया गया है।
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वित्त मंत्रालय ने जीएसटी मॉडल के ड्राफ्ट को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी देने के बाद इस पर टिप्पणी मांगी है। राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने ट्विटर पर कहा कि वे सभी पक्षों से इस विधेयक पर टिप्पणी देने का आग्रह करते हैं। लोग अपनी टिप्पणी राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकारप्राप्त समिति के सचिवालय या सीधे वित्त मंत्रालय को भेज सकते हैं। जीएसटी मॉडल बिल की खास बात यह है कि 10 लाख रुपये के सालाना कारोबार वाले सभी व्यवसायी इसके दायरे में आएंगे। हालांकि सिक्किम सहित पूर्वोत्तर राज्यों में पांच लाख के कारोबार वालों को जीएसटी चुकाना पड़ेगा।
जिन व्यवसायियों का कारोबार इस सीमा से अधिक होगा, उन्हें जीएसटी की खातिर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण होने पर उन्हें एक यूनिक आइडेंटिटी नंबर मिलेगा। विधेयक में जीएसटी की चोरी और जीएसटी रिटर्न फाइल नहीं करने पर कड़ी सजा व जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। जीएसटी की चोरी करने वालों को पांच साल की सजा होगी। रिटर्न दाखिल नहीं करने पर हर दिन 100 रुपये विलंब शुल्क लगेगा, जो पांच हजार रुपये तक हो सकता है।
ऐसे लगेगा टैक्स
जीएसटी पर बनी पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा की अध्यक्षता वाली अधिकारप्राप्त समिति ने इस विधेयक के मसौदे में ही स्पष्ट कर दिया है कि ऑनलाइन कारोबार पर टैक्स कहां लगेगा। ऑनलाइन कारोबार के तहत एक राज्य में सामान बेचे जाने और दूसरे में खरीदे जाने पर जीएसटी उस राज्य में लगेगा, जहां पहला वित्तीय ट्रांजेक्शन हुआ है।
हर राज्य में होगा एएआरजीएसटी मॉडल
बिल में कुल 162 उपबंध व चार अनुसूचियां हैं। इसमें हर राज्य में अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएआर) स्थापित करने का प्रावधान है। साथ ही, अपीलीय प्राधिकरण तथा प्रीज्यूम्टिव टैक्स की तर्ज पर कंपोजीशन लेवी का प्रावधान है। इसमें उपभोक्ता कल्याण कोष बनाने की भी बात कही गई है। केंद्र व राज्य सरकारें कोष का इस्तेमाल उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए करेंगी।
राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति ने इंटीग्रेटेड जीएसटी (आइजीएसटी) के मॉडल बिल को भी मंजूरी दे दी। यह एक से दूसरे राज्य में होने वाले वस्तु व सेवाओं के कारोबार पर लगेगा। केंद्रीय जीएसटी विधेयक को केंद्र मंजूरी देगा। राज्य सरकारें राज्य जीएसटी को अनुमति देंगी। आइजीएसटी को केंद्र व राज्य दोनों को मंजूरी देनी होगी।
रेवेन्यू न्यूट्रल रेट पर रजामंदी नहीं
बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी के तहत रेवेन्यू न्यूट्रल रेट पर रजामंदी नहीं बन पाई है। राज्यों के मंत्रीगण दोबारा जुलाई में बैठक करेंगे। जीएसटी लागू कराने की एक अप्रैल की डेडलाइन के बारे में जेटली ने कहा कि हम समय सीमा पर नहीं पहुंच पाए हैं। हम सिर्फ आगे बढ़ने के इरादे से आए हैं। जेटली ने यह भी कहा कि सरकार की कोशिश होगी कि इसे अप्रैल, 2017 से लागू किया जाए।
एक फीसद अतिरिक्त टैक्स एजेंडे में नहीं
जेटली ने कहा कि जहां तक पहले तीन साल में एक फीसद अतिरिक्त टैक्स का सवाल है, मैंने साफ कर दिया है कि इस मुद्दे पर लचीला रुख अपनाने को सरकार तैयार है। वैसे यह मुद्दा दो दिवसीय बैठक के एजेंडे में भी शामिल नहीं है। टैक्स दरों को बिल में शामिल करने पर चर्चा नहीं की जाएगी।
क्या है जीएसटीजीएसटी
देशभर में विनिर्माण, वस्तु और सेवाओं की बिक्री एवं उपभोग पर लगने वाला अप्रत्यक्ष कर होगा। यह केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले विभिन्न करों की जगह लेगा। इनपुट टैक्स क्रेडिट पद्घति के आधार पर जीएसटी खरीद एवं बिक्री के प्रत्येक स्तर पर लगाया जाएगा और इससे न केवल विनिर्माण बल्कि एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं की आवाजाही और सुगम हो जाएगी।
सबसे बड़ा कर सुधार
तमिलनाडु को छोड़ सभी राज्यों की सहमति मिलने से उत्साहित जेटली ने कहा कि मानसून सत्र में आखिरकार यह बिल पारित हो जाएगा। यदि ऐसा होता है तो 1947 में भारत की स्वाधीनता के बाद से अब तक के सबसे बड़े प्रस्तावित टैक्स बदलाव के तहत बहुत से केंद्रीय और राज्यीय करों के स्थान पर नया कर जीएसटी आ जाएगा।
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