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    एफडीआइ के जरिये माहौल बनाने की कोशिश

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    Updated: Thu, 10 Jul 2014 09:44 PM (IST)

    कुछ हफ्ते पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्र सरकार का गठन हुआ तो इसके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती देश में निवेश का माहौल बनाना था। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने पहले बजट में निवेश की राह की हर अड़चन को हटाने की कोशिश की है। रक्षा, बीमा जैसे अहम क्षेत्रों में ि

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    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कुछ हफ्ते पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्र सरकार का गठन हुआ तो इसके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती देश में निवेश का माहौल बनाना था। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए वित्ता मंत्री अरुण जेटली ने अपने पहले बजट में निवेश की राह की हर अड़चन को हटाने की कोशिश की है। रक्षा, बीमा जैसे अहम क्षेत्रों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर सरकार ने यह संकेत दिया है कि वह अहम मुद्दों पर दो टूक फैसला करने का माद्दा रखती है।

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    दो दिन पहले रेल में एफडीआइ की अनुमति देने के बाद बृहस्पतिवार को मोदी सरकार ने साफ तौर पर एलान किया कि उसे अन्य क्षेत्रों के दरवाजे भी विदेशी कंपनियों के लिए खोलने से ऐतराज नहीं है। जेटली ने कहा कि घरेलू मैन्यूफैक्च¨रग को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन के लिए एफडीआइ को बढ़ावा देना अहम है। इस क्रम में रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ की मौजूदा सीमा 26 फीसद को एफआइपीबी के रास्ते बढ़ाकर 49 फीसद करने की घोषणा की गई। हालांकि, इन कंपनियों में प्रबंधन भारतीयों के हाथों में रखने की शर्त है। बीमा क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा 26 फीसद से बढ़ाकर 49 फीसद करने की भी घोषणा की गई है। पूर्व वित्ता मंत्री पी चिदंबरम ने भी यह वादा किया था, लेकिन उसे लागू नहीं कर पाए थे। यह निवेश भी एफआइपीबी के रास्ते होगा और कंपनियों की जिम्मेदारी भारतीय प्रबंधन की होगी।

    देश में सौ स्मार्ट सिटी बनाने की मोदी के सपने को पूरा करने के लिए भी एफडीआइ का सहारा लिया गया है। विदेशी कंपनियों को अब 20 हजार वर्ग मीटर की रीयल एस्टेट परियोजनाओं में निवेश की इजाजत दी गई है। अभी तक यह सीमा 50 हजार वर्ग मीटर की थी। यही नहीं विदेशी कंपनियों की निवेश सीमा भी एक करोड़ डॉलर से घटाकर 50 लाख डॉलर कर दी गई है। अगर कंपनी कुल परियोजना लागत का 30 फीसद कम लागत की आवासीय भवनों को बनाने में लगाती है तो उसे न्यूनतम निवेश सीमा से भी छूट मिल जाएगी। एफडीआइ वाले मैन्यूफैक्च¨रग इकाइयों को एक बड़ी राहत देते हुए उन्हें बगैर पूर्व अनुमति के अपने उत्पाद ऑनलाइन बेचने की इजाजत दे दी गई है।

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