रिकॉल: इन 5 पॉजिटिव और निगेटिव बातों के लिए याद किये जाएंगे रघुराम राजन
राजन के पूरे कार्यकाल में से हमने 5 पॉजिटिव और 5 निगेटिव बातें निकालने का प्रयास किया है जिनके के लिए राजन सबसे ज्यादा याद किये जाएंगे।
नई दिल्ली।
आज यानी 4 सितंबर 2016 को आधिकारिक रूप से रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। उर्जित पटेल रिजर्व बैंक के नए गवर्नर होंगे। राजन कभी अपनी बेबाकी तो कभी अपने निर्णयों और पहलों के लिए चर्चा में रहे। राजन को एक तरफ अगर पेमेंट बैंक और स्मॉल बैंक जैसी पहलों के लिए याद रखा जाएगा तो दूसरी तरह अपनी ओर से दिए गए बयानों के बाद विवाद में फंसने के लिए उन्हे याद किया जाएगा। राजन के पूरे कार्यकाल में से हमने 5 पॉजिटिव और 5 निगेटिव बातें निकालने का प्रयास किया है जिनके के लिए राजन सबसे ज्यादा याद किये जाएंगे।
5 पॉजिटिव बातें
1- बैकिंग सेक्टर में नई पहल -
राजन ने आईडीएफसी और बंधन फाइनेंनशियल को बैंक खोलने की मंजूरी दी। आरबीआई की ओर से किसी बैंक को बीते 2 दशक में यह मंजूरी दी गई थी।
आरबीआई ने पेमेंट बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक खोलने के लए गाइडलाइंन जारी की। पेटीएम, एयरटेल मनी जैसे पेमेंट बैंक इसी पहल का नतीजा हैं।
यूनिवर्सल पेमेंट इंटरफेस की शुरूआत राजन के ही कार्यकाल में की गई। जिसकी मदद से कोई भी व्यक्ति आधार नंबर या ईमेल के आधार पर फंड ट्रांस्फर कर सकेगा। तमाम बैंकों की ओर से हाल में ही UPI आधारित मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च की गई हैं।
2- एनपीए पर काबू पाने के लिए किए बड़े सुधार
जून 2015 को आरबीआई ने स्ट्रैटजिक डेट रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम की घोषणा की। यह स्कीम बैंकों को भारी एनपीए लेने वाली कंपनियों के मैनेजमेंट के विरुद्ध सख्त कदम उठाने की ताकत देता है। इस प्रयास से बैंक विलफुल डिफॉल्टर्स की पहचान कर समाने ला सके। साथ ही राजन ने मई 2016 बड़े लेनदारों की ऊपरी सीमा तय करने के संबंध में एक डिस्कशन पेपर जारी किया।
नवंबर और दिसंबर 2015 के दौरान आरबीआई ने बैंकिंग सेक्टर की एसेट क्वालिटी की समीक्षा का काम शुरू किया। यह प्रयास बैंकिंग सेक्टर में तेजी से बढ़ रहे एनपीए पर काबू पाने के लिए किए गए।
3- महंगाई पर काबू
राजन ने जब सितंबर 2013 में कार्यभार संभाला तो देश में खुदरा महंगाई दर 9 फीसदी और थोक महंगाई दर 7 फीसदी के करीब थी। राजन ने ब्याज दरों पर अंकुश लगाकर महंगाई दर को कई वर्षों के निचले स्तर तक ला दिया। अगस्त 2015 में खुदरा महंगाई 4 फीसदी के नीचे पहुंच गई। बीते हफ्ते आए आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई 6 फीसदी के स्तर पर है।
4- रुपए को मजबूती
राजन के गवर्नर बनने से ठीक एक महीने पहले अगस्त 2013 में रुपए ने डॉलर के मुकाबले 68.35 का निचला स्तर छुआ। यह रुपए का अबतक का सबसे निचला स्तर था। राजन ने गवर्नर का पद संभालते ही रुपए को मजबूती देने के ले एक स्पेशल स्पैश विंडो शुरू की, जिसके जरिए देश में 3400 करोड़ डॉलर का इनफ्लो हुआ और रुपए को मजबूती मिली। अगले एक साल में 2014 के अंत में रुपया 60 रुपए के लिए तक मजबूत हुआ। मौजूदा समय में रूपया फिर 67 रुपए के करीब कारोबार कर रहा है।
5- लंबी अवधि के कर्ज
राजन के कार्यकाल में पहली बार 40 साल की अवधि के सरकारी बॉण्ड जारी किए गए। यह सरकार को लंबी अवधि के लिए कर्ज मुहैया कराने का प्रयास था। साथ ही विदेशी निवेशकों द्वारा सरकारी बॉण्ड में 5 फीसदी तक की होल्डिंग और भारतीय फर्म को मसाला बॉण्ड से पैसा जुटाने की मंजूरी भी इस कड़ी से जुड़े प्रयास थे।
5 नेगेटिव बातें
1. इंड्रस्ट्री नाखुश
राजन के कार्यकाल में आरबीआई का फोकस इंडस्ट्री की ग्रोथ से ज्यादा महंगाई पर काबू पाने पर रहा। इंडस्ट्री हमेशा आरबीआई सुस्त ग्रोथ के लिए आरबीआई की ऊंची दरों को जिम्मेदार मानती रही। गौरतलब है कि नीतिगत दरों में चौथाई फीसदी की कटौती भी भारी कर्ज वाली को बड़ी राहत देती है। लेकिन राजन कर्ज सस्ता कर इंडस्ट्री को बूस्ट देने वाले फॉर्मूले के खिलाफ रहे।
2. सरकार से संबंध
बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री से रघुराम राजन को हटाने की मांग यह कहकर की थी कि राजन मानसिक रूप से पूरी तरह भारतीय नहीं हैं और उन्होंने जानबूझ कर भारतीय अर्थव्यवस्था को नुक़सान पहुँचाया है।
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अपने एक लैक्चर के दौरान राजन ने कहा कि पॉलिसी बनाना एक सरल काम है लेकिन इस पर सरकार की सहमति मुश्किल है।
कार्यकाल खत्म होने से पहले एक टीवी साक्षात्कार में राजन का यह बयान की मैं दूसरे कार्यकाल के लिए रूकना चाहता था पर सरकार के लिए एग्रीमेंट नहीं हो सका। उपरोक्त सभी वकतव्य राजन के सरकार से संबंध बहुत बेहतर न होने का प्रमाण है।
3 राजन की आर्थिक नीतियों पर सवाल
स्वामी ने राजन को आड़े हाथों लेते हुए यह ट्वीट किया था किसी राजन ने भारत के फाइनेंनशियल सिस्टम में एक “टाईम बम” लगा रखा है जो दिसंबर में फटेगा। स्वामी का इशारा फॉरेन एक्चेंज में डॉलर के भारी रिडम्शन को लेकर था जो बैंकों को दिसंबर 2016 से करना होगा। गौरतलब है ये 2013 में स्पेशल विंडो के तहत भारत में आए डॉलर थे जिसको राजन ने रुपए को सहारा देने के लिए खोला था।
4 राजनीतिक मुद्दों पर टिप्पणी
जब देश में इंटॉलरेंस और टॉलरेंस की बहस चल रही थी तो राजन ने सहिष्णुता को इकोनॉमी के लिए जरूरी बता इसमें हिस्सा लिया। उस समय तमाम विशेषज्ञों ने यह कहा कि राजन देश की ट्रेजरी के कस्टोडियन हैं न की राजनेता। ऐसे मुद्दों पर राजन को बयान नहीं देने चाहिए। उनके मुह से निकले शब्द बाजार और अर्थव्यवस्था के लिए सेंसेटिव हो सकते हैं।
5 विवादास्पद बयान
“मेरा नाम रघुराम राजन है और मैं वही करता हूं जो मुझे करना होता है।“ “रिजर्व बैंक बाजार के लिए चीयरलीडर नहीं” “ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से बेहतर है कि रियल इस्टेट को कीमतें घटाने के लिए बोला जाए” ऐसे ही तमाम ऐसे वकतव्य जो राजन ने बीते 3 वर्षों के कार्यकाल में दिये। ऐसे वकतव्य निश्चित तौर पर राजन को एक वर्ग के लिए रॉकस्टार बना देते हैं। लेकिन ऐसे ही विवादास्पद बयान राजन को कार्यकाल के दौरान दिक्कत में डालते रहे।