जीएसटी पारित कराने में कांग्रेस मदद करे
बजट सत्र शुरू होने से पहले जीएसटी पर मान मनौव्वल का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो । बजट सत्र शुरू होने से पहले जीएसटी पर मान मनौव्वल का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस जीएसटी कानून की जरूरत को समझकर बजट सत्र में राज्यसभा से इसे पारित कराने में मदद करेगी। बीते दो सत्रों से जीएसटी कानून को कांग्रेस के विरोध के चलते पारित नहीं कराया जा सका है।
संसद का बजट सत्र अगले महीने शुरू होगा। एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री ने कहा, 'जीएसटी संप्रग का महत्वपूर्ण सुधार है. यदि इसे तैयार करने का श्रेय किसी को देना हो तो यह मैं उन्हीं को दूंगा। अब, यदि लेखक ही अपनी पटकथा के खिलाफ हो जाए तो मैं क्या कर सकता हूं। मैं उनके पास गया हूं, मैंने उनसे बात की। मैंने उन्हें पूरा ब्योरा दिया और मुझे उम्मीद है कि वे इसकी वजह समझेंगे और जीएसटी पारित कराने के पीछे के तर्क को समझेंगे।'
जेटली ने कहा कि इस कानून को लेकर कांग्रेस की तीन आपत्तियां हैं। ये तीनों आपत्तियां उस विधेयक की मूल भावना के विपरीत है जिसे वह खुद लेकर आए। वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस को छोड़कर हर पार्टी जीएसटी विधेयक का सक्रिय समर्थन कर रही है। जेटली ने कहा, 'संप्रग के राजद, राकांपा और जदयू जैसे सहयोगी दल इसका खुलकर समर्थन कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'मुझे कोई वजह नहीं दिखती कि कांग्रेस को इस विधेयक के बारे में सोचना चाहिए। यदि विधेयक के किसी विचार पर कोई चर्चा करनी है तो निश्चित तौर पर मैं उनके साथ चर्चा के लिए तैयार हूं। हम दोषपूर्ण कानून बनाकर भावी पीढ़ी पर इसे नहीं थोप सकते।' जीएसटी में उत्पाद शुल्क, सेवा शुल्क और बिक्री कर जैसे सभी अप्रत्यक्ष कर समाहित हो जाएंगे और इसमें कर की समान दर का प्रावधान है। यह विधेयक राज्यसभा में अटका पड़ा है क्योंकि कांग्रेस इसमें तीन बदलाव के लिए जोर डाल रही है।
यह पूछने पर कि क्या उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा हाल में आयोजित स्वागत समारोह में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से जीएसटी के मुद्दे पर बात की थी, जेटली का जवाब नहीं में था। वित्त मंत्री ने कहा, 'यह अनौपचारिक अवसर होते हैं और जरूरी नहीं है कि ऐसे मंचों पर आप चर्चा करें। निश्चित तौर पर मैंने कोई राजनीतिक चर्चा नहीं की।' उन्होंने कहा कि इससे पहले कई मौकों पर कांग्रेस नेताओं के साथ जीएसटी पर बातचीत की जा चुकी है।
जरूरतमंदो के लिए होनी चाहिए सब्सिडी
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार बुनियादी तौर पर सब्सिडी के खिलाफ नहीं है। लेकिन इस बात को तय करने की जरूरत है कि सब्सिडी किसके लिए हो। वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह की सुविधाएं गरीबों और जरूरतमंदों के लिए होनी चाहिए, न कि समृद्ध लोगों के लिए।
वित्त मंत्री का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस वक्तव्य के ठीक एक दिन बाद आया है जिसमें प्रधानमंत्री ने इस तरह के लाभों को तर्कसंगत और लक्ष्य आधारित बनाने की बात कही है। एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री ने कहा कि आने वाला बजट केवल लुभावनी घोषणाओं पर आधारित नहीं होगा, बल्कि बजट में ढांचागत सुधारों पर फोकस किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि विपक्षी दल इस मामले में सरकार का साथ देंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि देश की 25 फीसद आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है।
आबादी का एक बड़ा हिस्सा सस्ते भोजन का हकदार है। साथ ही किसानों को भी इस तरह की सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि पर पूरी तरह निर्भर है। बीते दो साल से मानसून की स्थिति किसानों के पक्ष में नहीं रही है। लिहाजा यह पूरा क्षेत्र दबाव में है। इसलिए यह जरूरी है कि इस क्षेत्र को सरकार वित्तीय मदद उपलब्ध कराए। इसीलिए सब्सिडी को लक्षित बनाने की बात कही जा रही है।
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