माटी के साथ फिरेंगे किसानों के दिन
घाटे की खेती को पटरी पर लाने की कोशिश में सरकार ने आम बजट में कई अहम उपायों की घोषणा की है। लागत घटाकर उपज बढ़ाने वाली खेती को प्रोत्साहन दिया जाएगा। जबकि उपज के उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार राज्यों के साथ मिलकर राष्ट्रीय कृषि बाजार स्थापित करेगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। घाटे की खेती को पटरी पर लाने की कोशिश में सरकार ने आम बजट में कई अहम उपायों की घोषणा की है। लागत घटाकर उपज बढ़ाने वाली खेती को प्रोत्साहन दिया जाएगा। जबकि उपज के उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार राज्यों के साथ मिलकर राष्ट्रीय कृषि बाजार स्थापित करेगी।
पीएम के वायदे पर अमल
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने खेती के लिए मिट्टी की सेहत परखने और फसलों की सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता को आम बजट में खास प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर खेत को पानी पहुंचाने के चुनावी वायदे पर अमल करते हुए आम बजट में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 5300 करोड़ का आवंटन किया गया है। इसमें माइक्रो इरीगेशन-वाटरशेड का बजट भी शामिल है।
जैविक खेती को प्रोत्साहन
वित्त मंत्री ने वादा किया है कि सिंचाई के मद में तीन हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन भी किया जा सकता है। सिंचाई के बाबत टैक्स फ्री बांड भी जारी करने की योजना है। कृषि लागत में कटौती के बाबत परंपरागत खेती यानी जैविक खेती को प्रोत्साहन देने का फैसला किया गया है। इसके लिए पूर्वोत्तर राज्यों को जैविक खेती का हब बनाया जाएगा।
सूबों की मदद से
किसानों की सबसे बड़ी मुश्किल उपज के उचित मूल्य को लेकर है। फसल आने के समय उन्हें लागत से कम दाम पर अपनी उपज बेचने को मजबूर होना पड़ता है। इसके लिए होने वाली सरकारी खरीद बहुत कम होती है। वित्त मंत्री जेटली ने किसानों को सही मूल्य दिलाने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार की स्थापना का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करेंगे।
सूदखोरी से उबारने की कोशिश
किसानों को साहूकारों की सूदखोरी से बचाने के लिए सरकार ने आगामी वित्त वर्ष के लिए 8.5 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो पिछले साल के मुकाबले केवल 50 हजार करोड़ ज्यादा है। खेती के बाबत ही अन्य कई तरह के भी प्रावधान किये गये हैं, जिनमें 25 हजार करोड़ रुपये का ग्र्रामीण बुनियादी ढांचा निधि के साथ 15 हजार करोड़ रुपये का ग्र्रामीण ऋण कोष और 45 हजार करोड़ का शार्ट टर्म ऋण कोष शामिल है। कृषि क्षेत्र में अनुसंधान के बाबत 3321 करोड़ रुपये, नीली क्रांति के लिए 411 करोड़ और डेयरी विकास के लिए 481 करोड़ और कृषि उन्नति योजना को 3257 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
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