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    बैंकों के फंसे कर्ज को वसूलने में नहीं होगी देर

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Wed, 11 May 2016 07:16 PM (IST)

    बैंकों के फंसे कर्ज को तेजी से वसूलने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार ने बुधवार को एक विधेयक लोक सभा में पेश किया।

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । बैंकों के फंसे कर्ज को तेजी से वसूलने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार ने बुधवार को एक विधेयक लोक सभा में पेश किया। इस विधेयक के पारित होने पर ऋण वसूली न्यायाधिकरणों (डीआरटी) में लंबित कर्ज वसूली के मामलों को तेजी से निपटाने का रास्ता साफ हो जाएगा। मौजूदा प्रावधानों के अनुसार बैंक और वित्तीय संस्थानों के कर्ज वसूली के आवेदन का निपटान डीआरटी से 180 दिन के भीतर हो जाना चाहिए लेकिन बार-बार स्थगन के चलते ये मामले काफी लंबे समय तक लंबित रहते हैं। सरकार ने यह विधेयक ऐसे समय पेश किया है जब उद्योगपति विजय माल्या सहित कई अन्य व्यक्तियों पर बकाया भारी भरकम लोन की वसूली को लेकर देशभर में चिंता का माहौल बना हुआ है।

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    उत्तराखंड बजट लोक सभा से पारित

    वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 'द एनफॉर्समेंट ऑफ सीक्युरिटी इंटरेस्ट एंड रिकवरी ऑफ डेट्स लॉज एंड मिस्लेनियस प्रॉवीजन एमेंडमेंट बिल, 2016' लोक सभा में पेश किया और तत्काल ही इसे 30 सदस्यीय समिति को भेजने भेज दिया गया। जेटली ने कहा कि समिति संसद के अगले सत्र के पहले सप्ताह तक इस विधेयक पर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। समिति में बीजू जनता दल के वरिष्ठ नेता बी माहताब, अन्नाद्रमुक के पी वेणुगोपाल सहित लोक सभा के 20 सदस्य शामिल हैं जबकि इसके दस 10 सदस्य राज्य सभा से हैं। सरकार को यह विधेयक लाने की जरूरत इसलिए पड़ी है क्योंकि 70,000 से अधिक कर्ज वसूली के मामले देशभर में डीआरटी में लंबित हैं। इस विधेयक के पारित होने से इन मामलों के शीघ्र पारित होने का रास्ता साफ हो जाएगा।

    इस विधेयक के जरिए सरकार ने सरफेसी कानून 2002, भारतीय स्टांप कानून, 1899 और डिपोजिटरी एक्ट 1996 में संशोधन का प्रस्ताव किया है। सरकार का कहना है कि इन कानूनों में संशोधन का उद्देश्य कारोबार की प्रक्रिया सरल बनान और निवेश को प्रोत्साहित करना है ताकि अर्थव्यवस्था विकास और उच्च आर्थिक वृद्धि दर की ओर बढ़ सके।

    इस विधेयक के पारित होने के बाद डीआरटी में इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग का भी प्रावधान हो जाएगा जिससे कोई भी व्यक्ति न्यायाधिकरण में उपस्थित न होकर भी दस्तावेज और अपने बयान दर्ज कर सकेगा। साथ ही गिरवी रखी परिसंपत्तियों पर कब्जा लेने के लिए भी समयसीमा तय की जाएगी। वहीं जिला मजिस्ट्रेट के लिए बैंक और वित्तीय संस्थान के आवेदन पर एक माह के भीतर निर्णय सुनाने की समयसीमा भी इसमें तय की गयी है।

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