वित्त मंत्री जेटली का टैक्स कानूनों के सरलीकरण पर जोर
देश में कर कानून ऐसे होने चाहिए, ताकि कम से कम मामले अदालतों तक पहुंचें। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कर कानूनों के सरलीकरण पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार कर प्रशासन को सरल बनाएगी।
नई दिल्ली। देश में कर कानून ऐसे होने चाहिए, ताकि कम से कम मामले अदालतों तक पहुंचें। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कर कानूनों के सरलीकरण पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार कर प्रशासन को सरल बनाएगी। जेटली सोमवार को आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल की प्लेटिनम जुबली समारोह के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
वित्त मंत्री ने कहा कि आयकर कानून को हर वर्ष वित्त विधेयक के जरिये संशोधित किया जाता है, लेकिन अब समय आ गया है कि इस तरह की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए। कर कानून सरल हों ताकि टैक्स से जुड़े मामले अदालतों तक नहीं जाएं, इस दिशा में मोदी सरकार ने कुछ कदम भी उठाए हैं।
उन्होंने अपने पिछले बजट के कॉरपोरेट टैक्स को 30 से घटाकर चार साल में 25 फीसद करने संबंधी प्रस्ताव का भी जिक्र किया। यह प्रस्ताव कर प्रणाली को अधिक साफ और सरल बनाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि टैक्स अफसर आम लोगों को परेशान नहीं कर पाएं।
आम बजट 2016-17 से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि इसके लिए पार्थसारथी सोम समिति की सिफारिशों को लागू करने पर विचार कर रही है। सोम समिति ने कर प्रशासन में सुधार से जुड़े कई सुझाव दिए हैं। इनमें समयबद्ध टैक्स रिफंड के लिए अलग से बजट आवंटन और टीडीएस की खातिर एक पासबुक स्कीम शुरू करने की सिफारिश शामिल है।
केंद्र की संप्रग सरकार ने वर्ष 2013 में पार्थसारथी सोम की अध्यक्षता में कर प्रशासन सुधार आयोग का गठन किया था। जेटली के मुताबिक, जस्टिस आरवी ईश्वर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। यह कमेटी आयकर कानून में संशोधनों को हटाने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
जेटली ने कहा कि अमेरिका और यूरोप में अदालतों में मामलों पर सुनवाई के दौरान जिरह की अवधि निर्धारित होती है, जबकि भारत में यह राजनीतिक बहस की तरह चलती रहती है। विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों को अदालती प्रक्रिया से अलग रखा जाना चाहिए, क्योंकि इसके कानून की विशेष व्याख्या की जरूरत नहीं है। साथ ही इसकी व्याख्या भी सावधानी से की जानी चाहिए।
अपराध और कर दोनों कानूनों में सिर्फ यह तय करना होता है कि अपराध हुआ है या नहीं और टैक्स चुकाने योग्य है या नहीं। उन्होंने कहा कि कराधान बेहद अहम सरकारी प्रक्रिया है। सरकारी राजस्व से ही सब कुछ होता है। ऐसे में राजस्व संग्रह की अहमियत बढ़ जाती है। आयकर कानून के तहत प्रारंभिक अपील अधिकारियों के समक्ष की जाती है। आंतरिक अपील भी अधिकारी स्तर पर ही निपटा दी जाती है। लेकिन कुछ मामले ट्रिब्यूनल और दूसरी अदालतों में जाते हैं।
बढ़ेगी करदाताओं की संख्या
जेटली ने कहा कि देश की आबादी को देखते हुए आयकरदाताओं की संख्या अधिक होनी चाहिए, मगर गरीबी रेखा से नीचे जिंदगी गुजर-बसर करने वालों और कृषि पर निर्भर 55 फीसद आबादी को कर दायरे से बाहर रखा गया है। इसके बावजूद अर्थव्यवस्था के तेज रफ्तार पकड़ने से करदाताओं की संख्या बढ़ेगी।
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