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वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में अर्थव्यवस्था सक्षम

भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष प्रमुख चुनौतियां बाहरी कारकों की वजह से है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भरोसा जताया कि देश की मजबूत बुनियाद इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है। इस्पात मंत्रालय की ओर से शनिवार को आयोजित एक सम्मेलन में वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई दर,

By Sudhir JhaEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2015 09:06 PM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2015 09:49 PM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष प्रमुख चुनौतियां बाहरी कारकों की वजह से है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भरोसा जताया कि देश की मजबूत बुनियाद इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है। इस्पात मंत्रालय की ओर से शनिवार को आयोजित एक सम्मेलन में वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई दर, विदेशी मुद्रा का भंडार, ढांचागत क्षेत्र में पूंजी निवेश और राजस्व संग्रह जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत के सभी मुख्य संकेतक सकारात्मक हैं।

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जेटली ने कहा कि ग्लोबल अर्थव्यवस्था एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व कीओर से ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना पर अनिश्चितता बनी हुई है। अमेरिका बड़ी अर्थव्यवस्था है वहां जो कुछ भी होता है उसका पूरी दुनिया पर असर पड़ता है।

इसी तरह चीन भी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था है। अगर उसके मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के आंकड़े विपरीत संकेत देते हैं तो इसका प्रभाव पड़ता है। यह दौर स्थायी नहीं है। ऐसे में अगर किसी अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत है तो ऐसे दौर का सामना करना बहुत बड़ी चुनौती नहीं है।

भारत में सरकार का जोर इस पर है कि अर्थव्यवस्था के आधार स्तंभ मजबूत से मजबूत हो जाएं ताकि हम वैश्रि्वक अर्थव्वयस्था के साथ जुड़े रहकर भी ऐसी दौर का सामना कर सकें।

स्टील उद्योग के समक्ष चुनौतियों का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र का प्रदर्शन सुस्त रहने के कारण बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) बढ़ गए हैं। इसके चलते बैंक दूसरे क्षेत्रों को उधार भी नहीं दे पा रहे हैं। एनपीए में सबसे बड़ा योगदान स्टील क्षेत्र का ही है। इस साल मार्च के अंत मंे एनपीए बढ़कर 2.67 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

प्रतिस्पर्धी बने स्टील उद्योग

घरेलू इस्पात उद्योग को विभिन्न कारकों पर विचार कर खुद को प्रतिस्पर्धी बनाना होगा। जब यह प्रतिस्पर्धी बन जाएगा तो बाह्य कारकों का विपरीत असर कम पड़ेगा। शीघ्र ही हमें अपनी खनन क्षमता बढ़ानी होनी, ताकि बाजार में कच्चे माल के दाम कम हो जाएं। इसके अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है। सरकार इसके अनुकूल माहौल तैयार करेगी।

पढ़ेंः चीन की मंदी पूरी दुनिया के लिए बन सकती है खतरा


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