सही समय पर सही शुरुआत
अक्सर हमें खुद अपनी पसंद-नापसंद का पता नहीं होता या फिर इससे जानने-समझने में हम काफी देर कर देते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि जहां हम अपनी पसंद के क्षेत्र में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकते थे, वहीं समय हाथ से निकल जाने पर हमें समझौता करना पड़ता
अक्सर हमें खुद अपनी पसंद-नापसंद का पता नहीं होता या फिर इससे जानने-समझने में हम काफी देर कर देते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि जहां हम अपनी पसंद के क्षेत्र में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकते थे, वहीं समय हाथ से निकल जाने पर हमें समझौता करना पड़ता है और जो भी नौकरी मिल जाए, उसे में दिन काटना मजबूरी हो जाती है। कैसे करें, सही समय पर सही शुरुआत, बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव...
'मैं ग्रेजुएशन कर रहा हूं। रेड और येलो लाइट वाली कार किस-किस गवर्नमेंट जॉब में मिलती है..., इसके लिए क्या करना होगा?' या फिर 'ग्रेजुएशन थर्ड ईयर में हूं। आगे कौन-सा कोर्स करूं, जिससे अच्छी जॉब मिल सके?' कुछ पत्र ऐसे भी होते हैं, 'फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ में मेरा मन नहीं लगता, लेकिन माता-पिता मुझे इंजीनियर बनाना चाहते हैं। पढ़ाई में अपना मन कैसे लगाऊं?'
मेरे पास अक्सर इस तरह के ई-मेल और पत्र आते हैं, जिनसे लगता है कि हमारे छोटे शहरों-कस्बों-गांवों के ज्यादातर टैलेंटेड युवाओं को खुद अपनी प्रतिभा का पता नहीं होता। उनके पास घर में या स्कूल-कॉलेज में भी ऐसा कोई नहीं होता, जिनसे वे अपनी पसंद-नापसंद के करियर पर डिस्कस कर सकें। ऐसे में वे बिना कुछ सोचे-विचारे कोई न कोई कोर्स करते रहते हैं और एक समय ऐसा भी आता है, जब उम्र अधिक हो जाने के कारण उन्हें मजबूरी में कोई भी नौकरी करनी पड़ जाती है।
हिंदी क्षेत्र में आज भी दूसरों को देखकर हर गार्जियन अपने बच्चों को इंजीनियर, डॉक्टर, आइएएस या पत्रकार बनाना चाहता है। अनजाने में या फिर कभी-कभी जान-बूझकर भी अपनी संतान के नेचुरल टैलेंट पर वे ध्यान ही नहीं देते और न ही कभी इस बारे में सोचते ही हैं। ऐसे में उनके बच्चे पर अपने पैरेंट्स की अपेक्षाओं के अनुरूप बनने का अनचाहा प्रेशर होता है। जब वह कुछ नहीं बन पाता, तो घर-बाहर के व्यंग्य-बाणों का शिकार होकर अवसाद में चला जाता है।
समझें पसंद-नापसंद
माता-पिता को अपने बच्चे से कोई भी अपेक्षा-उम्मीद करने से पहले यह जरूर देखना चाहिए कि जैसा वे चाहते हैं, उसके अनुरूप उसमें क्षमता और योग्यता है या नहीं? अगर किसी बच्चे की फिजिक्स, केमिस्ट्री-मैथ में बहुत रुचि है, वह तकनीकी चीजों में भी इंट्रेस्ट लेता है, तो उसे इंजीनियरिंग में करियर बनाने के लिए प्रेरित करने में कोई हर्ज नहीं। लेकिन अगर कोई बच्चा खेल, पेंटिंग, गायन, एक्टिंग, बैंकिंग या आज के दौर में सामने आ रहे किसी नए फील्ड में दिलचस्पी, दिखा रहा है, तो ऐसे में उसकी पसंद को अनदेखा करके उसके ऊपर कोई अनचाहा दबाव डालना ठीक नहीं। माता-पिता अपने बच्चे की रुचि-अरुचि को अच्छी तरह समझ सकते हैं। इसलिए अगर वाकई में वे चाहते हैं कि आगे चलकर उनके बच्चे को अच्छा करियर मिले, ताकि उनकी चिंता दूर हो सके, तो उन्हें बच्चे पर कुछ थोपने की बजाय उसकी रुचियों पर ध्यान देना होगा। परिवार के बाद स्कूल के शिक्षक किसी बच्चे को समझने और उसे उसके अनुरूप करियर की दिशा दिखाने में सबसे ज्यादा मददगार साबित हो सकते हैं। इसलिए उन्हें भी अपनी भूमिका को ठीक से समझना और उसके साथ न्याय करना होगा।
खुद को समझें
अगर किसी स्टूडेंट को यह लगता है कि उसके घर में कोई भी ऐसा नहीं, जो उसे गाइड कर सके या जिसके साथ बैठकर वह अपने मन की बात डिस्कस कर सके, तो ऐसे में अपनी पसंद-नापसंद समझने के लिए स्टूडेंट को खुद को डेवलप करना चाहिए। हां, इस बारे में वे अपने समझदार सहपाठियों, दोस्तों या फिर शिक्षक से परामर्श ले सकते हैं। अगर खुद को जानना चाहते हैं, तो अपने पर यह शंका करना छोड़ दें कि आपको तो कुछ आता ही नहीं? आप एकाग्रता के साथ जब भी अपनी खूबियों-खराबियों पर ध्यान देंगे, तो आपको पता चल जाएगा कि आपको क्या अच्छा लगता है और क्या खराब? किस काम में या क्या करने में आपका मन लगता है और किसे करने में आपका बिल्कुल भी मन नहीं लगता या बार-बार कहने के बाद भी आप उसे करने में ना-नुकर करते हैं?
करें कनविंस
जब आप अच्छी तरह समझ लें कि आपको क्या पसंद है और क्या नापसंद, तो फिर अपनी पसंद के रास्ते पर चलने का प्रयास करें। अगर आपको लगता है कि पैरेंट्स आपसे कोई और अपेक्षा पाले हुए हैं, लेकिन आपको लगता है कि आप उसमें बिल्कुल अच्छा नहीं कर सकते, तो ऐसे में बेहतर यही होगा कि आप अपने पैरेंट्स से खुलकर बात करें। डरें नहीं। उन्हें प्यार से समझाएं और कनविंस करने की कोशिश करें। माता-पिता हर हाल में आपकी बेहतरी ही चाहते हैं। यही कारण है कि वे आपके भविष्य को सुखद और सुरक्षित बनाने के लिए अपनी उम्मीदें आप पर डालते हैं। ऐसे में आप उन्हें बताएं कि अगर वे आपको खुश और आगे बढ़ता हुआ देखना चाहते हैं, तो आप पर भरोसा करके अपने मुताबिक कदम आगे बढ़ाने में सहयोग करें। वे जरूर आपका साथ देंगे, क्योंकि आखिरकार वे आपके सच्चे शुभचिंतक हैं।
सही समय पर शुरुआत
जब आप अपनी पसंद को समझ लें, तो फिर समय रहते उस पर आगे बढऩे की शुरुआत करें। उसके लिए जिन बुनियादी संसाधनों की जरूरत हो, उसे हासिल करने का प्रयास करें। जल्दबाजी में कदम आगे बढ़ाने की बजाय ठोस योजना बनाएं और उस पर क्रमश:, पर नियमित रूप से अमल करें। शुरुआती असफलताओं, निराशाओं की परवाह किए बिना उत्साह और ईमानदारी के साथ प्रयास करते रहें। एक न एक दिन मंजिल जरूर मिलेगी।
* दूसरों का अंधानुकरण करने की बजाय अपने टैलेंट को जानें-पहचानें और उसके मुताबिक ही आगे का रास्ता तलाशें।
* अपनी रुचि, योग्यता और क्षमता को जानने के लिए कुछ दिनों तक खुद की स्टडी करें, फिर निष्कर्ष निकालें।
* अगर पैरेंट्स आपके निर्णय से सहमति नहीं जताते, तो उन्हें कनविंस करें कि वे आप पर भरोसा करें और आपका साथ दें ताकि आप भविष्य में उन्हें खुशियां दे सकें।
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