Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ...शादी के बदलते मायने

    By deepali groverEdited By:
    Updated: Mon, 01 Dec 2014 12:45 PM (IST)

    समय के साथ शादी के मायने बदल रहे हैं। आज की पीढ़ी की लड़कियों की सोच है कि शादी करने से उनकी आजादी खत्म हो जाएगी। यही कारण है कि पढ़ी-लिखी और अच्छा जॉब कर रही लड़कियां शादी के नाम पर न तो अपनी जिंदगी में कोई बदलाव लाना चाहती

    समय के साथ शादी के मायने बदल रहे हैं। आज की पीढ़ी की लड़कियों की सोच है कि शादी करने से उनकी आजादी खत्म हो जाएगी। यही कारण है कि पढ़ी-लिखी और अच्छा जॉब कर रही लड़कियां शादी के नाम पर न तो अपनी जिंदगी में कोई बदलाव लाना चाहती हैं और न ही कोई समझौता करना चाहती हैं...

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली की 28 साल की तान्या न सिर्फ गुड लुकिंग हैं, बल्कि एक अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर पोजीशन पर भी हैं, लेकिन अभी भी सिंगल हैं। शादी की बात आते ही तान्या टाल जाती हैं। वहीं मुंबई की हिना का भी हाल कुछ ऐसा ही है। हिना मॉडलिंग करती हैं। दिखने में वह काफी स्टाइलिश हैं। हिना से शादी करने को न जाने कितने लड़के बेताब हैं, लेकिन हिना अब तक न जाने कितने प्रपोजल रिजेक्ट कर चुकी हैं और इन प्रपोजल्स के रिजेक्शन के पीछे वजह सिर्फ यही है हिना को लगता है कि भले ही उनका पार्टनर उन्हें शादी के बाद काम करने दे, लेकिन उनकी आजादी तो कहीं न कहीं उनसे छिन ही जाएगी। बस यही वजह है कि हिना पैरेंट्स के कहने पर शादी के लिए लड़कों से मिलती जरूर हैं, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ातीं।

    वैसे ये कहानी सिर्फ तान्या और हिना की ही नहीं, बल्कि आज हमारे समाज की उन ढेर सारी लड़कियों की है, जो अपनी पढ़ाई-लिखाईकर सिर्फ अपनी जॉब और कॅरियर को प्रिफरेंस देती हैं। इनके लिए शादी प्रिफरेंस लिस्ट में तो दूर की बात, ये शादी के नाम से ही कतराती हैं।

    अगर हम यूं कहें कि अब समाज में लड़कियों की जिंदगी के मायने पूरी तरह बदल चुके हैं तो शायद यह भी गलत न होगा। लड़कियां शादी कर चूल्हा-चौका संभालने की सोच से बाहर निकल कर अपने कॅरियर और समाज की सोच को एक नई दिशा दे रही हैं, लेकिन सोचने वाला सवाल यह है कि बदलते जमाने के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाली ये अगली पीढ़ी वाकई सही है या इस सफलता में भी छिपा है डिप्रेशन और फ्रस्ट्रेशन।

    हाल ही में कई बड़े शहरों में एक सर्वे के दौरान एक चौंकाने वाला फैक्ट सामने आया है। बड़़े शहरों में पढ़ी-लिखी लड़कियां अच्छी पढ़ाई कर प्रोफेशनली बाजी जरूर मार रही हैं, लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ उन्हें बहुत डिस्टर्ब कर रही है, जिसके चलते बहुत सी लड़कियां डिप्रेशन की शिकार हो रही हैं।

    दिल्ली में पढ़ी-लिखी और गुड लुकिंग 36 साल की प्रीति एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर लीगल एडवाइजर हैं। कॅरियर में सेटल होने के बावजूद प्रीति अभी भी सिंगल हैं। शादी के लिए उनके पास ढेर सारे प्रपोजल तो हैं, लेकिन साथ ही कंफ्यूजन भी। कंफ्यूजन यही है शादी करें तो किसे चुनें, जो लड़का प्रीति को पसंद आता है। उसे प्रीति का प्रोफाइल मैचिंग नहीं लगता और जिसे प्रीति पसंद आती हैं उससे प्रीति आगे बात बढ़ाना ही नहीं चाहतीं। ऐसा सिर्फ प्रीति के साथ ही नहीं, बल्कि न जाने कितनी लड़कियों के साथ होता है, जो कॅरियर में सेटल होने के बावजूद सही उम्र में शादी नहीं कर पातीं, क्योंकि शादी के साथ ही इनके पास होती हैं कुछ शर्तें भी। आमतौर पर सभी शर्तों को पूरा करना, इस कसौटी पर खरा उतरने के नाम से ही लड़के कन्नी काटने लगते हैं और अच्छी पढ़ी-लिखी बड़़े शहरों की लड़कियों के बजाय वे छोटे कस्बे और गांव की कम पढ़ी-लिखी लड़कियों को ही चुनना पसंद करते हैं।

    जी हां, यह फैक्ट थोड़ा चौंकाने वाला जरूर है, लेकिन यही हकीकत है। बड़े शहरों की करीब 50 प्रतिशत लड़कियां अपनी आजादी खोने के डर से अब शादी को तवज्जो नहीं देतीं। 35 वर्षीया दीप्ति एक न्यूज चैनल में अच्छी पोस्ट पर काम करती हैं। वह सिंगल हैं। शादी से जुड़े सवाल पर तपाक से कहती हैं। अच्छी है न जिंदगी, न कोई रोक न टोक। अपने तरीके से अपनी लाइफ एंजॉय कर रही हूं। अपने पैरेंट्स का ख्याल रखती हूं। अपना घर है, गाड़ी है और ढेर सारी सुविधाएं हैं तो ऐसे में शादी कर हजार बंदिशों में बंधकर रिस्क क्यों लिया जाए।

    असल में ऐसी सोच सिर्फ दीप्ति की ही नहीं, बल्कि शहरों में पली-बढ़ी करीब 60 प्रतिशत लड़कियों की है या तो वे शादी नहीं करना चाहतीं। अगर करना चाहती हैं तो अपनी शर्तों पर। ऐसे में जाहिर सी बात है हमारे पुरुष प्रधान समाज के लड़कों के माथे पर सिकुड़न पड़ना तय है।

    अजीब सी कश्मकश में उलझी आज की सफल लड़कियां उम्र के तीसरे और चौथे पड़ाव पर आने के बाबजूद शादी करने का फैसला नहीं ले पातीं और जब तक हो सके अकेले रहना चाहती हैं। इसकी एक सीधी सी वजह है कि अब लड़कियां शादी जैसे बंधन में बंधने के लिए अपनी जिंदगी में न कोई बदलाव लाना चाहती हैं और न ही कोई समझौता करना चाहती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि अब लड़कियां अपनी आजादी नहीं खोना चाहतीं।

    हालांकि इनका यह फैसला कहीं न कहीं इनके लिए एक समय के बाद मुश्किलें भी खड़ी कर देता है। कारण, एक वक्त के बाद सिंगल रहना भी अखरने लगता है। जिंदगी के सफर में अकेलापन और तन्हाई काटने को दौड़ती है। उस वक्त जरूरत महसूस होती है एक ऐसे साथी की, जो हमसफर बनकर आपके साथ जिंदगी के सुख-दुख बांट सके।

    सोचने वाली बात यह है कि लड़कियों की ये सोच वाकई समाज के मायने बदल एक सही दिशा में जा रही है या फिर इस सोच के आने वाले समय में समाज पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। अगर देखा जाए तो लड़कियों का शादी जैसे मुद्दे पर फैसला लेना सही है, लेकिन अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीने की चाहत में इस खूबसूरत पड़ाव से कतराना भी समझदारी नहीं, क्योंकि कुछ वक्त के बाद इंसान को अकेलापन सताने लगता है और अकेलेपन से बचना वाकई बड़ा मुश्किल है।

    अपने जमाने की मशहूर अदाकारा परवीन बॉबी को ही ले लीजिए। उनकी कहानी भी कुछ ऐसी ही थी। एक वक्त था, जब परवीन बॉबी के पास ढेरों प्रपोजल्स थे। न जाने कितने नौजवान उनसे शादी करने को बेताब थे, मगर उस वक्त परवीन बॉबी सारे प्रपोजल्स टालती गईं। शादी की बात को उन्होंने कभी गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन बाद में उनका यही फैसला और अकेलापन उनके लिए काफी नुकसानदेह साबित हुआ। जिंदगी के अंतिम दिनों में उनकी तन्हाई और अकेलापन ही था, जो उनकी मौत का कारण बना।

    एक जमाने में लाखों दिलों पर राज करने वाली परवीन बॉबी ने खुद को अपनी तन्हाई के साथ घर की चारदीवारी में कैद कर लिया। उन पर अकेलापन ऐसा हावी हुआ कि वह न सिर्फ डिप्रेशन में चली गईं, बल्कि उनका मानसिक संतुलन तक बिगड़ गया। यहां तक कि उन्होंने लोगों से मिलना-जुलना तक बंद कर दिया और फिर एक दिन वही हुआ कि इस अदाकारा ने जब अंतिम सांस ली तो उनके पास कोई नहीं था। उनकी मौत के बारे में उनके पड़ोसियों को भी कई दिन बाद पता चला। ऐसा सिर्फ परवीन बॉबी के साथ ही नहीं हुआ। ऐसे ढेरों उदाहरण मिल जाएंगे। हकीकत में अकेलापन ऐसी बीमारी है, जो वक्त के साथ डिप्रेशन का रूप ले लेती है। आगे चलकर यह जिंदगी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। इसलिए जिंदगी को गंभीरता से लें।

    यकीन मानिए एक खूबसूरत जिंदगी एक अच्छे हमसफर के साथ आपका इंतजार कर रही है। बस जरूरत है तो सिर्फ पहल करने की, गंभीरता से सोचने की... तो देर किस बात की... शुरुआत कीजिए और कदम बढ़ाइए इस खूबसूरत रिश्ते और संसार की तरफ।

    (शिखा घारीवाल)