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एंटरप्रेन्योरशिप की उड़ान

एनडीए गवर्नमेंट के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में स्टार्ट अप्स पर ध्यान देते हुए उसे हाशिये से उठाकर मेनस्ट्रीम इकोनॉमी से जोड़ने की पहल की है। इससे देश में एंटरप्रेन्योरशिप को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। स्टार्ट अप्स से जुड़े युवाओं के लिए यह पहल कितनी मददगार हो सकती है, बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव.. प्रेमपाल शर्मा इन दिनो

By Edited By: Published: Tue, 15 Jul 2014 07:34 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jul 2014 07:34 PM (IST)
एंटरप्रेन्योरशिप की उड़ान

एनडीए गवर्नमेंट के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में स्टार्ट अप्स पर ध्यान देते हुए उसे हाशिये से उठाकर मेनस्ट्रीम इकोनॉमी से जोड़ने की पहल की है। इससे देश में एंटरप्रेन्योरशिप को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। स्टार्ट अप्स से जुड़े युवाओं के लिए यह पहल कितनी मददगार हो सकती है, बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव..

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प्रेमपाल शर्मा इन दिनों काफी खुश दिख रहे हैं। हों भी क्यों न। एंटरप्रेन्योर की राह पर बढ़ रहे प्रेमपाल को वित्त मंत्री ने बजट के जरिए आर्थिक मदद का भरोसा जो दिला दिया है। दरअसल, दो साल पहले प्रोफेशनल डिग्री लेने वाले प्रेमपाल और उनके तीन दोस्तों को बड़ी मुश्किल से नौकरी मिली थी, लेकिन एक जैसी सोच रखने वाले इन चारों युवकों को नौकरी रास नहीं आई। नई सोच रखने वाले ये युवा कुछ नया करना चाहते थे। इन्होंने काफी सोच-विचार कर अपनी विशेषज्ञता को मार्केट की रिक्वॉयरमेंट से जोड़ने के लिए शॉर्ट-टर्म एडवांस कोर्स करके एक कंपनी रजिस्टर्ड करा ली। सबने अपने-अपने काम बांट लिए। दो साथियों ने टेक्निकल सपोर्ट और बाकी दो ने मार्केटिंग संभाल लिया। सबकी उत्साह भरी कोशिशों से काम तो मिलने लगा, लेकिन इतना नहीं था कि उनके सारे खर्चे निकल सकें। हालांकि उन्होंने अपने प्रयास जारी रखे। अगले छह महीने में काम थोड़ा गति पकड़ने लगा, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते दो साथी पेशेंस नहीं रख सके और उन्होंने कंपनी छोड़ दी। इससे प्रेमपाल और दूसरे साथी को झटका तो लगा, लेकिन उन्होंने हिम्मत हारे बिना अपने प्रयास जारी रखे। धीरे-धीरे अगले छह महीने में अपनी सक्रियता और संपर्को के बल पर उनका काम चल निकला। दरअसल, आज ज्यादातर स्टार्ट अप्स को ऐसी कई मुश्किलों से दो-चार होना पड़ रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ऐसे सभी एंटरप्रेन्योर्स के लिए राहत का मरहम लेकर आए हैं।

पिछले कुछ वर्षो से देश के स्किल्ड और प्रोफेशनल युवाओं का जितनी तेजी से एंटरप्रेन्योरशिप और स्टार्ट अप्स की ओर रुझान बढ़ा है, उसे देखते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा 2014-15 के आम बजट में स्टार्ट अप्स के लिए 10,000 करोड़ रुपये का फंड बनाने की घोषणा निश्चित रूप से एक स्वागत योग्य कदम है। इससे आने वाले दिनों में एंटरप्रेन्योरशिप की उड़ान भरने की इच्छा रखने वाले उन युवाओं की मदद हो सकेगी, जो फंड की कमी के चलते अपने सपनों को हकीकत में बदलने की हसरत पूरी नहीं कर पाते या फिर संघर्ष की राह में बढ़े उनके कदम थम जाते हैं।

योजना और इसका मकसद

बजट में 'एंटरप्रेन्योर फ्रेंडली लीगल बैंकरप्शी फ्रेमवर्क' की घोषणा करके वित्तमंत्री ने यह दिखाने की कोशिश की है कि वे स्टार्ट अप्स की जरूरतों के प्रति कितने संवेदनशील हैं। उनके लिए 10,000 करोड़ रुपये का फंड अर्ली स्टेज कैपिटल के मामले में भारत को चीन से आगे करते हुए सिलिकॉन वैली के ठीक बाद के स्तर पर पहुंचा देगा। इस फंड द्वारा लोकल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के जरिए एंटरप्रेन्योरशिप यानी उद्यमिता से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा।

स्टार्ट-अप्स की स्पीड

माना जा रहा है कि देश में इन दिनों औसतन हर दिन कम से कम दो स्टार्ट अप्स लॉन्च हो रहे हैं। हाल में ऐसे इनोवेटिव स्टार्ट अप्स की फंडिंग में तकरीबन 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई है। इनमें अभी तक करीब 3,630 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। हालांकि इस इन्वेस्टमेंट फंड का 90 फीसदी से ज्यादा हिस्सा फॉरेन फंड की ओर से आ रहा है। माना जा रहा है कि एनडीए सरकार के बजट द्वारा उक्त फंड की स्थापना के बाद भारत में स्टार्ट-अप्स को और बढ़ावा मिलेगा। इतना ही नहीं, महानगरों और बड़े शहरों के साथ-साथ अब छोटे शहरों-कस्बों में रहकर काम करने वाले इनोवेटिव यूथ भी प्रक्रिया समझ कर इसका लाभ उठा सकेंगे।

उम्मीदों का सफर

पिछले कुछ वर्षो में यह देखा जा रहा है कि आइआइएम, आइआइटी और देश के अन्य गुणवत्तायुक्त संस्थानों से पासआउट होने वाले युवाओं में अधिकतर को एमएनसी या बड़ी देसी कंपनियों की मोटे पैकेज वाली नौकरियां कम लुभा रही हैं। तमाम युवा ऐसे भी हैं, जो ज्यादा दिन नौकरी से बंधकर नहीं रह पाते। दरअसल, ऐसे युवा अपनी विशेषज्ञता वाले क्षेत्र में कुछ नया करने की ललक में खुद को रोक नहीं पाते।

मुश्किलों से पार

हालांकि उत्साही युवा एंटरप्रेन्योरशिप की राह पर कदम तो बढ़ा देते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में मुश्किलों से सामना होने पर उनका उत्साह मंद पड़ने लगता है। ऐसे में जो हताश नहीं होते और अपना धैर्य बनाए रखकर सामने आने वाली कठिनाइयों का डटकर मुकाबला करते हैं, उनके आगे से परेशानियों के बादल भी धीरे-धीरे छंटने लगते हैं। इसके बाद मिलने वाली छोटी-छोटी कामयाबी संघर्ष का दर्द भुला देती है। इसके बाद तो उन्हें पीछे मुड़कर देखने की नौबत ही नहीं आती।

करें कुछ नया

जो युवा किसी भी फील्ड में कुछ नया सोच या गढ़ रहे हैं, उन्हें धैर्य के साथ अपना उत्साह बनाए रखना चाहिए। अगर कुछ नया करने की इच्छा है, लेकिन कुछ सूझ नहीं रहा तो सबसे पहले खुद को स्किल्ड बनाएं। मार्केट की रिक्वॉयरमेंट या लोगों की जरूरतों को समझते हुए अपनी स्किल का इस्तेमाल करें। अपनी विशेषज्ञता वाले क्षेत्र में लगातार कुछ नया करने की सोचेंगे, तो कुछ न कुछ जरूर निकलेगा। हां, इस प्रक्रिया में अपनी नॉलेज और तकनीकी कौशल को भी लगातार अपडेट करते रहें।

स्टार्ट अप्स के लिए बजट का तोहफा

* सॉफ्ट लोन मुहैया कराने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का फंड, जिससे स्टार्ट अप्स को मिलेगी मदद।

* दलित एंटरप्रेन्योर्स के लिए 200 करोड़ रुपये का क्रेडिट फंड।

* ग्रामीण युवाओं के लिए भी 100 करोड़ रुपये का स्टार्ट अप प्रोग्राम।

* रूरल इंटरनेट और टेक्नोलॉजी मिशन के लिए 500 करोड़ रुपये।

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