यमन की दहशत से दूर पहुंचे वतन, चेहरे पर भय, मन में खुशी
गत 3 माह से आतंक के साये में जिंदगी कट रही थी। उम्मीद भी छोड़ दी थी कि परिवार से कभी मुलाकात होगी, लेकिन हम खुशनसीब रहे। सोमवार की शाम नागपुर रेलवे स्टेशन पर यमन से वापस आने वाले कुछ भारतीयों ने अपनी व्यथा बताई।
नागपुर। गत 3 माह से आतंक के साये में जिंदगी कट रही थी। उम्मीद भी छोड़ दी थी कि परिवार से कभी मुलाकात होगी, लेकिन हम खुशनसीब रहे। सोमवार की शाम नागपुर रेलवे स्टेशन पर यमन से वापस आने वाले कुछ भारतीयों ने अपनी व्यथा बताई। अपने परिवार से फिर मुलाकात होगी, यह कहते हुए कई फफक पड़े। रेलवे की ओर से उनके लिए खाने की व्यवस्था की गई।
यमन के एडन नामक शहर में कुछ भारतीय गत 6 वर्षों से बसे हैं। ये सभी कोलकाता के हैं। सोने के जेवर बनाने में महारत होने के कारण वहां की एक कंपनी में अच्छे वेतन पर काम मिला था। अपने परिवार के साथ वे वहां रह रहे थे। साल में एक बार वतन जरूर आते थे, लेकिन रोज हो रही बमबारी व फायरिंग के कारण इनकी जान भी खतरे में पड़ गई थी।
100 से ज्यादा वापस
रविवार व सोमवार को कुल 100 से ज्यादा भारतीय लौटे हैं। रविवार को ट्रेन क्रमांक 12859 मुंबई-हावड़ा गीतांजलि एक्सप्रेस से वे कोलकात्ता जा रहे थे। नागपुर स्टेशन पर शाम 6.50 बजे गाड़ी प्लेटफार्म नंबर 1 पर रुकी थी। मंडल वाणिज्य प्रबंधक एस.एस. दास ने खुद उपस्थित रहकर सभी को खाना बांटा।
ऐसे पहुंचे अपने देश
हम सभी यमन में एडन नामक शहर में रहते थे। भारत वापस आने के दौरान छोटे जहाज से समुद् के बीचोबीच लाया गया। वहां से वायुसेना के विमान से मुंबई तक पहुंचाया गया। मुंबई से रेल गाडिय़ों से अपने शहर वापस भेज रहे हैं।
कंपनी में छिपे रहे
सभी वर्धा दुलई नामक कंपनी में काम करते थे। कंपनी मालिक ने बहुत सहायता की। बमबारी के दौरान हम सभी को कंपनी में ही छिपाए रखा और खाने-पीने की व्यवस्था कराई।